राजस्थान के वर्तमान राज्यपाल कल्याण सिंह अपने कार्यकाल के सफलतापूर्वक चार साल पूरे कर चुके हैं। आज ही के दिन 4 सितंबर, 2014 को कल्याण सिंह ने प्रदेश के राज्यपाल पद की शपथ ली थी। किसी राज्य का राज्यपाल होने के साथ ही राज्यपाल प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति भी होता है। राज्यपाल सिंह के चार साल के कार्यकाल के दौरान प्रदेश में कॉलेज-विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा और संबंधित अन्य कार्यों में उल्लेखनीय सुधार हुए हैं।
स्वामी विवेकानन्द की प्रतिमा, हर समय लहराता राष्ट्रीय ध्वज, कुलगीत और अनुसंधान पीठों की स्थापना से विश्वविद्यालयों में राष्ट्र प्रेम और देश भक्ति का नया माहौल बना है। विश्वविद्यालयों के इतिहास, उद्देश्यों, विशेषताओं और राज्य की शौर्य गाथा पर आधारित कुलगीतों से परिसरो में गौरव गान हो रहा है। दीक्षांत समारोहों में भारतीय पोशाक में पदक और उपाधि ले रहे छात्र-छात्राओं के दमकते चेहरों पर उल्लास देखते ही बनता है। राज्य विश्वविद्यालयों में अब कोई डिग्री पेंडिंग नहीं है। दीक्षांत समारोह नियमित हो रहे हैं। अब उच्च शिक्षा के छात्र-छात्राओं को गांवों से जोड़कर मानव सेवा का पाठ भी पढ़ाया जा रहा है। राज्यपाल कल्याण सिंह की पैनी नजर से विश्वविद्यालयों की कार्य प्रणाली में पारदर्शिता और गुणवत्ता दिखाई दे रही है। देश के दूसरे राज्यों में भी राजस्थान की उच्च शिक्षा में किए गए नवाचारों को अपनाया जा रहा है।
कुलाधिपति की परिकल्पना से उच्च शिक्षा में क्रांतिकारी बदलाव
कुलाधिपति कल्याण सिंह की परिकल्पना और निरन्तर माइक्रो समीक्षा से विश्वविद्यालयों की कार्य संंस्कृति में परिवर्तन दिखाई दे रहा है। परिसरों में पारदर्शिता से फैसले लिए जा रहे हैं। चार वर्षों में कल्याण सिंह ने उच्च शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन कर क्रांतिकारी बदलाव ला दिए हैं। इन परिवर्तनों के सकारात्मक परिणाम राज्य की उच्च शिक्षा में अब दिखाई देने लगे हैं।महापुरूषों, स्थानीय लोक देवताओं पर शोध पीठों के गठन से अनुसंधान में गुणवत्ता लाने के विशेष प्रयास विश्वविद्यालयों में अब फलीभूत हो रहे है। राज्यपाल कल्याण सिंह युवाओं को तीन सीख दीं हैं। जीवन में कभी निराश एवं हताश नहीं हों। जीवन का लक्ष्य तय करे। गुरूजन, माता-पिता, समाज, देश का योगदान कभी नहीं भूलें।
वंचितों और असहायों को मिला राज्यपाल का साथ
परिसरों में स्वच्छता, नियमित कक्षाएं, समयबद्ध परीक्षा, परिणाम व दीक्षांत समारोहों के साथ ही कार्यों में पारदर्शिता से राज्य की उच्च शिक्षा की तस्वीर बदल गई है। वंचितों और असहायों की आवाज सुनी जा रही है क्योंकि उनके सहयोग के लिए स्वयं कुलाधिपति कल्याण सिंह मजबूती के साथ खड़े हुए हैं। किसी भी विद्यार्थी का भविष्य अंधेरे में न रहे बल्कि उसके जीवन को नई रोशनी मिले, इसके लिए गम्भीरता से प्रयास हो रहे हैं। विश्वविद्यालयों में शिक्षा के वातावरण में बदलाव दिखाई दे रहा है।
कुलाधिपति की पैनी नजर, कार्यों में पारदर्शिता
कुलाधिपति कल्याण सिंह ने विश्वविद्यालयों के कार्यों में पारदर्शिता को प्राथमिकता दी है। विश्वविद्यालयों के कार्यों पर उनकी पैनी नजर है। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर में बायोटेक्नोलोजी विभाग में प्रोफेसर के पद पर हुई भर्ती में अनियमितता की शिकायत पर राज्यपाल ने भर्ती की जांच लोकायुक्त को सौंपी। राज्य ही नही बल्कि देश के विश्वविद्यालयों के किसी मामले में लोकायुक्त से जांच करवाने का कदाचित यह पहला मामला है।
कुलाधिपति की प आठ योजना, कुलपतियों के लिए 9वां ‘प’
शैक्षणिक माहौल बनाने और विभिन्न शैक्षणिक एवं इतर शैक्षणिक व्यवस्थाओं के सुचारू संचालन के लिए राज्यपाल सिंह ने प को केन्द्र बिन्दु निर्धारित करते हुए आठ सूत्रीय कार्ययोजना बनाई। आठ सूत्रीय बीजमन्त्र से कुलपति अपने-अपने विश्वविद्यालयों में पकड मजबूत कर सकते हैं। कल्याण सिंह का मानना है कि नवा ‘प’ कुलपतियों के जिम्मे है और वे इसे किस प्रकार अपने अपने परिसरों में लागू करते है, यह उनकी इच्छाशक्ति और कार्यशैली को दर्शाएगी। कुलाधिपति सिंह द्वारा तैयार की गई इस कार्य योजना में 1. प्रवेश 2. पढ़ाई 3. परिसर 4. परीक्षा 5. परीक्षण 6. परिणाम 7. पुनर्मूल्यांकन और 8. पदक जैसी विश्वविद्यालयों की समस्त गतिविधियों को इन बिन्दुओं में समाहित किया गया है। प्रत्येक गतिविधि की समीक्षा एवं समाधान का पैना मार्गदर्शन इस योजना में है।
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गांवों में पेड़ की नीचे लगती है राज्यपाल की चौपाल
राज्यपाल कल्याण सिंह दीक्षांत समारोह के दूसरे दिन विश्वविद्यालयों द्वारा गोद लिए गए गांव और ढाणियों में जाकर ग्रामीणों से बात करते हैं। उनकी समस्याए सुनते हैं और समस्याओं का निराकरण भी करते हैं। राज्यपाल के दौरे से ग्रामीण आश्चर्यचकित होते हैं और राज्यपाल इन दौरों से संतुष्ट नजर आते हैं। कुलाधिपति सिंह ने कहा कि मैंने अपने हाथों से खेती-बाडी की है। गांव की समस्या और किसानों की पीड़ा से मैं अच्छी तरह वाफिक हूं। इसलिए गांवों को गोद लेकर वहां विकास कार्य करने के लिए मैंने विश्वविद्यालयों से कहा है। गांव के विकास के दस सूत्र कुलाधिपति कल्याण सिंह ने बताए हैं। सड़क, स्वास्थ्य, सिंचाई, शिक्षा, शक्ति(बिजली), सुरक्षा व स्वरोजगार से स्वालंबन पनपेगा तथा बेटियों को उच्च शिक्षा तक पढाने, सद्भाव के वातावरण व घरों में शौचालय बनाने से समाज निरन्तर आगे बढ़ेगा।