जयपुर। देशभर में महामारी कोरोना वायरस से हाहाकार मचा हुआ है। इस दौरान कुछ ऐसी घटनाएं भी सामने आ रही हैं कि उन्हें देख और सुनकर शरीर सुन्न हो जाता है। भारत-पाक सीमा से सटे सरहदी बाड़मेर जिले में दिल दहला देने वाली यह घटना सामने आई। श्मशान स्थल पर 3 बेटियाें ने कोरोना से मौत का शिकार हुए पिता को मुखाग्नि दी। कुछ देर बाद अचानक उनमें से एक बेटी जोर से चिल्लाई- पिता मेरे सब कुछ थे, जब वही नहीं रहे तो मैं जी कर क्या करूंगी। यह कहते हुए चिता पर कूद पड़ी। यह दृश्य जिसने भी देखा, उसके रोंगटे खड़े हो गए। वहां खड़े लोग कुछ समझ नहीं पाए और बेटी झुलस गई। उसे जैसे-तैसे बाहर खींचा और अस्पताल ले गए। वह 70 प्रतिशत तक जल गई है। अब अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रही है।
कोरोना पॉजिटिव थे पिता
बाड़मेर के रॉय कॉलाेनी में रहने वालेे 65 वर्ष के दामोदर शादरा कोरोना पॉजिटिव थे। उन्हें उनकी बेटियों ने बाड़मेर राजकीय अस्पताल में भर्ती करा दिया। यहां उनका इलाज चल रहा था, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। बेटियों के लिए यह संकट का समय है, क्योंकि उनके हर संघर्ष के साथी, पिता अब नहीं रहे थे।
पिता की चिता में कूद गई बेटी
बाड़मेर के जिला मुख्यालय पर स्थित रॉय कॉलोनी निवासी दामोदर दास शारदा की कोविड-19 की वजह से मौत हो गई थी। घरवालों ने जिला मुख्यालय के श्मशान घाट पर उनके अंतिम संस्कार की तैयारियां पूरी की। चिता को मुखाग्नि दी गई। परिजन पास में बैठकर चिता को देखने लगे। इस दौरान दामोदरदास की बेटियां भी वहां मौजूद थी। अचानक दामोदर दास की 30 साल की बेटी चंद्रा शारदा ने जलती चिता में छलांग लगा दी। यह देखकर वहां मौजूद अन्य परिजनों के हाथ पांव फूल गये। लेकिन चन्द्रा की बड़ी बहिन 35 वर्षीय पिंकी उसे चिता से निकालने में जुट गई। लेकिन जब तक चन्द्रा को चिता से निकाला गया तब तक वह 70 फीसदी से अधिक जल चुकी थी। परिजनों ने उसे तुंरत राजकीय चिकित्सालय पहुंचाया। अधिक जल जाने के कारण चंद्रा की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है।