कर्नाटक के राजनीतिक पटल पर खेले जा रहे नाटक पर देशभर की निगाहें टिकी हुई है। कर्नाटक में जो राजनीतिक संस्कृति उभरती हुई दिख रही है उसे लोकतंत्र में जायज नहीं ठहराया जा सकता है। हालांक ये राजनीतिक ड्रामा किसी गठबंधन सरकार के लिए पहली बार नहीं है। एक लाइन में कहा जाए तो गठबंधन सरकार का मतलब ही ‘बिखरना’ होता है। कर्नाटक में कांग्रेस व जेडी (एस) के करीब दर्जनभर विधायकों के इस्तीफे के बाद कुमारस्वामी की सरकार संकट में दिख रही है। जो राजनीतिक खेल कर्नाटक व उसके बाद गोवा में खेला जा रहा है वो आने वाले समय में राजस्थान में देखने को मिल सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो कर्नाटक और गोवा की तर्ज पर जल्द ही राजस्थान में भी कांग्रेस सरकार में उठापटक मच सकती है। भाजपा के कई नेताओं ने बयान देते हुए कहा कि सीएम अशोक गहलोत व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के भीतर जारी गुटबाजी की वजह से अगले 2 महीने में यहां भगदड़ मचना तय है। विधायक वासुदेव देवनानी और अशोक लाहोटी ने विधानसभा बजट सत्र के दौरान के कहा कि राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद से कांग्रेस विधायक स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। राहुल के इस्तीफे के बाद राजस्थान में गहलोत के भी सीएम पद से इस्तीफे देने की चर्चा जोरों पर थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। प्रदेश में गहलोत-पायलट गुट में नाराजगी शुरूआत से ही बनी हुई है।
लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस में अंदरुनी लड़ाई शुरू हो गई है। पार्टी के भीतर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। पायलट सीएम गहलोत को और गहलोत डिप्टी सीएम पायलट को पसंद नहीं करते हैं। फिलहाल जो राजनीतिक खींचतान कर्नाटक व गोवा में देखने को मिल रही है वैसा राजस्थान में भी कभी भी देखने को मिल सकता है। हालांकि कांग्रेस को विधानसभा में अपने 100 विधायकों समेत कुल 119 विधायकों का बहुमत हासिल है।