जयपुर। महारानी कॉलेज में निर्मल चौधरी के साथ हुए थप्पड़ कांड के बाद हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट ने एक नई गाइडलाइन जारी की है। जिसके मुताबिक़ अब कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्षों को अपने दफ़्तर का श्री गणेश करने से पूर्व स्थानीय विधायक की सहमति होना जरुरी मानी है।
सरकार के इस फरमान के बाद सियासी गलियारों चर्चाएं तेज हैं। प्रदेश के छात्रसंघ अध्यक्ष इसे सरकार की तानाशाही के रूप में देख रहे हैं। यही पूर्व सक्रीय छात्रसंघ अध्यक्षों का कहना है कि ” इस तरह का तुगलकी फरमान आम छात्रों के खिलाफ है, जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
छात्रसंघ पदाधिकारी को किसी विधायक या सांसद ने नहीं, छात्रों ने बनाया – रविंद्र सिंह भाटी
JNU छात्र संघ अध्यक्ष रहे रविंद्र सिंह भाटी ने कहा कि “सरकार छात्रों पर यह नियम थोप रही है। जिसे प्रदेश के युवा किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे। छात्रसंघ पदाधिकारी को किसी विधायक या सांसद ने नहीं, छात्रों ने बनाया है। ऐसे में उसे काम करने की पूरी स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। ऐसे सैकड़ों ऐसे नेता है, जो छात्र राजनीति से मुख्यधारा की राजनीति में आए हैं।”
ऐसे में अगर कोई भी छात्र संघ अध्यक्ष या पदाधिकारी लोकल विधायक के अंडर या प्रेशर में आ गया। तो उसकी लीडरशिप पूरी तरह खत्म हो जाएगी। मैं चाहता हूं कि छात्रसंघ पदाधिकारियों को ना किसी विधायक और ना ही किसी सांसद के दबाव में रखा जाए। उन्हें खुलकर काम करने की छूट दी जानी चाहिए। ऐसा हो सकता है कि उनसे गलती हो। लेकिन उनकी गलती ही उन्हें भविष्य की सीख देगी।