बूंदी जिले के लाखेरी गांव का गैंता माखीदा पुल बनकर पूरी तरह तैयार हो गया है। 120 करोड़ रुपए की लागत से तैयार पौने दो किलोमीटर से लंबे इस पुल के निर्माण की मांग दोनों जिलों के लोग बरसों से कर रहे थे। चम्बल नदी पर इस पुल की लम्बाई 1563 मीटर होगी। गैंता-माखीदा चंबल नदी पर बनने वाला पुल अभी तक का प्रदेश का सबसे लंबा पुल होगा। 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के अवसर पर चंबल नदी पर निर्मित गैंता माखीदा पुल का लोकार्पण परिवहन मंत्री यूनुस खान, खाद्य मंत्री बाबूलाल वर्मा और सांसद ओम बिरला इस पुल को जनता को समर्पित करेंगे। इस दौरान लगभग साढ़े चार सौ करोड़ रुपए के विकास कार्यों का लोकार्पण होगा।
प्रदेश का सबसे लंबा पुल
लम्बाई : 1563 मीटर
लागत : 120 करोड़ रुपए
मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल
चंबल नदी पर पुल का सपना 50 वर्षों से भी पुराना है, जो अब साकार होगा। यह प्रोजेक्ट मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल रहा है। चंबल पर बने गैंता माखीदा पुल के उद्घाटन के बाद नदी में नावों की सवारी लोगों की यादों में सिमट कर रह जाएगी। इसकी वजह है, अब तक चंबल नदी के दोनों ओर के गांवों तक पहुंचने के लिए नाव ही एकमात्र साधन है। लंबे समय से लोग दूसरी ओर जाने के लिए नाव का ही इस्तेमाल कर रहे हैं और यह सिलसिला रियासतकाल से चला आ रहा है। पुल को लेकर इससे जुड़ने वाले ग्रामीणों में उत्साह है।
आवागमन में वृद्धि के साथ व्यापार भी बढ़ेगा
गैंता-माखीदा के बीच चंबल नदी पर पुल बन जाने के बाद दोनों ओर के आवागमन में वृद्धि होगी। इसके साथ ही कोटा-बूंदी के गांवों का सीधा संपर्क हो जाएगा और मध्यप्रदेश के बड़े शहर जयपुर से सीधे जुड़ सकेंगे। पुल बनने से दूरी कम होगी। कोटा ग्रामीण के कई गांवों का संपर्क रेलवे से हो जाएगा। पुल बनने से दोनों के व्यापार को भी बल मिलेगा। खासकर कृषि से जुडे़ व्यापार को रेल और उच्चस्तरीय सड़क का लाभ मिल सकेगा। गेता की तरफ 1.50 किमी व माखीदा की तरफ 0.60 किलोमीटर की 7 मीटर चैड़ी अप्रोच सड़क का निर्माण किया जाएगा। पुल के निर्माण में 37.2 मीटर लम्बाई के 42 स्पान लगाए जाएंगे।
इन शहरों पर पड़ेगा खास असर
इस नदी पुल के निर्माण से सवाई माधोपुर, लाखेरी की तरफ से इटावा, बारां, झालावाड़ एवं शिवपुरी (मध्य प्रदेश) की तरफ जाने के लिए करीब 70 किलोमीटर की दूरी कम तय करनी पडे़गी। पुल के निर्माण से बूंदी जिले के माखीदा, पीपलदा, थाग, खाखटा, बड़हावली, बगली, गोहाटा, कोटा खुर्द, लबान, पापड़ी, नयागांव, जाड़ला, खेड़ली देवजी, खरायता, डपटा, डडवाना, रामगंज और बड़ाखेड़ा की करीब 22 हजार की आबादी और कोटा जिले के गैंता, अमल्दा, कीरपुरा, नोनेरा, खरबन, खेड़ली नोनेरा, नारायणपुरा, डउवाड़ा, बमूलिया कलां, बमूलिया खुर्द, रघुनाथपुरा, राजपुरा, उम्मेदपुर, सोपुरा एवं हवाखेड़ली के करीब 16 हजार लोगों को सीधा फायदा मिलेगा।
कोटा जिले के गैंता के ग्रामवासियों को रेल व सडक यात्रा के लिए 55 किलोमीटर और बारां से वाया कोटा लाखेरी आने वालों को भी 62 किलोमीटर कम चलना पडे़गा। बूंदी के निवासियों को मध्यप्रदेश के लिए इटावा खातोली श्योपुर होते हुए कम दूरी तय करनी पडे़गी। अभी गैंता के ग्रामवासियों को करीब 75 किमी दूरी तय कर कोटा रेलवे स्टेशन आना पडता है। पुल निर्माण से गैंता से लाखेरी की दूरी 20 किमी रह जायेगी। बारां से लाखेरी वाया कोटा की दूरी 150 किमी है। अब बारां से लाखेरी वाया मागरोल इटावा गैता माखीदा की दूरी 88 किमी ही रह जाएगी। इस पुल के निर्माण से समय व ईधन की बचत के साथ ही पूरे क्षेत्र मे विकास को गति मिलेगी।