राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कल वूमन समिट 2018 में भाग लिया और जहाँ उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में गौरव पूर्ण कार्य कर रही महिलाओं को सम्मानित किया और उनके साथ बातचीत की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने इंडिया टुडे के वरिष्ठ पत्रकार और संपादक राहुल कनवाल से खास वार्ता भी की जिसमे उन्होंने कई विषयों पर बात की।
भारतीय जनता पार्टी महिला पुरुष के फर्क को ने ख़त्म किया : –
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि लोग अक़्सर कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी एक पुरुष प्रधान पार्टी है तो एक महिला होने के मुझे कितनी चुनौतियाँ मिली। लेकिन उनका मानना है कि राजनीति भले ही उन्हें विरासत में मिली हो लेकिन उनका यहाँ तक का सफर कतई आसान नहीं था। आज हालाँकि उन्हें राजनीति में काफ़ी समय हो गया है, इस दौरान उन्हें राजमाता सिंधिया जी के साथ काम करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। वहीं से ही उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई। शुरू-शुरू में थोड़ी परेशानी आयी। लेकिन समय के साथ सब ठीक होता गया। ऐसे में एक महिला और पुरुष में कोई ज्यादा फर्क नहीं रह जाता है। फर्क होता है तो सिर्फ इतना कि सब के हालत एक जैसे नहीं होते है। लेकिन अगर आपका काम बेहतर हो तो फिर आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है।
उन्होंने कहा कि जिस तरह आज लड़कियां लड़कों के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चल रही हैं। हर क्षेत्र में लड़कों को कड़ी टक्कर दे रही हैं। तो वे राजनीति में भी यही प्रदर्शन कर सकती हैं। लेकिन किसी भी लकड़ी को राजनीति ही नहीं किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने के सबसे पहले शिक्षा की जरुरत है। हमारी सरकार ने इसके लिए कई प्रयास भी किये हैं। कई योजनाएं चला रखी हैं जिनकी मदद से वे आगे बढ़ सकती हैं। और जिस तरह से लड़कियां किसी भी क्षेत्र में अपनी इच्छानुसार अपना पेशा चुनती हैं, उसी तरह वे राजनीति को भी अपने पेशे के तौर पर चुन सकती हैं। बस उनमे इच्छाशक्ति होनी चाहिए। क्योंकि आज किसी को ये पूछने की जरुरत नहीं कि महिलायें भी उतना ही काम कर रही हैं, जितना एक पुरुष करता है। फिर चाहे वो किसी राजघराने से हो या किसी साधारण परिवार से।
ये जनता भी कहती है कि हमने काम किया है : –
उन्होंने कहा कि एक महिला मुख्यमंत्री होने के नाते मैंने प्रदेश में जितने भी कार्य किये हैं, उनका लेखा जोखा जनता के सामने रखने के लिए पिछले 40 दिनों से 6000 किलोमीटर की यात्रा कर राजस्थान गौरव यात्रा निकली जा रही है। क्योंकि हमारे पास हर काम का हिसाब है। हमारे पास आंकड़े हैं। आज तक के इतिहास में किसी भी मुख्यमंत्री ने कभी ऐसा साहस नहीं दिखाया कि वो जनता के सामने जाकर कह सके कि हमने इतने कामों के वादे किये थे, और इतने काम पूरे हो चुके हैं। हमने राजस्थान के 7 हज़ार पंचायत समिति मुख्यालयों पर 1 किमी लम्बे सीमेंट और कंक्रीट से बने ग्रामीण गौरव पथों का निर्माण कराया हैं। 3 हज़ार पंचायत समिति मुख्यालयों पर मिसिंग लिंक सड़कों का निर्माण कराया गया।
