रमजान के आखिरी दिन यानि कल चांद दिख गया है इसलिए आज देशभर में आबो-अदब के साथ ईद मनाई जा रही है। चूंकि यह रमजान वाली ईद है इसलिए इसे मीठी ईद या ईद-उल-फितर भी कहा जाता है। मुस्लिम भाईयों के लिए ईद सबसे बड़ा त्योहार है। रमजान के आखिरी महीनों में ईद का दिन चांद तय करता है। रमज़ान की आखिरी रात का चांद ही बताता है कि अगले दिन ईद होगी या नहीं। इस साल केरल को छोड़कर आज ही देशभर में ईद-उल-फितर मनाया जा रहा है।
ईद-उल-फितर को दिए जाने वाले इस दान को इस्लाम में फितरा कहते हैं इसीलिए इस ईद को ईद-उल-फितर या मीठी ईद कहा जाता है। इस दिन मुस्लिम समुदाय दिन की शुरूआत ईदगाह जाकर खुदा की इबादत यानि नमाज से करते हैं। उसके बाद नए कपड़े पहनकर दावत का लुत्फ उठाते हैं।
ईद-उल-फितर को क्यों कहा जाता है मीठी ईद
असल में पूरे रमजान माह में मुसलमान समुदाय रोजा/व्रत रखते हैं। रमजान का महीना 30 दिन का होता है। ऐसे में मुसलमान पूर 30 दिन रोजा रखते हैं। रोजा रखने वाला व्यक्ति इफ्तार और सहरी के दौरान ही कुछ ग्रहण करता है। इसके अलावा वह पानी तक नहीं पीता। इस दिन रोजा खत्म करने के लिए मीठे पकवान बनाए और खाए जाते हैं। सिवैया उनका खास पकवान होती है। इस दिन सभी आपस में गले मिलकर अल्लाह से सुख-शांति और बरक्कत के लिए दुआएं मांगते हैं। अपने से छोटों को ईदी दी जाती है और दान देकर अल्लाह को याद किया जाता है।
क्यूं मनाई जाती है ईद-उल-फितर
मान्यता है कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बद्र के युद्ध में विजय हासिल की थी। इसी खुशी में ईद-उल-फितर मनाई जाती है। माना जाता है कि पहली बार ईद-उल-फितर 624 ईस्वी में मनाई गई थी। जैसाकि पहले भी कहा गया है, ईद मुस्लिमों का सबसे बड़ा त्योहार है। हिन्दी में ईद का अर्थ त्योहार या पर्व होता है। रमज़ान खत्म होने के 70वें दिन बकरी ईद मनायी जाती है जिसे कुर्रबानी की ईद माना जाता है।
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