बुधवार को राजस्थान के बांसवाड़ा में प्रदेश कांग्रेस कमेटी की और से किसान आक्रोश रैली का आयोजन किया गया। इस रैली में कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी हिस्सा लिया। सालों बाद यह एक ऐसा आयोजन हुआ है जिसमें कांग्रेस के प्रदेश पदाधिकारी एक साथ दिखाई दिए लेकिन फिर भी तल्खियों को छुपाने में नाकामयाब रहे। किसानों के लिए आक्रोश रैली आयोजित करने वाले कांग्रेसियों ने अपना पूरा दम लगा दिया लेकिन फिर भी राहुल गांधी के लिए एक फ्लॉफ शॉ सरीखा ही साबित हुआ हैं। राहुल गांधी इटली से अपनी नानी के यहां से सीधे राजस्थान के किसानों का दुख-दर्द सुनने के लिए ही पहुंचे। किसान सभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने अपना भाषण 5 से 8 मिनट में ही खत्म कर दिया और किसानों को टाटा-बाय-बाय कहकर चलते बने। इस किसान रैली में राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष सचिन पायलट, राष्ट्रीय महासचिव सीपी जोशी सहित दिग्गज नेताओं को जमावड़ा देखा गया। सभा को संबोधित कर राहुल राजधानी जयपुर के लिए रवाना हो गए जहां उन्होने काटजू परिवार से मुलाकात की।
पीसीसी चीफ और पूर्व मुख्यमंत्री के बीच बंद कमरें में हुई चर्चा
कांग्रेस की किसान आक्रोश रैली के शुरू होने से पहले पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत और पीसीसी चीफ के बीच आपसी तल्खियां एक बार फिर नजर आई। रैली शुरू होने के करीब आधे घंटे सर्किट हाउस स्थित बंद कमरें में बातचीत हुई। माना जा रहा है कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रहे आपसी मतभेदों के चलते गहलोत इस सभा में शामिल नही होने वाले थे लेकिन वरिष्ठ कांग्रेसियों और सचिन पायलट के मनाने के बाद गहलोत ने इस सभा में शामिल होना स्वीकार किया। वहीं रैली में भी राहुल गांधी ने अशोक गहलोत के स्थान पर पीसीसी चीफ को ही ज्यादा महत्व दिया। साफ तौर पर देखा जा रहा है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने प्रदेश से अशोक गहलोत को बाहर का रास्ता दिखा दिया है।
इस बार भी राहुल का ध्यान मोदी सरकार पर
राहुल ने किसान रैली को संबोधित करते हुए अधिकतर समय केंद्र सरकार पर दिया। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व के बारें राहुल गांधी ने कहा कि ‘ प्रधानमंत्री मोदी इस देश में रहते ही नही है जिससे उन्हे यहां के किसानों के हालातों के बारें में जानकारी मिले’। राहुल ने अपने संबोधन में सचिन पायलट का उत्साहवर्धन करते हुए राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन करने के दिशा निर्देश दिए। राहुल गांधी शायद इस बार किसान सभा में दिए जाने वाले भाषण की तैयारी नही करते आए थे इसलिए सभा को कुछ समय के लिए ही यानी करीब 10 मिनट ही संबोधित कर पाए। राहुल गांधी का ध्यान राज्य सरकार पर कम और केंद्र सरकार पर ज्यादा रहा जिससे प्रदेश कांग्रेस के मंसूबे पूरे नही हो सकें। कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने मोदी सरकार पर खूब कटाक्ष किए और सरकार को कांग्रेस विरोधी बताया। उन्होने कहा कि मोदी सरकार किसानों के लिए कुछ नही कर रही है अगर उनसे स्थान पर कांग्रेस सरकार होती तो शायद किसानों को यहां( सभा स्थल) पर आना नही पड़ता। जिसका मतलब सीधे तौर पर पूर्व वर्ती गहलोत सरकार ने निशाना साधना था।
रैली रवाना करने के लिए किया उल्टे झंडे का इस्तेमाल
कांग्रेस द्वारा आयोजित किसान आक्रोश रैली में किसान नेताओं ने भारत के राष्ट्रीय गौरव का जमकर अपमान किया। रैली रवाना करते समय भारत के राष्ट्रीय ध्वज का इस्तेमाल किया वो भी उल्टा फहराकर। कांग्रेस के नेताओं ने पिछले 70 सालों से भारत के राष्ट्रीय प्रतीक तिरंगे झंडे को सीधा पकड़ना तक नही सीखा तो किसानों को खेती के बारें में शायद कुछ खास ना सीखा पाएं। कांग्रेस के पदाधिकारियों से इस प्रकार की गलतियां होना अपराध है।