प्रदेश के लिए बड़ी राहत की ख़बर यह है कि अब लगातार भूजल स्तर में सुधार हो रहा है। वर्षों से जलसंकट से जूझने वाले राजस्थान में मुख्यमंत्री राजे के दूरदर्शी सोच वाला कार्यक्रम एमजेएसए अभियान राहत प्रदान करता नज़र आ रहा है। दरअसल, भूजल वैज्ञानिकों का कहना है कि लोगों में जल संरक्षण के प्रति बढ़ती जागरुकता और मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान जैसे कार्यों के चलते प्रदेश के 21 जिलों में भूजल स्तर में सुधार हुआ है। वैज्ञानिकों ने यह भी बताया कि राजस्थान के 12 जिले अभी भी ऐसे हैं जिनमें लगातार भूजल स्तर में गिरावट हुई है।
भूजल वैज्ञानिकों के अनुसार प्रदेश का औसत भूजल स्तर 25.26 मीटर
राजस्थान के भूजल वैज्ञानिक गोपाल प्रसाद शर्मा के अनुसार प्रदेश का औसत भूजल स्तर 25.26 मीटर है। उन्होंने बताया कि बांसवाड़ा जिले में सबसे कम 8.15 मीटर की गहराई पर भूजल उपलब्ध है, जबकि बीकानेर में सबसे ज्यादा 66.65 मीटर की गहराई पर भूजल है। साल 2016 के मुकाबले साल 2017 के मानसून पूर्व आंकड़ों में दौसा जिले में सबसे ज्यादा भूजल स्तर की गिरावट दर्ज की गई है। दौसा में माइनस 1.88 मीटर गिरावट हुई जबकि सीकर में सबसे कम माइनस 0.19 मीटर की गिरावट भूजल में हुई है।
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भूजल वैज्ञानिकों के अनुसार प्रदेश के जिन 12 जिलों में भूजल स्तर में गिरावट हुई है उनमें भरतपुर, अलवर, बारां, बाड़मेर, बीकानेर, जोधपुर, जालौर, चूरू, झूंझुनूं और नागौर शामिल हैं। वहीं, राजस्थान के जिन 21 जिलों में बढ़ोतरी हुई है, उनमें चित्तौड़गढ जिले में सर्वाधिक 4.66 मीटर की बढ़ोतरी दर्ज हुई है।