वर्तमान राजस्थान सरकार द्वारा प्रदेश के किसानों के हित में किए जा रहे सराहनीय प्रयासों से उन्हें आर्थिक रूप से संबल मिला है। इसी का नतीजा है कि वर्तमान राजे सरकार के कार्यकाल में प्रदेश के किसान कृषि में हुए नवाचारों को आजमाने से भी नहीं चुक रहे हैं। राज्य सरकार केन्द्र के साथ मिलकर इस दिशा में काम कर रही है कि 2022 से पहले किसानों का मुनाफा दोगुना हो सके। इसी बीच बुधवार को प्रदेश के कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी की उपस्थिति में पंत कृषि भवन में किनोवा प्रसंस्करण इकाई लगाने के लिए कृषि विभाग और ऑर्गेनिक वन टू वन कंपनी के बीच एमओयू हस्ताक्षरित हुआ है। कंपनी द्वारा उदयपुर और टोंक में प्रसंस्करण इकाई स्थापित की जाएगी। जिस लगभग 20 करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा और इस इकाई के लगने से 270 लोगों को प्रत्यक्ष और एक हजार लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। इस एमओयू पर कृषि विभाग की ओर से अतिरिक्त मुख्य सचिव नीलकमल दरबारी और कंपनी के राजस्थान प्रभारी राकेश सैनी द्वारा हस्ताक्षर किए गए। कृषि मंत्री सैनी ने बताया कि कृषि क्षेत्र में नवाचार अपनाकर ही किसानों की आमदनी दोगुनी हो सकती है।
किसानों की आमदनी बढ़ाने में मददगार सिद्ध होगा एमओयू
कृषि मंत्री सैनी ने कहा कि किसानों की आमदनी बढ़ाने में यह एमओयू मददगार साबित होगा। यह कंपनी राज्य में उत्पादित होने वाले किनोवा का किसानों से बायबैक करेगी। अभी राज्य में इसकी कोई प्रसंस्करण इकाई नहीं होने से इसकी बिक्री में समस्या आ रही थी, लेकिन इस इकाई के लगने के बाद, उन्हें किनोवा की अच्छी कीमत मिलेगी। यह प्रोजेक्ट एक वर्ष पूरा हो जाएगा और आगामी 3 माह में कंपनी द्वारा लघु प्रसंस्करण इकाई स्थापित कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि राज्य के 11 जिलों के 10 हजार किसानों द्वारा किनोवा की खेती की जा रही है। राज्य के किसानों में इस खेती को लोकप्रिय बनाने के लिए सरकार द्वारा मिनी किट भी वितरित किए गए हैं।
राज्य में किनोवा की खेती से किसानों को होगा बड़ा मुनाफा
कृषि मंत्री सैनी ने बताया कि आज के युग में स्वास्थ्य के प्रति युवाओं का रूझान बढ़ा है, जिसमें जिम का उपयोग करना दैनिक दिनचर्या का हिस्सा हो गया है। फाईबर डाईट के लिए क्विनोआ सुपर फूड के रूप जाना जाता है। बता दें, किनोवा बथुआ प्रजाति का सदस्य है, जिसे रबी में उगाया जाता है। इसका वानस्पितक नाम चिनोपोडियम किनोवा है। इसके बीज को सब्जी, सूप, दलिया और रोटी के रूप में प्रयोग में लाया जा सकता है। पोषक तत्वों की बहुलता की वजह से इसे सुपर फूड और मदर ग्रेन कहा गया है।
कृषि मंत्री सैनी ने बताया कि इसे क्षारीय और बंजर भूमि में भी उगाया जा सकता है। किनोवा का पेड़ सूखा और पाला सहन करने के साथ कीट रोग सहनशील भी है। उन्होंने बताया कि उन्नत तरीके से खेती करने पर इसका उत्पादन एक हेक्टेयर में 20 से 30 क्विंटल तक हो सकता है। किनोवा की खेती मुख्यतः दक्षिण अमरीका के पेरू, इक्वाडोर, बोलिबिया में की जाती है। नवाचारों को आगे बढ़ाते हुए राजस्थान में इसकी खेती पहली बार मौजूदा राजे सरकार के कार्यकाल में शुरू की गई है।