भारत का सबसे स्वच्छ शहर है इंदौर। मध्य प्रदेश में स्थित इसी सुंदर शहर से देशभक्ति की मिसाल देने वाली एक बड़ी सुंदर सी खबर भी सामने आई है। नेक दिली की खबर। वो ख़बर ये है कि यहां के बेटमा गांव में एक शहीद की पत्नी, जो झोपड़ी में रह रही थी, उसके लिए कुछ लोगों ने चंदा जमा करके नया घर बनाया और रक्षाबंधन के दिन उस औरत ने घर में प्रवेश किया।
देशभक्ति की मिसाल जाने विस्तार से
साल 1992 में बेटमा गांव के मोहन सिंह, जो बीएसएफ जवान थे, शहीद हो गए थे। उस वक्त उनका बेटा 3 साल का था और पत्नी राजू बाई प्रेगनेंट थीं। परिवार गरीब था, झोपड़ी में रहता था। मोहन के शहीद होने के 25 साल बाद तक सरकार ने राजू बाई को किसी तरह की कोई मदद नहीं दी। उन्होंने जैसे-तैसे करके, किसी तरह से अपने दोनों बच्चों को पाल पोसकर बड़ा किया। वो उसी झोपड़ी में रह रही थीं।
पिछले साल शहीद समरसता टोली का एक मेंबर बेटमा गांव गया। ये टोली इंदौर के कुछ लोगों का ग्रुप है, जो शहीद परिवारों का ध्यान रखता है। गांव-गांव जाता है, और शहीदों के परिवारों से मिलता है। समाज से जात-पात के भेदभाव को खत्म करने का भी काम करता है।
तो हुआ ये कि पिछले साल इसी ग्रुप का एक व्यक्ति बेटमा गांव पहुंचा। वहां उसे ये टूटी-फूटी झोपड़ी दिखी। उसने अपने ग्रुप के बाकी लोगों से कॉन्टैक्ट किया। उन लोगों ने राजू बाई से बात की। उनकी कहानी जानी। पता चला कि सरकार मदद नहीं कर रही है। तो शहीद समरसता टोली ने खुद मदद का बीड़ा उठा लिया।
पिछले रक्षाबंधन किया था वादा, इस रक्षाबंधन देशभक्ति की मिसाल दे दी
इस टोली के लोगों ने पिछले रक्षाबंधन राजू बाई से राखी बंधवाई और नया-पक्का घर बनाकर देने का वादा किया। गांव-गांव जाकर चंदा इकट्ठा किया। ‘एक चेक एक दस्तखत’ अभियान चलाया. अभियान सफल रहा। टोली ने 11 लाख रुपए इकट्ठे कर लिए। जोसे दो भागों में बांटा। 10 लाख रुपए से पक्का मकान बनाया। बचे हुए एक लाख से शहीद मोहन की प्रतिमा बनाने के लिए रखे, ये प्रतिमा अभी बन रही है।
मकान बनाकर 15 अगस्त के दिन चाबी राजू बाई को सौंप दी। 15 अगस्त वाले दिन राजू ने नए घर में प्रवेश कर लिया। वो इस टोली के लोगों की हथेलियों पर चलकर अपने नए घर तक पहुंचीं। 26 साल बाद अब जाकर राजू पक्के मकान में रहेंगी।
शहीद समरसता टोली के संयोजक हैं विशाल राठी का कहना
हमने घर बना दिया है। शहीद के परिवार के हाथ में उसकी चाबी भी दे दी है। शहीद मोहन सिंह की प्रतिमा बनाने का काम भी किया जा रहा है। साथ ही हम इस कोशिश में भी हैं, कि मोहन जिस स्कूल में पढ़े हैं, उसका नाम बदलकर उनके नाम पर कर दिया जाए। हम इसके लिए कोशिशें कर रहे हैं।
मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इस काम की तारीफ की और ट्वीट कर कहा…
इंदौर के बेटमा गांव के युवाओं ने शहीद के परिवार की मदद कर देशभक्ति की मिसाल कायम की है। आप जैसे युवा ही भारत की असली पहचान हैं। आप सभी ने सच्चे अर्थों में साबित किया है कि देश की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्योछावर करने वाले का परिवार उसके जाने के बाद देश का परिवार बन जाता है।
इंदौर के बेटमा गाँव के युवाओं ने शहीद के परिवार की मदद कर देशभक्ति की मिसाल कायम की है!
आप जैसे युवा ही भारत की असली पहचान हैं!
आप सभी ने सच्चे अर्थों में साबित किया है कि देश की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्योछावर करने वाले का परिवार उसके जाने के बाद देश का परिवार बन जाता है! https://t.co/kwRgJF1KLs
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) August 16, 2019
राज्य के नए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी इस काम की तारीफ की। कहा कि युवाओं ने शहीद के परिवार के लिए जो किया, उससे रक्षाबंधन और स्वतंत्रता दिवस, दोनों ही सार्थक हो गए हैं। ये उनका ट्वीट-
27 वर्ष पूर्व शहीद हुए इंदौर जिले के बेटमा के पीर पीपल्या गाँव के बीएसएफ़ के जवान शहीद मोहन सिंह सुनेर के परिवार के लिये, जो अभाव में जीवन जी रहा था ,
1/2— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) August 15, 2019
वाकई ये काम, दिल जीतने वाला है। उम्मीद है कि इस काम को देखकर उन सब लोगों की आंख खुलेगी, जो अपनी जिम्मेदारियों से भागते रहे हैं। आप समझ तो गए ही होंगे कि हमारी निगाहें कहां पर है और निशाना कहां पर। 15 साल शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री रह कर गए लेकिन विकास के दावे करने वाले एक शहीद की पत्नी को घर तक नहीं दिला पाए! सोचनीय!
दूसरे हमारे कमलनाथ जी जिनके रिश्तेदार करोड़ो रूपये के मामलों में पकड़े जा रहे हैं। जिन्होंने दूसरों के द्वारा घर बनाने पर ट्वीट कर बधाई तो झट से दे दी। लेकिन ये नहीं देखा कि उसके जैसी कितनी और वीरांगनाओं को अभी तक उचित सम्मान नहीं मिला। उन्हें ये दिया जाए।