राजस्थान में सत्ता परिवर्तन के साथ ही सत्ताधारी कांग्रेस ने गत भाजपा सरकार के शासन में लिए गए कई महत्वपूर्ण निर्णयों को बदलना शुरू कर दिया है। इसमें यूनिवर्सिटी फिर से शुरू करना, शिक्षा पाठ्यक्रम में बदलाव, योजनाओं में बदलाव, स्कीम का नाम बदलना आदि शामिल है। कांग्रेस सरकार द्वारा शिक्षा के पाठ्यक्रम में बदलाव करने और महाराणा प्रताप व अकबर में महान कौन, पर विवादित बयान के बाद प्रदेश में राजनीति गरमा गई है। भाजपा इसका विराेध कर रही है। भाजपा सरकार में शिक्षा मंत्री रहे वासुदेव देवनानी ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई। प्रेस वार्ता के दौरान देवनानी ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि शिक्षा का भगवाकरण करने की बात कांग्रेस सरकार की जुमलेबाजी है। कांग्रेस सरकार राष्ट्रीय व राज्य की अस्मिता को ताक में रखकर शिक्षा का कांग्रेसीकरण व तुष्टिकरण करने में लगी हुयी है।
महाराणा प्रताप को महान स्वीकार नहीं करना दुर्भाग्यपूर्ण
पूर्व शिक्षा मंत्री देवनानी ने कहा कि वीर योद्धा महाराणा प्रताप मुगल आक्रांता अकबर से लड़े। वे स्वतंत्रता और स्वाभिमान के प्रतीक रहे है। महाराणा प्रताप देश व राजस्थान की शान है। कांग्रेस सरकार के शिक्षामंत्री द्वारा उनको स्वीकार नहीं करना। उस पर हिचकिचाहट, संकोच करना। हम सब प्रदेशवासियों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। इन वीर बलिदानियों की जीवनी के पन्नों को किताबाें से हटाना उनका अपमान है। यह देशद्रोह से कम नहीं है, क्योंकि महाराणा प्रताप किसी राजनीतिक पार्टी से संबंध नहीं रखते थे। उनके लिए देश व प्रदेश के हर व्यक्ति के दिल में सम्मान है। वासुदेव देवनानी ने आगे कहा कि पाठ्यक्रम में वीर बलिदानियों, महान हस्तियों के पाठ जोड़ने को कांग्रेस भगवाकरण कहकर बदलाव करने जा रही है।
भाजपा सरकार ने शिक्षा में 26वें से दूसरे स्थान पर पहुंचाया राजस्थान को
पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने वर्तमान शिक्षा राज्य मंत्री गोविंद डाेटासरा द्वारा भाजपा शासन में शिक्षा का बंटाधार करने के बयानों पर करारा जवाब दिया। देवनानी ने कहा कि कांग्रेस राजस्थान को शिक्षा में 26वें नम्बर पर छोड़ गई थी। भाजपा सरकार की मेहनत से प्रदेश चार साल में ही देश के टॉप राज्यों में शामिल हो गया। कांग्रेस और उनके शिक्षा मंत्री बताएं, देश के सबसे पिछड़े राज्यों से निकालकर राज्य को दूसरे नम्बर पर लाना.. क्या शिक्षा का बंटाधार करना है? कांग्रेस जो परिणाम 57 प्रतिशत पर छोड़कर गई थी। उसे 80 प्रतिशत तक लाना बंटाधार है। इनकी सरकार के समय प्रदेश में शिक्षकों की 52 प्रतिशत की कमी थी। उसे हम 11 प्रतिशत तक लाए। क्या इसे शिक्षा का बंटाधार करना कहा जाना चाहिए।
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कांग्रेस सरकार ने अपने शासन में कर्मचारियों की पदोन्नतियां तक नहीं की। हमनें कर्मचारियों की परेशानी को समझते हुए प्रदेश में 1 लाख 23 हजार से ज्यादा को प्रमोशन दिया। कांग्रेस के शासन में राजस्थान में 12वीं तक के कुल 4400 स्कूल थे। आज राज्य में 13 हजार से अधिक उच्च माध्यमिक स्कूल है। हमारी सरकार ने काउंसलिंग सिस्टम को अपनाया। साथ ही पीटीएम और एमटीएम को भी शुरु किया। सरकारी स्कूलों में जरूरत के हिसाब से भवनों का निर्माण करवाया और प्रदेश में कई मॉडल स्कूल खोले। शिक्षा में सुधार पर बल देते हुए पांचवीं और आठवीं क्लास में फिर से बोर्ड तय किया। क्या यह शिक्षा का बंटाधार करना है। भाजपा के शासन काल में प्रदेश की शिक्षा को नए पंख लगाने का काम सरकार ने किया।