कांग्रेस द्वारा लगाया गया पोस्टर

सांसारिक जीवन में सत्ता सुख सभी प्रकार के सुखों से सर्वोपरि माना गया है। क्योंकि जो सत्ता पर बैठा…! समझो पूरी कायनात उसी के हुक़्म की ग़ुलाम हो। फिर वो कायनात चाहे एक घर हो, मोहल्ला हो, शहर हो, जिला हो, राज्य हो, देश हो या फिर पूरी दुनिया। यहां हम सम्पूर्ण ब्रह्मांड की चर्चा नहीं करेंगे। क्योंकि इंसान की अभी उतनी बिसात कि वो सम्पूर्ण ब्रह्मांड पर अपनी सत्ता कायम कर सके। लेकिन फिर भी इंसान ने धरती को पूर्ण रूप से अपने भोग की वस्तु बना लिया है। उसी धरती पर शासन करने के लिए इंसान ने अपने लिए राजनीति को ईजाद किया। नतीजा…आज हुक़ूमत करने के चक्कर में इंसानों ने धरती को छोटे-छोटे भू-भागों में बाँट लिया है। उसी भू-भाग पर अपना राज क़ायम करने के लिए ये चुनाव लड़ते हैं और अपनी सरकार चलते हैं।

 

ये प्रकृति का नियम है कि धरती पर मौजूद प्रत्येक प्राणी अपने वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहा है। फिर वो चाहे स्वयं प्रकृति हो, जीव-जंतु हो, पेड-पौधे हो, जानवर हो या इंसान हो। मगर इंसानों में ये जंग इस कदर बढ़ चुकी है कि अपना प्रभाव बनाये रखने के लिए वो किसी भी हद तक गिरने को तैयार हो गया है। आज हिंदुस्तान की राजनीति में भी यही सब हो रहा है। कहने को तो हिंदुस्तान में लोकतंत्र चलता है। परन्तु कोटि-कोटि की मानव संख्या वाले इस देश की बागड़ोर वर्षों से एक ही वंश के नाकाफ़ी लोग अपने हाथ में लिए बैठे हैं।

 

कांग्रेस द्वारा लगाया गया पोस्टर

 

सत्ता से उन्माद तो आये, मगर बौराना गलत है :

राजस्थान विधानसभा में 2013 के चुनावों में कांग्रेस को प्रचंड रूप से मुंह की खानी पड़ी थी। वर्चस्व की लड़ाई में कांग्रेस का ज़मीर बुरी तरह से चोटिल हो गया था। उसे बेहद गहरी चोट पहुंची थी। इसलिए पांच साल तक करहाने के बाद, जैसे-तैसे, जोड़-तोड़ कर राजस्थान की सत्ता हथिया तो ली, मगर कांग्रेस की जीत उस प्रकार की नहीं हो सकी जिस प्रकार से अपेक्षित थी। 200 विधानसभा सीटों वाले राजस्थान की मात्र 99 सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों को विजयश्री प्राप्त हुई। उसमे भी कांग्रेस और भाजपा के बीच मात्र आधा प्रतिशत मतों का अंतर रहा। अर्ताथ जिनते वोट भाजपा को मिले उससे मात्र ज़ीरो दशमलव पांच प्रतिशत वोट ही कांग्रेस को ज़्यादा मिले। जिससे कांग्रेस ने अपनी सरकार तो बना ली मगर वो ये बात भी अच्छी तरह से जानते है की ये जीत भी उसको लालच देकर मिली है। ऐसे में तीन राज्यों की सत्ता की चाबी एक साथ अपने हाथ में आ जाने पर कांग्रेसी बौरा से गए हैं।

 

कांग्रेस को अपना भूतकाल विस्मृत नहीं करना चाहिए :

