वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री से किनारा तो नहीं कर रही है कांग्रेस पार्टी, चुनाव प्रचार में बनाया था सीएम चेहरा
कांग्रेस के वरिष्ठ राजनीतिज्ञ और नेता सीपी जोशी को सत्ता हासिल करने के बाद 23 सदस्यीय मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। जबकि चुनाव प्रचार में कांग्रेस की ओर से जो 6 मुख्यमंत्री चेहरे दिखाए गए थे, सीपी जोशी उनमें से एक थे। नए मंत्रिमंडल में जगह न दिए जाना सत्ता पक्ष को ही बल्कि विपक्ष तक को खटक रहा था। वजह थी कि इतने बड़े नेता को आखिर कोई बड़ी जिम्मेदारी क्यों नहीं दी गई। हाल ही में कांग्रेस ने चौंकाते हुए सीपी जोशी को विधानसभा अध्यक्ष नियुक्त कर दिया जिसे सहसम्मान उन्होंने स्वीकार कर लिया। अब गौर करने वाली बात यह है कि आमतौर पर विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी और सत्ता की बातों से दूरी सी बन जाती है। सदन की उस ऊंची कुर्सी पर बैठने के बाद किसी भी पक्ष के साथ पक्षपात न करते हुए सभी को समान रखना पड़ता है। कुछ समय पहले तक यह कार्य कैलाश मेघवाल कर रहे थे जो भाजपा के वरिष्ठ नेता और वर्तमान विधायक हैं। पिछली केन्द्र सरकार में सीपी जोशी सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री रहे। यह सब जानते-बूझते हुए भी कांग्रेस और आलाकमान ने उन्हें यह जिम्मेदारी क्यूं दी। वर्तमान में जोशी नाथद्वारा विधानसभा सीट से विधायक भी हैं।
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अब समझ में यह नहीं आ रहा है कि जोशी जो कुछ समय पहले तक कांग्रेस के सीएम पद के दावेदार रहे, उन्हें अचानक से विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी क्यूं संभलवाई गई। जबकि हकीकत यह है कि पिछले लोकसभा चुनाव में सीपी जोशी को जयपुर ग्रामीण से चुनाव लड़ाया गया था। हालांकि यहां उन्हें राज्यवर्धन सिंह राठौड़ से मात खानी पड़ी थी। विधानसभा चुनावों के बाद भी माना यही जा रहा था कि या तो जोशी को राज्य सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाएगी या फिर लोकसभा का टिकट दिया जा सकता है। अचानक से यह उलट फैसला तो यही दर्शा रहा है कि वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और आलाकमान मिलकर जोशी की भविष्य की मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर चिंतित हैं और उन्हें राजनीति से कोसों दूर रखना चाह रहे हैं।
बात वाजिब भी दिख रही है क्योंकि अशोक गहलोत के बाद सीपी जोशी का सीएम पद की दावेदारी करना पक्का है। इसी जिम्मेदारी के लिए सचिन पायलट भी दावेदारी ठोक रहे हैं। ऐसे में जोशी को किनारा किया जाना जरूरी था। फिलहाल सचिन उपमुख्यमंत्री के साथ पार्टी प्रदेशाध्यक्ष भी हैं। ऐसे में भविष्य में राजस्थान में कांग्रेस की सत्ता आती है तो भी पायलट ही सीएम पद के प्रबल दावेदार होंगे। अगर उस समय गहलोत राजस्थान की राजनीति से दूर होकर केन्द्र में बड़ी जिम्मेदारी निभाते हैं तो सीपी जोशी से आसानी से पल्ला झाड़ा जा सकता है।
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