बीकानेर। जमीअत उलमा-ए-हिन्द की शाखा बीकानेर की जानिब से खड़गावतों के मोहल्ले में स्थित मदरसा तालीमुल इस्लाम मे जारी 2 दिवसीय हज प्रशिक्षण शिविर का समापन हुआ। जमीअत उलमा ए हिन्द की स्थानीय शाखा के महासचिव मौलाना मोहम्मद इरशाद क़ासमी ने बताया कि हज एक अहम और मुक़द्दस फ़रीज़ा है,जो जिंदगी में एक ही बार फर्ज़ होता है, इसको अदा करने में लाखों रुपये भी लगते हैं और हाजी और हज्जन एक महीने से ज़्यादा अपने घरवालों से दूर दूसरे वतन जाकर इस फ़रीज़े को अदा करते हैं। इसलिए हमें पूरे हज को सीखकर और समझकर जाना चाहिए वरना लाखो रुपये लगाने के बावजूद हाजी वहाँ की रूहानियत से महरूम हो जाता है।
इसलिए हमारे इस शिविर का मक़सद यही है कि लोगों में शौक पैदा हो और इसको सीखे। शिविर के दूसरे दिन ट्रेनर के रूप में मौलाना अ.रहीम क़ासमी ने सबसे पहले मदीना मुनव्वरा हाज़री के आदाब और वहाँ के मुक़द्दस मक़ामात के बारे में तफसील से बताया। साथ ही उमरा और हज के पाँचो दिनों के बारे में कौन-कौनसे काम किए जाते हैं। उसके बारे में समझाया और हाजियों के सवालों के जवाबात दिए, वही दूसरे ट्रेनर हाजी जमील मुग़ल ने अहराम बाँधने का तरीक़ा बताया और हज के दिनों में जो परेशानियां होती है मेडिकल लाईन से या वहाँ रहने सहने के तअल्लुक़ से तो उनका समाधान क्या है उसको समझाया।
इस मौक़े पर हाफिज इम्दादुल्लाह बासित, क़ारी शाहिद रशीदी, हाफिज अजमल हुसैन, हाफिज अ.रहमान, सैयद इमरान, हाफिज सलीम, हाफिज वसीम और मोहम्मद शोएब आदि मौजूद थे।