अक्सर सुनने को मिलता है कि आपातकाल में भारत सरकार ने जयपुर के पूर्व राजघराने पर छापे मारकर उनका खजाना जब्त किया था, राजस्थान में यह खबर आम है कि चूँकि जयपुर की महारानी गायत्री देवी कांग्रेस व इंदिरा गांधी की विरोधी थी अत: आपातकाल में देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जयपुर राजपरिवार के सभी परिसरों पर छापे की कार्यवाही करवाई, जिनमें जयगढ़ का किला प्रमुख था।
विश्व का सबसे बड़ा था खजाना, 6 माह तक की खुदाई
जयपुर रियासत के जयगढ़ किले में वर्ष 1975-76 में आपातकाल में भारत सरकार ने विश्व के सबसे बड़े इस किले में करीब छह माह तक पहरे में गुप्त तरीके से खजाने के लिए खुदाई करवाई थी। खुदाई से पहले सवाई मानसिंह द्वितीय की पत्नी गायत्री देवी व पुत्र ब्रिगेडियर भवानी सिंह को गिरफ्तार कर दिल्ली की तिहाड़ जेल में रखा गया था।
मोती डुंगरी किले से मिले 50 करोड़ के हीरें-जवाहरात
इंदिरा गांधी ने जयपुर का जयगढ़ किला 1976 में ही खुदवा दिया था। तब कहा गया था कि मोहम्मद गजनी के लूटे खजाने को अकबर के सेनापति राजा मान सिंह ने जयगढ़ में छिपा रखा था। 6 महीने तक की खुदाई के बाद किले से ट्रकों का काफिला निकला था। लोग बताते हैं कि उस समय मोती डूंगरी किले से भी करीब 50 करोड़ के हीरे-दवाहरात मिले थे।
40 साल से नही पता कहां गया जयगढ़ का खजाना, आज भी रहस्य
इंदिरा राज के उस आपातकाल को आज पूरे 40 साल हो गए है लेकिन आज तक इस रहस्य से पता नही चला की खजाना मिला या नही। इंदिरा के इस अभियान में सेना के अधिकारी, पुरातत्वविद् व करीब 500 लोग थे। अभियान खत्म होने के बाद करीब 65 ट्रकों का लश्कर जयपुर-दिल्ली मार्ग पर निकला, तब कई घंटों तक रास्तो को सील कर रखा था है।
महाराजा मान सिंह ने 141 युद्धो में जीता अरबों का खजाना
जयगढ़ के टांके में दबे खजाने के बारे में कहा जाता है कि अकबर के सेनापति व आमेर महाराजा मानसिंह प्रथम ने काबुल, कंधार सहित 141 युद्धों में जितना धन लूटा था, उसे खजाने में दबाया। माधोसिंह के समय प्रिंस अल्बर्ट तक को जयगढ़ नहीं जाने दिया गया था। 27 जुलाई 1981 को जयगढ़ आम जनता के लिए खोला गया। इतिहासकार यह भी लिखते है कि जयसिंह द्वितीय ने जयपुर का निर्माण इस खजाने से करवाया था।
1975 में आयकर विभाग नें मारा था जयगढ़ पर छापा
11 फरवरी 1975 को आयकर कानून 1961 के तहत केन्द्रीय आयकर आयुक्त वैष्णव व केन्द्रीय गुप्तचर विभाग के उप निदेशक आहूजा के अलावा के.एस. मिन्हास, आर.ए. सिंह ने अधिकारी-कर्मचारी व सैनिकों के साथ जयगढ़ पर छापा डाला था। किलेदार छतर सिंह नाथावत ने उन्हें प्रवेश नहीं करने दिया। बाद में सिटी पैलेस से निर्देश मिलने पर उन्हें किले में जाने दिया। फिर समझौता हुआ कि धन में केन्द्र सरकार का 75 प्रतिशत व राजपरिवार का 25 प्रतिशत हिस्सा होगा।
जयपुर दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग सील कर भेजा था 65 ट्रकों में खजाना
जश्रुतियों के अनुसार उस वक्त जयपुर दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग सील कर सेना के ट्रकों में भरकर खजाने से निकाला धन दिल्ली ले जाया गया, लेकिन अधिकारिक तौर पर किसी को नहीं पता कि इस कार्यवाही में सरकार के कौन कौन से विभाग शामिल थे और किले से खुदाई कर जब्त किया गया धन कहाँ ले जाया गया। चूँकि राजा मानसिंह के इन सैनिक अभियानों व इस धन को संग्रह करने में हमारे भी कई पूर्वजों का खून बहा था, साथ ही तत्कालीन राज्य की आम जनता का भी खून पसीना बहा था। इस धन को भारत सरकार ने जब्त कर राजपरिवार से छीन लिया इसका हमें कोई दुःख नहीं, कोई दर्द नहीं, लेकिन यह जनता के खून पसीने का धन था जो सरकारी खजाने में चला गया और आगे देश की जनता के विकास में काम आयेगा। पर चूँकि अधिकारिक तौर पर यह किसी को पता नहीं कि यह धन कितना था और अब कहाँ है ?
कितना मिला धन, कितना हुआ खर्च नही मिली कोई जानकारी
1- क्या आपातकाल के दौरान केन्द्रीय सरकार द्वारा जयपुर रियासत के किलों, महलों पर छापामार कर सेना द्वारा खुदाई कर रियासत कालीन खजाना निकाला गया था ? यदि हाँ तो यह खजाना इस समय कहाँ पर रखा गया है ?
2- क्या उपरोक्त जब्त किये गए खजाने का कोई हिसाब भी रखा गया है ? और क्या इसका मूल्यांकन किया गया था ? यदि मूल्यांकन किया गया था तो उपरोक्त खजाने में कितना क्या क्या था और है ?
3- उपरोक्त जब्त खजाने की जब्त सम्पत्ति की यह जानकारी सरकार के किस किस विभाग को है?
4- इस समय उस खजाने से जब्त की गयी सम्पत्ति पर किस संवैधानिक संस्था का या सरकारी विभाग का अधिकार है?
5- वर्तमान में जब्त की गयी उपरोक्त संपत्ति को संभालकर रखने की जिम्मेदारी किस संवैधानिक संस्था के पास है?
6- उस संवैधानिक संस्था या विभाग का का शीर्ष अधिकारी कौन है?
7- खजाने की खुदाई कर इसे इकठ्ठा करने के लिए किन किन संवैधानिक संस्थाओ को शामिल किया गया और ये सब कार्य किसके आदेश पर हुआ ?
8- इस संबंध में भारत सरकार के किन किन जिम्मेदार तत्कालीन जन सेवकों से राय ली गयी थी?
जयपुर से लूटे खज़ाने का नही हैं कही जिक्र
उस वक्त जयपुर राजघराने से जब्त खजाना देश के खजाने में जमा ही नहीं हुआ, यदि थोड़ा बहुत भी जमा होता तो कहीं तो कोई प्रविष्ठी मिलती या इस कार्यवाही का कोई रिकोर्ड होता। पर किसी तरह का कोई दस्तावेजी रिकॉर्ड नहीं होना दर्शाता है कि आपातकाल में उपरोक्त खजाना तत्कालीन शासकों के निजी खजानों में गया है। और सीधा शक जाहिर कर रहा कि उपरोक्त खोदा गया अकूत खजाना आपातकाल की आड़ में इंदिरा गाँधी ने खुर्द बुर्द कर स्विस बैंकों में भेज दिया जिसे सीधे सीधे इंदिरा ने जनता के धन पर डाका ड़ाला था।