साल 2013 में जब राजस्थान का कार्यभार सम्हाला तो राजस्थान शिक्षा के क्षेत्र में 26वें पायदान पर था। कई स्कूलों में विद्यार्थी नहीं थे, तो कई स्कूलों में शिक्षक नहीं थे। जगह-जगह स्कूल तो थे लेकिन उनकी हालत बहुत ख़राब थी। राजस्थान की शिक्षा प्रणाली काफी कमकजोर थी। हमने शिक्षा प्रणाली को दुरुस्त किया। प्रदेश में कक्षा 1 से कक्षा 12 तक के 10 हज़ार स्कूलों को क्रमोन्नत किया। मॉडल स्कूल खोले। शिक्षकों की कमी को दूर किया। परिणमतः राजस्थान शिक्षा के क्षेत्र में पूरे देश में आज दूसरे पायदान पर आ गया है।
हमारी सरकार ने राजस्थान की जनता को 13 लाख आवास मुहैया करवाए हैं, और 37 लाख महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन दिए हैं। पूरे राज्य में 192 अन्नपूर्णा रसोई चलाई जा रही है, ताकि आमजन को समय पर सस्ता और अच्छा खाना मिल सके। समस्त छोटी बड़ी योजनाओं को मिलाकर हमने राजस्थान में लगभग 168 जनकल्याणकारी योजनाएं चला रखी हैं। और हमने ज़मीनी स्तर पर इसकी जांच भी की है कि लोगों तक इनका लाभ भी पहुँच रहा है। आज किसी में इतना साहस नहीं जो खड़ा होकर कह सके कि ये काम नहीं हुआ।
इसके बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने जो काम किये वो सबको दिखाई देते हैं, जनता को भी। लेकिन जनता को कुछ लोग सिर्फ उन कार्यों के नाम भड़काते है जो किन्हीं कारणों से पूरे नहीं हो पाए। फिर भी जनता को काम दिखता है। आने वाले समय में हमें राजस्थान को बहुत आगे तक लेकर जाना है। लेकिन हमें हमारे इतिहास और संस्कृति को भी बचाकर रखना है। जिसके लिए हमने सिर्फ आधारभूत सुविधाओं ही नहीं बल्कि राजस्थान की संस्कृति का भी विकास किया है। जिससे हमारा इतिहास बना रहे।
पचास सालों की बीमारी सिर्फ पांच साल में नहीं मिट सकती : –
राजस्थान में 50 सालों तक लगाता कांग्रेस की सरकार रही। फिर भैरोंसिंह शेखावत जी की सरकार आयी। और उसके बाद से एक बार कांग्रेस की तो एक बार भाजपा की सरकार प्रदेश में बनी है। लेकिन कांग्रेस ने प्रदेश में कोई विकास नहीं किया। अगर वो विकास करना ही चाहते थे तो उन पचास सालों में कर सकते थे। अब भाजपा की सरकार से सवाल पूछते हैं कि उतना विकास नहीं हुआ जितना होना चाहिए था। लेकिन मैं एक बात बताना चाहूंगी कि जब 2003 में पूर्ण बहुमत के साथ राजस्थान में बीजेपी सत्ता में आयी थी। उससे पहले कभी भाजपा को ना तो इतना बहुमत मिला और ना ही लंम्बे समय के लिए भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन पायी थी। भैरोंसिंह शेखावत जी की सरकार भी सिर्फ ढाई साल के लिए ही बानी थी। तो जब 2003 में मैं मुख़्यमंत्री बनकर आयी तो उस समय मुझे भी सत्ता का इतना अनुभव नहीं था। पहली बार सीखने में समय लगता है। ठोकर भी लगती है। लेकिन सीखने को बहुत कुछ मिलता है। सब लोगों के बीच जाने का मौका मिला तो हर किसी से कुछ ना कुछ सीखने को