हिंदुस्तान के हृदय की हिन्द रेखा कहे जाने वाले राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनावों के नजदीक आते ही कांग्रेस ने भाजपा की राज्य सरकारों के ख़िलाफ़ नकारात्मक माहौल बनाना शुरू कर दिया था। राज्य सरकारों के साथ-साथ केंद्र सरकार पर भी झूठे आरोप लगाने लगी। उन्होंने केंद्र सरकार पर राफेल सौदे को लेकर घोटाले का आरोप लगाया। इस दौरान कांग्रेस ने एक चुनावी रणनीति के तहत ये निश्चित किया कि हमें असत्य बोलना है, ज़ोर-ज़ोर से बोलना है और निरंतर बोलना है। कांग्रेस अपनी उस चाल में कामयाब भी हो गयी। तीनों राज्यों की जनता को झूठ के भ्रम में डालकर, उनके आगे कर्ज़ माफ़ी का ऐसा जाल बुना की सारे किसान उस जाल में फंस गए। कांग्रेस इस जाल को और अधिक मज़बूत बनाने के लिए कांग्रेस फिर से लोकसभा चुनावों के लिए देश के किसानों को लालच दे रही है। लेकिन सत्ता हासिल करने के लालच में कांग्रेस ने लोकतंत्र की सारी मर्यादाओं को तोड़ दिया है। राजस्थान में 9 जनवरी को आयोजित कांग्रेस की किसान कम, राहुल रैली से पहले राजधानी की सड़कों के किनारे केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ राफेल सौदे को लेकर आरोप लागते हुए बड़े-बड़े बैनर चस्पा दिए गए। जबकि देश के सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को इस मामले में निर्दोष साबित कर दिया गया है। इस तरह से अगर देखा जाये तो कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर रही है। कांग्रेस के भीतर ऐसा करने का दुस्साहस सिर्फ़ इसलिए आया, क्योंकि इस पार्टी पर गांधी परिवार का हक़ है। जो लोग 134 सालों से भारत पर राज करते आये हैं, उनके हाथ से एक बार सत्ता क्या चली गयी ये लोग बौख़ला गए है।

 

कांग्रेस के नेता राहुल गांधी आये दिन कुछ ना कुछ, अनाप-शनाप और भद्दी टिकाटिप्पणियां करते रहते हैं। कभी ये प्रधानमंत्री को चोर बोलते हैं, कभी ये उन्हें कायर बोलते हैं, कभी ये देश की महिला रक्षामंत्री के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं। ये केवल राहुल गांधी ही नहीं कांग्रेस के समस्त नेतागण भी करते हैं। राजस्थान में सरकार बनाने के बाद से ही प्रतिदिन कांग्रेस के किसी ना किसी नेता का एकाध बयान तो ऐसा आ ही जाता है जिसमे वे भाजपा के ख़िलाफ़ या जनता के लिए या अपने सिबाय और के लिए तुच्छ भाषा का प्रयोग करते हैं। सरकार के विधायकों पर सत्ता का नशा ऐसा चढ़ा है कि मान-मर्यादा ही भूल गए हैं। दिव्या मदेरणा, जौहरीलाल के बाद प्रतापगढ़ विधायक रामलाल मीणा ने पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे पर अभद्र टिप्पणी की और अपने आपको विचारधारा की लड़ाई लड़ने वाली पार्टी कहने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस पर कुछ नहीं बोले कि एक महिला के सम्मान में आप ऐसा नहीं कह सकते। कह भी कैसे सकते हैं, जब उनकी पार्टी के सबसे बड़ा मुखिया राष्ट्रिय अध्यक्ष राहुल गांधी जी ही स्वयं एक महिला को लाखों महिलाओं के सामने गाली दे गए हो। कांग्रेस ने भाजपा पर एक आरोप लगाया वो भी झूठा साबित हो गया लेकिन कांग्रेस ने जो घोटाले अपने 10 साल के राज में किये उनके बारे में ये कुछ बोले। पूरा देश जनता है, कांग्रेस सरकार पर एक के बाद एक ना जाने कितने घोटालों का खुलासा हुआ। कांग्रेस ने हर जगह घोटाले किये। और पूरे देश को मिलकर लूटा।

