राजस्थान में नवनिर्वाचित कांग्रेस सरकार ने चुनावों से पहले अपने घोषणा पत्र में दो बड़े चुनावी वादे किये थे। पहला किसान सम्पूर्ण कर्जमाफी और दूसरा युवाओं को बेरोजगारी भत्ता। कांग्रेस के विधानसभा चुनाव जीतने के बाद अशोक गहलोत ने तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, साथ ही सचिन पायलट जी ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली। उसके महज़ दो दिन बाद प्रदेश में किसान कर्जमाफी हुई लेकिन कुछ शर्तो के साथ। कांग्रेस को विधानसभा चुनाव जीते एक महीना पूरा हो गया है पर देखने से लगता है कि वर्तमान सरकार सिर्फ किसान कर्जमाफी और सरकारी अधिकारियों के तबादलें ही करने में व्यस्त है और प्रदेश के युवाओं को बेरोजगारी भत्ते को मानों भूल सी गयी है।
जानिए किनको मिलता है बेरोजगारी भत्ता
वर्तमान में अक्षत योजना के तहत प्रदेश के स्नातक या उससे ज़्यादा पढ़े-लिखें बेरोजगार युवाओं को भत्ता दिया जा रहा है। इस योजना के तहत 21 से 35 वर्ष के युवाओं को प्रतिमाह 650 से 750 रुपये दो वर्ष तक दिए जाते है। बेरोजगारी भत्ता पाने के लिए बेरोजगार के परिवार की अधिकतम आय दो लाख रुपये सालाना से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए।
जादूगर के लिए आसान नहीं होगा युवाओं की आशाओं को पूरा करना
चुनाव से पहले कांग्रेस ने कई लोक लुभावने वादे किये थे। चुनाव प्रचार की रैलियों में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी ने प्रदेश के युवाओं को कई बड़े-बड़े वादे किये थे। जिनमें से एक था बेरोजगारों को 3,500 रुपये प्रतिमाह देने का वादा, लेकिन सरकार तबादलें करने में इतनी व्यस्त है कि प्रदेश के युवाओं से जो उन्होंने वादा किया था, वो चुनाव जीतने के बाद अब भूल गयी है।
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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने अपने चुनाव प्रचार में बेरोजगारी भत्ते की बात अपनी हर रैली में बोली थी लेकिन अब सोचने वाली बात है कि इसको वो कैसे पूरा करते है ? प्रदेश पहले से ही तंगी के दौर से गुजर रहा है, वर्तमान स्थिति में प्रदेश 1.5 फ़ीसदी बेरोजगार युवाओं को रोज़गार देने की क्षमता रखता है। तो अब देखना होगा कि क्या जादूगर भत्ते में वृद्धि कर बेरोजगारों को दे पाते है या नहीं या फिर इसका ख़ामियाजा कांग्रेस को लोकसभा के चुनावों में भुगतना पड़ेगा।
Content: Ganesh