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Congress is going to make Rajasthan completely poor.

आज का अख़बार पढ़ के दिमाग में यही एक लाइन आयी। “खुश तो बहुत होंगे आज तुम!” क्योंकि कांग्रेस पार्टी ने सरकार बनने पर दस दिन में किसानों का कर्ज़ माफ़ करने का वादा किया था। नतीजा उससे भी ज़्यादा तेज, बहुत तेज। मात्र दो दिनों में माननीय मुख्यमंत्री साहब अशोक गहलोत जी द्वारा किसानों के कर्ज़ माफ़ी के आदेश दे दिए गये हैं। अब सबको यही लग रहा होगा की चारों तरफ एक ही गीत गूंजेगा “गीत ख़ुशी के गाओ किसानों…!” सब यही सोच रहे होंगे कि क्या सरकार आयी है भाई साहब। एक दम जबरदस्त। लेकिन क्या कोई बुद्धिजीवी ये अंदाजा लगा सकता है, कि अगर कांग्रेस सरकार ऐसे ही अपने वादे पूरे करती रही तो प्रत्यक्ष रूप में तो जनता को लगेगा कि सरकार जनता की भलाई कर रही है। लेकिन मात्र एक साल में राजस्थान ऐसे भयंकर आर्थिक संकट से जूझ रहा होगा की आम आदमी भीख मांगने के कगार पर खड़ा होगा। हमारा मकसद आपको डराना या सरकार की ख़िलाफ़त करना नहीं। हम सिर्फ़ इतना बताना चाहते हैं, कि जनता के लिए जितने प्रयास किये जाने थे, वो पिछली सरकार कर चुकी थी। कांग्रेस ने तो मात्र चुनाव जितने के लिए, हवा में ऐसे-ऐसे तीर मारे की अब वो वापिस लौटकर जनता के सीने को ही छलनी करेंगे। इस बारे में हम आपको विस्तार से बताते हैं।

चलिए शुरू से शुरू करते हैं और आपको समझाते हैं कि राजस्थान किस क़दर कांग्रेस के हाथों बर्बाद होने जा रहा है। क्योंकि महामहिम मुख्यमंत्री जी के शब्दों में तो “ठजाना ऑल रेडी ठाली है!”

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Image: राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत.

किस प्रकार की कर्ज़माफ़ी?

सरकार ने राजस्थान के सभी किसानों के अल्पकालीन कर्ज़ माफ़ किये हैं। अल्पकालीन कर्ज़ वो होता है, जो किसान एक फसल के लिए लेता है। जैसे उसने रबी की फसल के लिए कर्ज़ लिया तो नियमानुसार रबी की फसल के कटने और बाजार में बेचे जाने के बाद वो कर्ज़ चुका दिया जाना चाहिए। फिर यही प्रक्रिया दोबारा दोहराई जाती है। खरीफ़ की फसल के लिए। ये समय सीमा 6 से 18 महीने तक की हो सकती है। अब इन फसलों में कोई नुकसान हो जाता है, जैसे बारिश काम या ज़्यादा हो गयी, पाला पड़ गया, कोई भी अन्य फसल दुर्घटना या बाज़ार में भाव कम मिला तो किसान उस लिए गए अल्पकालीन कर्ज़ को नहीं चुका पता और पैसे की कमी के चलते अगली फसल भी नहीं उगा पाता। अगर एक साल तक ये कर्ज़ नहीं चुकाया जाता है, तो फिर ब्याज की दर बढ़ जाती है, किसान कर्ज़ के बोझ तले दबता चला जाता है। नतीजा बैंकों द्वारा किसान की ज़मीन हड़प ली जाती है, किसान आत्महत्या कर लेता है। ऐसी समस्याओं को दूर करने के लिए किसान सरकार से गुहार करते हैं, हम पर दया करो, हमारा कर्ज़ माफ़ करो। इसी के चलते कांग्रेस ने अपने वादे पर अटल रहते हुए राज्य के सभी किसानों का 30 नबम्बर 2018 तक 2 लाख रूपये तक का अल्पकालीन ऋण माफ़ किया है।

तो फिर राज्य के ख़ज़ाने पर इसका क्या असर पड़ेगा?

