जयपुर। राजस्थान के स्वायत्त शासन विभाग ने घर पर पशु पालने के लिए नए नियम बनाए हैं। प्रदेश के 213 शहरों में अब एक ही गाय या भैंस पाली जा सकेगी। इसके लिए भी कम से कम 100 वर्गगज जमीन अलग तय कर निगम या पालिका से लाइसेंस लेना होगा। अशोक गहलोत सरकार के एक नये फरमान से शहरों में गाय पालने वालों के सामने तो मुसीबत खड़ी हुई ही है। लेकिन इसके साथ ही गाय पर एक फिर से प्रदेश में सियासत भी शुरू हो गई है।

गाय को हिंदुओं दूर करने की साजिश
गाय पालकों ने गहलोत सरकार पर आरोप लगाया कि ये हिंदुओं को गाय से दूर करने की साजिश है। अगर बकरे रख सकते हैं और उनसे गंदगी होती है तो फिर गाय क्यों नहीं। बीजेपी ने इस आदेश को हिंदू विरोधी करार दिया है। बीजेपी ने आरोप लगाया कि गहलोत सरकार एक के बाद हिंदू विरोधी फैसले कर रही है।

गहलोत सरकारी की तुष्टीकरण की राजनीति
बीजेपी ने भी कांग्रेस के फैसले को तुगलकी फरमान करार दिया है। बीजेपी ने आरोप लगाया कि गहलोत सरकार तुष्टीकरण की राजनीति कर रही है और गाय को मोहरा बना रही है। बीजेपी ने कहा गहलोत सरकार ने पहले रमजान में मुस्लिम इलाकों में बिजली कटौती न करने के आदेश जारी किया तो अब गाय पर शहरों में पांबदी का। बीजेपी ने आरोप लगाया कि ये हिंदू विरोधी फैसला है।

गौ पालन को लेकर नया कानून
सरकार के इन नियमों के तहत पशु मालिक को पाबंद किया गया है कि वो ध्यान में रखें कि पड़ोस में रहने वालों को गोबर मूत्र आदि से कोई परेशानी न हो। हर पशु के कान में टैग बांधना होगा। जिस पर मालिक का नाम, पता व मोबाइल नंबर लिखना होगा। पशु बाहर घूमता पाया गया तो 10 हजार रुपए तक जुर्माना भरना होगा। हर 10 दिन में पशु का गोबर शहर से बाहर ले जाकर डालना होगा। रास्ते या खुले स्थान पर पशु को बांधा नहीं जा सकेगा।