कभी राजस्थान कांग्रेस के सीएम चेहरे के रूप में देखे गए डॉ. सीपी जोशी आज राजनीति और क्रिकेट दोनों ही जगह झटके झेल रहे हैं। कांग्रेस के कद्दावर नेता जोशी को पिछले महीने कांग्रेस ने संगठन में अहम पद से किनारा किया था, उसके बाद अब आरसीए भी उनका सहारा नहीं रहा। कांग्रेस ने हाल ही में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. सीपी जोशी से सभी पद छीन लिए। कांग्रेस संगठन में सभी पदों से मुक्त किए जा चुके जोशी का अब आरसीए अध्यक्ष पद भी छिन गया है। इसके बाद अब जोशी के लिए ऐसे हालात बने हैं कि न तो पार्टी में उनके पास कोई पद है और न ही क्रिकेट में आगे पारी बढ़ने की स्थिति में नज़र आती है। कांग्रेस में जिस तरह से एक-एक करके जोशी को किनारे किया गया है, उससे उनके समर्थक भी खासे नाराज हैं।
हाल ही में डॉ. जोशी के एक बयान ने पार्टी में मचा दी थी खलबली
राजस्थान कांग्रेस में तीन गुट होने की बात कई बार सामने आती रहीं है। पहला अशोक गहलोत गुट, दूसरा सचिन पायलट और तीसरा सीपी जोशी गुट। आपसी गुटबाजी के चलते राजस्थान कांग्रेस पहले ही बदनाम है, और अब जिस तरह से सीपी जोशी को विधानसभा चुनाव से पहले किनारा किया जा रहा है, उससे तो यही लगता है कि कांग्रेस में जोशी की पारी का अंत होने वाला है। यह प्रदेश कांग्रेस में नई कलह को जन्म दे रहा है। हाल ही में विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी राजस्थान कांग्रेस पार्टी के भीतर प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थकों की गुटबाजी के बीच डॉ. सीपी जोशी के एक बयान ने खलबली मचा दी थी। पार्टी प्रवक्ताओं के साक्षात्कार में गहलोत और पायलट में से श्रेष्ठ कौन? वाले सवाल को लेकर सामने आई गुटबाजी के बीच डॉ. जोशी ने प्रदेश में सीएम फेस को लेकर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा, मुझे राजस्थान की जिम्मेदारी मिलने दीजिए, तब इतना बोलूंगा कि आपको काटना पड़ेगा।’ लेकिन बेचारे सीपी जोशी को क्या पता था कि इतना जल्दी उनका सपना टूट जाएगा। अब उनके पास कांग्रेस में कोई पद नहीं बचा है न ही आरसीए।
जोशी अब भी कर रहे हैं नया पद मिलने की उम्मीद
मंगलवार को डॉ. सीपी जोशी की अध्यक्षता वाली आरसीए को भंग कर तदर्थ समिति गठित कर दी। जिसके चलते जोशी का आरसीए से भी अध्यक्ष पद चला गया। इससे पहले कांग्रेस उन्हें सभी पदों से मुक्त कर बड़ा जख्म दे चुकी है। अब अगर कोई उम्मीद बची है तो वो प्रचार अभियान समिति में पद दिए जाने की है। राहुल गांधी के नजदीकी रहे जोशी का कद पिछली यूपीए सरकार में तेजी से बढ़ा था। वह भी उस स्थिति में जब नाथद्वारा से चार बार विधायक एवं मंत्री रहे जोशी वर्ष 2008 के चुनाव में एक वोट से हार गए। उस समय वह प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे और मुख्यमंत्री चेहरे के सबसे तगड़े दावेदार थे। कांग्रेस की प्रदेश में सरकार भी बनीं, लेकिन जोशी की हार ने उन्हें मुख्यमंत्री बनने से रोक दिया। इसके बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में सीपी जोशी भीलवाड़ा से सांसद चुने गए और उनका कद केन्द्रीय सरकार एवं संगठन में बढ़ता चला गया। जोशी यूपीए-2 में पंचायतीराज, ग्रामीण विकास, भूतल परिवहन एवं राजमार्ग और रेल मंत्रालय के मंत्री रहे। यूपीए सरकार जाने के बाद उन्हें कांग्रेस का राष्ट्रीय महासचिव बनाकर बंगाल, बिहार एवं असम का प्रभारी बनाया गया। एक समय ऐसा भी आया जब कांग्रेस ने पूर्वोत्तर के 11 राज्यों का प्रभार जोशी को दे दिया।
Read More: राजस्थान के पिछले चार चुनावों में भाजपा गांवों में पांच गुना बढ़ी, कांग्रेस 7 गुना घटी
डॉ. सीपी जोशी ने 2014 में जयपुर ग्रामीण से लोकसभा का चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें बीजेपी उम्मीदवार कर्नल राज्यवर्धन सिंह के सामने करारी हार का सामना करना पड़ा। 2017 में राजस्थान क्रिकेट संघ के अध्यक्ष बन कर डॉ. जोशी ने प्रदेश में क्रिकेट की राजनीति के जरिए खुद को फिर से स्थापित करने की कोशिश की। जोशी के समर्थकों को भी लगा कि विधानसभा चुनाव से पहले जोशी को कोई नई जिम्मेदारी मिलेगी। लेकिन, अब सारे दांव उलटे पड़ते नज़र आ रहे हैं। संगठन ने उनसे महासचिव का पद भी छिन लिया है, जोशी अब आरसीए से भी गए। इससे उनके समर्थकों में मायूसी छाई हुई हैं। देखने वाली बात यह होगी कि आने वाले चुनाव से पहले कांग्रेस जोशी को और कितना नीचा दिखाएगी या कोई पद देकर खुश करने में कामयाब होगी। आज कांग्रेस के एक कद्दावर नेता की अपनी ही पार्टी में ये हालात है, और कांग्रेस राजस्थान फतेह की बात करती प्रदेश में फिर रही है।