अगर मोटा-मोटा हिसाब लगाया जाये तो राजस्थान में लगभग 50 लाख किसान हैं, जिनके ऊपर बैंकों का कर्ज़ है। चूंकि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधराज राजे अपने कार्यकाल में राजस्थान के किसानों का 50 हज़ार तक का कर्ज़ माफ़ कर चुकी थीं। जिसमे प्रदेश के 30 लाख किसानों के लगभग 9000 करोड़ रुपये माफ़ किये गए। अब बचे वो किसान जिनके ऊपर 2 लाख तक का लोन बक़ाया है। अगर इस हिसाब से जोड़, बाकी, गुणा, भाग किया जाये तो हमारे सामने एक बहुत बड़ी संख्या दखाई पड़ती है। आपकी सहूलियत के लिए हम ही हिसाब लगाकर नीचे दिखा देते हैं।

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कर्ज़माफ़ी की अनुमानित रकम।

अब बात करें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी के शब्दों की। क्योंकि अब तो वे राजस्थान के सर्वेसर्वा हैं, और कर्ज़माफ़ी का वादा पूरा करने के बात तो उनके शब्दों  की अहमियत और बढ़ जाती है। वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी के कहे अनुसार राज्य का खजाना खाली है, और 3 लाख़ करोड़ रूपये के घाटे में चल रहा है। ऐसे में कांग्रेस सरकार किसानों के कर्ज़माफ़ी के लिए धन कहां से लाएगी। अगर कांग्रेस पैसा ले भी आयी तो राजस्थान के सरकारी खजाने का कर्ज़ कितना बढ़ जायेगा?

फिर क्या ये समस्या हमेशा के लिए ख़त्म हो जाएगी?

नहीं! कांग्रेस 2 लाख़ रूपये क्या, किसान का सम्पूर्ण कर्ज़ माफ़ कर दे तो भी ये समस्या पूरी तरह से ख़त्म नहीं होने वाली। क्योंकि नियमानुसार कोई भी सरकार किसी भी किसान के कर्ज़ का केवल मूलधन ही माफ़ कर सकती है, उस पर लगने वाला चक्रवृद्धि ब्याज नहीं। और किसान की असली कमर तो ब्याज़ ने ही तोड़ रखी है। जिसके लिए सरकार को किसानों के हित में अन्य प्रयास भी करने होंगे। 18 दिसंबर के टाइम्स ऑफ़ इण्डिया ने एक ख़बर छापी थी। “सरकार की मदद के बाद भी लाखों किसानों के सिर से कर्ज़ भार नहीं उतर पाया है”। ऐसे में किसानों की समस्या जस की तस बनी हुई है।

फिर कर्ज़माफ़ी से जनता को क्या घाटा होगा?

देखिये सरकार में जो भी घटित होता है उसका असर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जनता पर ही पड़ता है। हम आपको समझाते हैं। किसानों का कर्ज़ माफ़ नहीं करने से बैंक घाटे में चले जाते हैं। जिससे वो अन्य लोगों को या तो लोन नहीं दे पता या फिर लोन पर ब्याज की दरें बढ़ा देते हैं। और कर्ज़ माफ़ कर दिया जाये तो सरकारी ख़जाना घाटे में आ जाता है। किसानों का एक बरगी तो कर्ज़ माफ़ हो जायेगा, लेकिन फिर उनको अन्य सुविधायें जैसे एनीकट निर्माण, नहरें, अच्छे कृषि यंत्र नहीं मिल पाएंगे। जिससे किसान फिर से उपज नहीं बढ़ा पायेगा और आज जहां है, वहीं रह जायेगा। साथ ही पूरी जनता पर इसका सीधा और सबसे तेज असर पर पड़ेगा। अगर कांग्रेस सरकार ने कर्ज़ की रकम चुकाने के लिए कहीं से कर्ज़ ले भी लिया तो फिर उसे चुकायेगी कैसे? उसे चुकाने के लिए सरकार अन्य सुविधाओं को ठीक तरह से नहीं चला पायेगी। कांग्रेस सरकार ना तो राज्य में शिक्षा व्यवस्था को सुचारु रख पायेगी और ना ही स्वस्थ्य सेवाएं दे पायेगी। ऐसे में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, पानी जैसी अन्य सार्वजानिक सेवाओं के लिए सरकार के पास पैसे नहीं बचेंगे।

