केन्द्र सरकार के आम बजट के बाद अब गहलोत सरकार 10 जुलाई को राज्य बजट पेश करेगी जिस पर सभी प्रदेशवासियों की निगाहें टिकी हुई है। बजट से आमजन को उम्मीदें होती हैं कि उनके लिए काम होगा और चहुंओर विकास ही विकास नजर आएगा। प्रत्येक वर्ष सरकार बजट पेश तो कर देती है लेकिन उसके क्रियान्वयन के समय जिम्मेदार अधिकारी आंखें मूंद कर बैठ जाते हैं जिसके खामियाजा जनता को विकास से वंचित रहकर चुकाना पड़ता है।
कागजों में सिमटी बजट घोषणाएं अधिकांशतः धरातल पर कम ही नजर आती है। पिछली कई सरकारों के बजट पर गौर करें तो कई घोषणाएं थोथी साबित हुई और अधिकतकर विकास कार्यों की रफ्तार बेहद धीमी रही।
बजट से कितनों की उम्मीदें होगी पूरी और कितनों की धराशायी
उल्लेखनीय है कि सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस सरकार अपना पहला बजट पेश करेगी। बीते कई वर्षों से लंबित मांगों को पूरा करने की बाट जोह रहे लोगों को सीएम अशोक गहलोत से काफी उम्मीदें हैं। प्रदेश के युवा, बुजुर्ग, महिलाएं, नौकरीपेशा, किसान और व्यापारी सहित सभी की उम्मीदें परवान पर तो हैं लेकिन बजट का पिटारा खुलने के बाद ही पता चलेगा कि इनमें से कितनों की उम्मीदें पूरी होती हैं और कितनों की धराशायी। प्रदेश में पेयजल की समस्या की सबसे विकराल बनी हुई है, ऐसे में लोगों को सरकार से किसी ऐसी घोषणा की आस है जिससे सूख चुके बांधों में पानी आ जाएं और पानी की समस्या का प्रभावी समाधान हो सके। वहीं किसान व युवा भी कांग्रेस सरकार के दो प्रमुख बिन्दु रहे हैं, ऐसे में इन वर्ग के लिए भी कई अहम घोषणाएं की जा सकती है।
बीते कुछ बजट की बात करें तो जनता को सुविधाएं उस लिहाज से नहीं मिल पाती है जिसके वो हकदार है। सरकारें लोक-लुभावनी घोषणाएं करके बजट तो ले आती है लेकिन सालभर बाद भी इनमें से कई योजनाओं पर काम भी शुरू नहीं हो पाता। हर बार की तरह इस बार भी आमजन की निगाहें सरकार के बजट पर है, अब देखना होगा कि सरकारी नुमाइंदें इन्हें कैसे पूरा करेंगे ?