भरतपुर। कई ऐसी गंभीर बीमारीयां होती हैं जिनका समय पर इलाज न मिलने पर जानलेवा साबित हो सकती है. इन्हीं में से एक बीमारी है गिल्लन-बर्रे सिंड्रोम (G.B.S) जिसे समय रहते नियंत्रित नहीं किया गया तो यह जानलेवा तक साबित हो सकती है। अगर वक्त रहते इसका इलाज हो जाए तो इससे बचा भी जा सकता है। इसी गंभीर बीमारी की चपेट में आ गया था।

भरतपुर निवासी पांच वर्षीय हर्षित। आर्थिक स्थिति से कमजोर हर्षित का परिवार ईलाज कराने में असमर्थ था। इस बीमारी से जीवन और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हर्षित के परिजनों ने ईलाज के लिए डीएम से आर्थिक मदद की गुहार लगाई। डीएम आलोक रंजन ने सीएमओ में बात कर राजस्थान मुख्यमंत्री सहायता कोष से ईलाज के लिए 1.50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दिलवाकर इंसानियत की अनूठी मिशाल पेश की है। डीएम के इस नेक काम की चारों तरफ सराहना हो रही है। वही पीड़ित हर्षित का लखनऊ में स्थित संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGIMS) में उपचार जारी है।

डीएम ने CMO बात कर ईलाज के लिए पीड़ित को दिलवाए 1.50 लाख रुपए

जिला कलेक्टर आलोक रंजन ने बताया कि रूपवास कस्बे के नगला पातरिया, रूंध निवासी पांच वर्षीय हर्षित पुत्र सुरेश चंद गिल्लन-बर्रे सिंड्रोम बीमारी से पीड़ित था.आर्थिक स्थिति कमजोर होने के चलते परिजन ईलाज कराने में सक्षम नहीं थे. पीड़ित के परिजनो ने इस बीमारी के ईलाज की आर्थिक मदद के लिए कुछ दिनों पहले अवगत कराया. इस बीमारी के बारे में भरतपुर सीएमएचओ डॉ लक्ष्मण सिंह से भी बातचीत करके सीएमओ बात की और हर्षित के ईलाज के लिए राजस्थान मुख्यमंत्री सहायता कोष से 1.50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दिलवाई.वही हर्षित का लखनऊ के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGIMS)में उपचार चल रहा है. वही हर्षित के पिता सुरेश चंद ने बताया कि डीएम के प्रयासों से ही उन्हें अपने बच्चे के इलाज के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से 1.50 लाख रुपये की मदद मिली है।

संवाददाता- आशीष वर्मा