फिर कांग्रेस सरकार क्या करेगी? या तो कांग्रेस सरकार राजस्थान को दिवालिया घोषित कर अपने हाथ खड़े कर लेगी। या फिर राजस्थान की जनता पर बेतहाशा“कर” यानी “टैक्स” बढ़ा दिए जाएंगे। क्योंकि जिस हिसाब से कांग्रेस ने मुफ्त की घोषणाएं की हैं। जैसे कर्ज़ माफ़ी तो है ही, साथ में बेरोजगरी भत्ता, बालिकाओं को सम्पूर्ण मुफ्त शिक्षा, चिकित्सा सुविधाओं के अलावा ऊपर लिखी गयी सभी सेवाओं सहित सरकार द्वारा चलायी जाने वाली सभी योजनाओं के लिए धन तो चाहिये होगा। वो सरकार ने पास होगा नहीं। ऐसे में कांग्रेस राजस्थान को कंगाली के दरवाजे पर लाकर खड़ा कर चुकी है, जहां से आम आदमी सिर्फ़ और सिर्फ़ बर्बादी के इस दिनों की उलटी गिनती ही गिन सकता है।

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पिछली भाजपा सरकार होती तो क्या कर लेती?

पिछली भाजपा सरकार ने अध्यन करने के बाद ही अपनी नीतियों को लागू करना शुरू किया था। पहले राज्य के खजाने का अध्यन किया फिर राज्य की आर्थिक विकास दर का। उसके बाद राज्य के प्रत्येक व्यक्ति के हिसाब से योजनाएं शुरू की थी। सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किये, जिससे किसान को घाटा नहीं हो, फिर फसल बीमा योजना लागू कि जिससे, किसान को न्यूनतम 33 फीसदी फसल के नुकसान पर भी बीमा का पैसा मिले और वहां भी किसान घाटे में ना रहे। फिर फसल बीमा को प्रत्येक किसान की पहुँच में लाने के प्रयास किये। भाजपा सरकार ने किसान को इस लायक बनाने के कदम उठाये कि भविष्य में किसान सिर्फ़ सरकार के भरोसे ना रहें, वे स्वयं बजार की पहुँच में आये और अपनी फसल का सही दाम ले पाएं। सरकार ने फसल बेचने के लिए ऑनलाइन पोर्टल सेवा भी शुरू की थी। उसके अलावा भाजपा सरकार ने किसानों के हित में व्यवसायिक खेती को भी बढ़ावा दिया। ताकि किसान पारम्परिक खेती पर निर्भर ना रह कर ज़्यादा मुनाफ़ा देने वाली खेती कर, अधिक लाभ ले सकें।

मगर हमारी वर्तमान कांग्रेस सरकार ने तो बिना किसी आंकलन और गणना के भावनाओं में बह कर घोषणा कर दी, और उन्हीं भावनाओं के ज्वार-भाटे में राजस्थान की जनता पिसने जा रही है। नतीजा राजस्थान की अर्थव्यवस्था में भूचाल आने वाला है। मुबारक हो राजस्थान में एक बार फिर आर्थिक मंदी आने जा रही है।

Content: Mahendra Verma