 

1. 2G स्पैक्ट्रम घोटला – 1.76 लाख करोड़ रुपये – 2008

2. सत्यम और मेटास घोटाला – 1.47 बिलियन डॉलर – 2009

3. कॉमनवेल्थ खेल घोटाला – 90 करोड़ – 2010

4. कैश फॉर वोट घोटाला – 183 करोड़ – 2011

5. कोयला घोटाला – 1. 86 लाख करोड़ – 2012

6. हैलीकॉप्टर घोटाला – 3600 करोड़ – 2012

7. TATRA Truck घोटाला – 14 करोड़ – 2012

8. आदर्श घोटला – प्रॉपर्टी घोटाला – 2012

9. आईपीएल घोटाला – 2013

 

बीजेपी कार्यकर्ताओं ने पोस्टर फाड़े

जयपुर: पीएम मोदी के साथ अनिल अंबानी के लगाये गए थे पोस्टर … राहोल गांधी की रैली में लगे राफेल घोटाले के आरोपों के पोस्टर …#ZeeVideo

ZEE Rajasthan News यांनी वर पोस्ट केले बुधवार, ९ जानेवारी, २०१९

 

येन केन प्रकारेण अपना राजनीतिक स्वार्थ साधने में लगी कांग्रेस :

किंचित कांग्रेस ने ये निश्चय कर लिया है कि येन केन प्रकारेण अपना राजनीतिक स्वार्थ सिद्ध करना है। इसीलिए वो राजस्थान और हिंदुस्तान की जनता को साम, दाम, दण्ड, भेद हर प्रकार से अपने हक़ में करना चाहती है। तभी तो आये दिन किसानों से कर्ज़माफ़ी के वादे कर रही है। किसानों को बिजली के दाम नहीं बढ़ाने के वादे कर रही है। लेकिन सच कहें तो कांग्रेस सिर्फ़ और सिर्फ़ जनता को पागल बना रही है। जनता अभी भी में कुछ नादान लोग हैं जो इनकी चिकनी चुपड़ी बातों में आ जाते हैं। उन्हीं नादान लोगों के वोट पाकर कांग्रेस राजस्थान में अपनी सरकार बनाने में कामयाब हो पायी है। लेकिन अधिकतर जनता समझदार हो चुकी है, इसलिए तो वो इनके झाँसे में नहीं आते हैं। जनता को भी अब समझ में आने लगा है, तभी तो राहुल की किसान रैली में भीड़ नहीं जुट पाने की वजह से राहुल बाबा को पौने घंटे तक हवईअड्डे पर रूक कर ही भीड़ इकट्ठी होने की प्रतीक्षा करनी पड़ी। लेकिन फिर भी कांग्रेस को लाखों की जगह हज़ारों की भीड़ से ही संतुष्ट होना पड़ा। राहुल गांधी ने कांग्रेस को किसानों का हितैषी होने की बात कही लेकिन क्या कांग्रेस को 60 सालों से अपनी ज़िम्मेदारी का एहसास नहीं हुआ जो अब भाजपा सरकार द्वारा कदम उठाने के बाद ये उन्हीं के पद चिन्हों पर चल रही है।

 

ख़ैर सत्ता के लिए घमासान होना लाजमी है मगर ये घमासान इस क़दर भी नहीं होना चाहिए की मानविक भावनाओं का वध ही हो जाये। क्योंकि कहा तो जाता है ना की प्यार और जंग में सब जायज़ है। लेकिन कांग्रेस जो कर रही है वो जायज़ नहीं नाजायज़ है, और नाजायज़ कृत्यों के लिए हिंदुस्तान में कोई जगह नहीं है।

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Author : Mahendra