जयपुर में बनेगा अंतरराष्ट्रीय स्तर का मूक-बधिर विश्वविद्यालय, जून तक पूरा होगा एसएमएस अंडरपास का काम
जन्म से सुनने व बोलने में असमर्थ बच्चों के लिए कॉकलीयर इम्प्लांट एक क्रांति, एक वरदान की तरह है। इस प्रक्रिया से न केवल बच्चों की सुनने की शक्ति वापिस आ सकती है, कुछ ही सालों में बच्चा सामान्य बच्चों की तरह व्यवहार करने में समर्थ हो सकता है। यहां तक की सामान्य बच्चों के साथ एक ही स्कूल में शिक्षा भी ग्रहण कर सकता है। यह सब संभव है जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में होने वाली कॉकलीयर इम्प्लांट सर्जरी से। बुधवार को एसएमएस मेडिकल कॉलेज के सुश्रुत सभागार में कॉकलीयर इम्प्लांट जांच शिविर में आयोजित हुआ जिसमें मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे, चिकित्सा मंत्री कालीचरण सहित कॉकलीयर इम्प्लांट के विशेषज्ञों सहित सैंकड़ों उन माता-पिताओं ने भाग लिया जिनके मूकबधिर बच्चे अब कॉकलीयर इम्प्लांट से सामान्य जीवन जी रहे हैं। सवाईमानसिंह अस्पताल में हुए कार्यक्रम में ऐसे 180 बच्चों से मिलने पहुंची मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे, जहां उन्होंने प्रदेश में अंतर्राष्ट्रीय मूकबधिर यूनिवर्सिटी की घोषणा भी की।
इस सेमीनार में शामिल हुए ऐसे परिवार भी शामिल थे जिन्होंने मुख्यमंत्री सहायता कोष ने प्राप्त हुई सहायता राशि से अपने बच्चों की कॉकलीयर इम्प्लांट सर्जरी कराई थी। जैसाकि चिकित्सा मंत्री कालीचरण ने बताया, ‘वर्ष 2010 में जयपुर के एसएमएस अस्पताल में कॉकलीयर इम्प्लांट की शुरूआत हुई थी और तब से अब तक करीब 400 बच्चों का सफलतापूर्वक कॉकलीयर इम्प्लांट किया जा चुका है। इससे न केवल बच्चों की श्रवण शक्ति वापिस आ जाती है, साथ ही बोलना भी सिखते हैं। अकेले 2017 में 78 बच्चों की कॉकलीयर इम्प्लांट सर्जरी की जा चुकी है। अन्य राज्यों में कॉकलीयर इम्प्लांट का खर्चा करीब 8 लाख रूपए का है लेकिन एसएमएस अस्पताल में यह केवल 4.5 लाख रूपए है, जिसमें सर्जरी से लेकर दवाई तक का खर्चा शामिल है। गरीब परिवारों के बच्चों के लिए यह सुविधा मुफ्त है।’
इस मौके पर मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने उपस्थितजन को संबोधित करते हुए कहा कि फिलहाल आनंदी लाल पोद्दार के रूप में केवल एक मूकबधिर स्कूल है। लेकिन जल्दी ही जेके लॉन अस्पताल के आसपास एक यूनिवर्सिटी शुरू की जाएगी जिसमें हियरिंग एंड स्पीच केयर भी होगा। बता दें कि प्रदेश में कॉकलीयर इम्प्लांट की सुविधा जयपुर, जोधपुर, उदयपुर और बीकानेर में उपलब्ध है। जल्दी ही यह कोटा में भी शुरू की जाएगी। सर्जरी के बाद सामान्य होने में करीब एक से 3 वर्ष का समय लगता है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि एसएमएस अंडरपास का काम इसी साल जून में पूरा हो जाएगा।
मूकबाधिर बच्चों ने कहा-हम नॉर्मल हैं ..
सेमिनार में कई ऐसे बच्चों ने कविता, गानें और नृत्य कर मुख्य अतिथियों सहित उपस्थित लोगों को बताया कि हम सभी सामान्य हैं और अन्य बच्चों की तरह बोल व सुन सकने में सक्षम हैं। इस मौके पर सीकर की विधिका (कक्षा 4) और अंशु (4) ने अंग्रेजी की जॉनी-जॉन यश पापा … कविता सुनाई। बयाना, भरतपुर से आए प्रेम सिंह भी यहां मौजूद थे जिन्होंने अपने बच्चे की कॉकलीयर इम्प्लांट सर्जरी और मुख्यमंत्री सहायता कोष से मिली सहायता के बाद उसके जीवन में आ रहे परिवर्तन को साझा किया। इस दौरान बच्चों के एक ग्रुप ने हम होंगे कामयाब …. गीत मुख्यमंत्री को गाकर सुनाया।
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