कहते हैं गुजरा हुआ वक़्त कभी लौट कर नहीं आता। मगर कुछ लम्हे ऐसे होते हैं, जो हमेशा के लिए अमर हो जाते है। कुछ इसी तरह ही 7 दिसम्बर 2018 वो तारीख जो राजस्थान के इतिहास के पन्नो में हमेशा के लिए अमर हो गयी। भविष्य में जब भी कभी राजस्थान की राजनीति की चर्चा होगी तो साल 2018 की 7 दिसम्बर को भी जरूर याद किया जायेगा। आखिरकार इस दिन राजस्थान की 15वीं विधानसभा के चुनाव संपन्न हुए। और ऐसे संम्पन्न हुए की कई सीटों पर रिकॉर्ड तोड़ चुनाव हुए। खैर वो बात हम यहाँ नहीं करेंगे, क्योंकि वो सब आप पहले से ही पढ़ चुके होंगे। हम यहाँ आपको बताने आये हैं कि इस बार चुनावी नतीजों ने आपको कुछ ऐसा देखने को मिल जाये जो शायद आपने इन चुनावों के बारे में सोचा भी नहीं हो।
राजस्थान में सरकार बदलने की परंपरा को ध्यान में रखते हुए कांग्रेसी नेता बेहद खुश
जी हाँ! दरअसल राजस्थान में पिछले 20 सालों से परंपरा चली आ रही है, कि राजस्थान की जनता हर बार सत्ता का तख़्त पलट देती है और विपक्षी पार्टी को सरकार बनाने का मौका देती है। एक बार कांग्रेस की सरकार बनती है, तो एक बार भाजपा की। मगर…! मगर…! मगर…! पिछले पांच सालों से भारतीय जनता पार्टी जिस प्रकार से तेजी से पूरे हिंदुस्तान में उभर कर आयी है। उसे देखते हुए लग रहा है, इस बार ये मिथक टूट सकता है। राजस्थान की जनता पहले से ज्यादा समझदार, जागरूक और ज़िम्मेदार हुयी है। अच्छे-बुरे की समझ और सही-गलत पहचान अब जनता अच्छी तरह से कर सकती है। जिसका प्रभाव हम बढ़ते वोटिंग प्रतिशत के तौर पर देख सकते हैं।
तो राजस्थान में सरकार बदलने की परंपरा को ध्यान में रखते हुए कांग्रेसी नेता बेहद खुश हो रहे हैं कि इस बार तो पक्का उनकी सरकारआने वाली है, लेकिन जिस तरह पहले की तुलना में प्रदेश की जनता के राजनीतिक दृष्टिकोण बदला है। उसके मद्दे नज़र कांग्रेस के सभी नेताओं के मन में कहीं न कहीं एक डर है। वो डर है हार का। और 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद जिस तरह से कांग्रेस पार्टी एक के बाद एक अलग-अलग राज्यों के विधानसभा चुनाव हारी है। उसे देखते हुए तो कई कांग्रेसी नेताओं को ये भय भी सता रहा है, कहीं उनकी बोहनी ख़राब ना हो जाये। बेचारे पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं, ऐसे में एक हार उनके आने वाले राजनीतिक जीवन पर तलवार लटक सकती है।
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7 दिसंबर को मतदान कर जनता ने अपना फ़र्ज़ पूरा किया, राजस्थान की 199 विधानसभा सीटों के लिए 2274 प्रत्याशियों का भविष्य मतपेटियों में कैद हो गया। आने वाली 11 दिसंबर को मतगणना के साथ ही चुनावों के नतीजे हमारे सामने होंगे। अगले पांच सालों के लिए राजस्थान की सरकार का फैसला होगा। सब एक बेहतर और अच्छी सरकार की कामना करते हैं। सब चाहते हैं, लोकतंत्र की जीत हो और हमारा राजस्थान तरक्की और विकास की नयी राह पर आगे ही आगे बढ़ता रहे। आने वाली 11 तारीख को नतीजा चाहे कुछ भी आये लेकिन इन चार दिनों के दौरान राजस्थान के दो हज़ार दो सौ चौहत्तर लगों को चैन की नींद नहीं आने वाली है, बाकी का पता नहीं।