जयपुर। कोयले की कमी से पैदा हुए बिजली संकट का असर राजस्थान में दिखने लगा है। सरकार ने लगभग सभी जिलों में बिजली कटौती की घोषणा कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि बिजली की उपलब्धता में कमी आ गई है। इस कमी को देखते हुए डिमांड और सप्लाई को मेंटेन करने के लिए यह ‘एनर्जी मैनेजमेंट’ किया गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकारी विभाग से अपील करते हुए बिजली बचाने के निर्देश दिए हैं।
शहरों में 1 और गांवाें में 4 घंटे की बिजली कटौती
राजस्थान में बिजली संकट को देखते हुए जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड ने बड़े पैमाने पर बिजली कटौती करने का फैसला किया है। इसके तहत सभी जिला मुख्यालयों और सभी नगरपालिका क्षेत्रों में दिन के समय 1 घंटे की बिजली कटौती की जाएगी। जबकि ग्रामीण इलाकों में 3 से 4 घंटे की कटौती की करने का फैसला लिया गया है। निगम ने कोयले की कमी को ही बिजली कटौती का कारण बताया है। विभाग के अधिकारियों ने बताया कि दौसा, जयपुर जिला सर्किल, टोंक, सवाई माधोपुर जिले के नगरपालिका क्षेत्रों में शाम 4 से 5 बजे तक और भरतपुर, करौली, कोटा, झालावाड़, बूंदी, बारां जिले के नगरपालिका क्षेत्रों में 1 घंटे की बिजली कटौती शाम 5 से 6 बजे तक की जाएगी। ग्रामीण इलाकों में भी दिन के समय ही बिजली कटौती का निर्णय लिया गया है।
जयपुर में 200 कॉलोनी और बस्तियों में 4 से 7 घंटे की कटौती
राज्य सरकार ने खुद भी माना है कि प्रदेश में बिजली संकट बढ़ा है। हालात ये हैं कि राजधानी में ही शुक्रवार को करीब 200 कॉलोनी और बस्तियों में 4 से 7 घंटे तक बिजली सप्लाई नहीं आने की घोषणा की जा चुकी है। राजस्थान में 35 डिग्री से ऊपर के तापमान के बीच लोगों को गर्मी में रहना पड़ रहा है। जयपुर डिस्कॉम क्षेत्र में आने वाले ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में 2 से 5 घंटे की बिजली कटौती की जा रही है। जोधपुर डिस्कॉम क्षेत्र के अंतर्गत कई जिलों में कंपनी की ओर से बिजली कटौती लागू की गई है।
CM निर्देशों की अनदेखी कर रहे अफसर-कर्मचारी
7 अक्टूबर को मुख्यमंत्री निवास पर CM अशोक गहलोत ने वीडियो कांफ्रेस के जरिए बिजली संकट पर बैठक की थी। जिसमें बिजली विभाग के आला अफसर, मुख्य सचिव सहित अलग-अलग जिलों के अफसरों से बिजली बचाने के लिए जागरूक करने को कहा था। गहलोत ने सरकारी अफसरों को निर्देश दिए थे कि एसी बन्द रखें। बिजली की बचत करें। केवल जरूरत पड़ने पर ही बिजली उपकरणों का इस्तेमाल करें, वरना उन्हें बाकी समय उपकरणों को बंद रखा जाए। लेकिन सरकारी अफसर मनमानी करने से बाज नहीं आ रहे।