जयपुर। राजस्‍थान के मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में छाए रहते हैं। डोटासरा आए दिन विवादित बयान देते हैं। अशोक गहलोत के मंत्री डोटासरा एक बार फिर अपने बयान को लेकर सुर्खियों में छाए हुए हैं। प्रदेश के पूर्व शिक्षामंत्री और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के महाराणा प्रताप को लेकर दिए बयान दिया है। डोटासरा के महाराणा प्रताप और अकबर के बीच युद्ध को सत्ता का संघर्ष बताने पर सियासत तेज हो गई है।

राजे बोलीं- कांग्रेस माफी मांगे
प्रदेश की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने ट्विट कर कांग्रेस को माफी मांगने का कहा है। उन्होंने ट्विट करते हुए कहा कि महाराणा प्रताप व अकबर के संघर्ष को सिर्फ़ सत्ता की लड़ाई बताकर कांग्रेस ने मेवाड़ के स्वाभिमानी इतिहास को ललकारा है। महाराणा प्रताप ने आजीवन मातृभूमि की रक्षा का संकल्प जारी रखा। अकबर के साथ महाराणा प्रताप का युद्ध सत्ता संघर्ष नहीं, बल्कि राष्ट्र सुरक्षा का संघर्ष था। उन्होंने मेवाड़ के स्वाभिमान की खातिर जंगलों में घास की रोटियां तक खाई, ऐसे पराक्रमी योद्धा के अपमान पर कांग्रेस को सार्वजनिक रूप से जनता से माफी मांगनी चाहिए।

BJP नेताओं ने डोटासरा को घेरा
डोटासरा के बयान के बाद BJP नेताओं ने ट्विटर पर उनकी कड़ी आलोचना कर रहे है। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, BJP प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, प्रतिपक्ष नेता गुलाबचंद और उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ सहित कई नेताओं ने हमला बोला रहे है। बीजेपी ने डोटासरा को महाराणा प्रताप के प्रति आदतन कुंठित मानसिकता रखने वाला बता दिया।

डोटासरा ने दिया ये बयान
आपको बता दें कि डोटासरा गुरुवार को नागौर जिले के दौरे पर थे। यहां उन्होंने दो दिवसीय जिला स्तरीय कांग्रेस कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर में पहले दिन कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने अपने राज के दौरान विद्या भारती की तर्ज पर पाठ्यक्रम बनवाए। उन्होंने महाराणा प्रताप और अकबर के बीच हुई लड़ाई को धार्मिक लड़ाई बताकर पाठ्यक्रम में शामिल करवा रखा था, जबकि ये सत्ता का संघर्ष था। बीजेपी हर चीज को हिन्दू-मुस्लिम के धार्मिक चश्मे से देखती है।

कटारिया भी दे चुके हैं विवादित बयान
डोटासरा को प्रतिपक्ष नेता गुलाबचंद कटारिया भले ही कठघरे खड़ा कर रहे हों, लेकिन पहले वह खुद महारणा प्रताप पर बेतुका बयान दे चुके हैं। उपचुनाव के दौरान उन्होंने भरे मंच से महाराणा प्रताप को लेकर विवादित बयान दिया था। इसको लेकर मेवाड़ में काफी विरोध भी हुआ। इसके बाद उन्हें माफी मांगनी पड़ी।