मिला। अमीरों से भी सीखने को मिला तो गरीबों से भी। क्योंकि किताबी ज्ञान और व्यवहारिक ज्ञान में बहुत अंतर होता है। और व्यवहारिक ज्ञान हम सिर्फ अनुभव करके ही पा सकते हैं। तो पहली बार में मैंने अनुभव लिया। फिर जब दूसरी बार 2013 में हमारी सरकार बनी तो हमें लय पकड़ने में उतना समय नही लगा। हमने शीघ्र ही राज्य के हालतों को समझ लिया और उन पर काम करना शुरू कर दिया। और फिर सिर्फ साढ़े चार सालों में ही हमने राजस्थान में वो कार्य कर दिखाए जो कांग्रेस सरकारें लगातार पचास साल तक सत्ता में रहने के बावजूद भी नहीं कर पायी। और ये संभव हो पाया तो सिर्फ और सिर्फ अनुभव के आधार पर। लेकिन फिर भी हम ये दावा नहीं कर सकते की हमने पचास साल की बीमारी को खत्म कर दिया है। क्योंकि पुरानी बीमारी को ख़त्म होने में समय तो लगता ही है।
कुछ लोगों को लगता है कि मैं उनके लिए उपलब्ध नहीं हो पाती या उनसे मिल नहीं पाती। लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है। लेकिन एक महिला होने के नाते मेरी अपनी कुछ मर्यादा है कुछ सीमायें हैं। इसलिए मैं हर जगह, हर समय, हर किसी से मिल भी नहीं सकती। जबकि काम तो मैं भी 12-15 घंटे करती ही हूँ। और कोई इस बात को कह भी नहीं सकता कि उनका काम पूरा नहीं हुआ। ऐसे में हर किसी से ना मिल पाना ज्यादा मायने नहीं रखता। मैं अपने किये गये कार्यों का ढिंढोरा भी नहीं पीटती हूँ। क्योंकि हमें तो कार्य करने से ही फुर्सत नहीं मिल पाती। फिर किसी राज्य की सरकार चलना कोई हंसी-खेल थोड़े ही है। हमें हर वक़्त आम आदमी की फ़िक्र रहती है। हम उनके लिए बेहतर कर रहे हैं या नहीं। क्या उन्हें अपने हक़ प्राप्त हो रहे हैं या नहीं। इसके लिए जनता हमसे सवाल भी कर सकती है। और हमारी जिम्मेदारी है कि हम समय समय पर उनका जवाब देते हैं। उनकी समस्याओं को हल करके। फिर भी अगर कोई शिकायत रह जाती है, तो हम जनसंवाद कार्यक्रम के द्वारा या पत्राचार के माध्यम से उनके समाधान करते हैं।
राजपरिवार से हूँ इसलिए जनता और राजनीति के बीच जुड़ाव को समझ सकती हूँ : –
चूँकि मैं एक राज परिवार से हूँ तो कई लोग मुझे सामंती कहते हैं। लेकिन उन लोगों को सामंत का सही मतलब नहीं पता। कोई व्यक्ति अगर सामंत होता है, तो इसका मतलब है कि वो लोगों का शुभचिंतक है। क्योंकि सामंत कभी अपने घरों में आराम से नहीं बैठते हैं। वो नगर-नगर घूमते हैं। जनता के बीच जाकर उनसे हालचाल जानते हैं। अगर कोई समस्या है तो उसे दूर करते हैं। लोगों की समस्या, एक सामंत की समस्या होती है। ग्वालियर में मेरे पूर्वजों ने भी यही किया था। उनके द्वारा किये गए जनकल्याण कार्य आज भी लोगों को लाभ देते हैं। रियासतों के एकीकरण के समय ग्वालियर रियासत ने सरकार को विकास कार्यों के लिए जनता के हित में उस समय पर 54 करोड़ रुपये दिए थे। आज भी जनता के साथ वही आत्मीयता है। और उसी आत्मीयता के दम पर आज भी परिवार का कोई भी सदस्य चुनाव लड़ सकता है और जीत सकता है।
लोग कहते हैं कि पार्टी के राष्ट्रिय अध्यक्ष के साथ मेरी अनबन रहती है। लेकिन आज मैं ये साफ़ तौर पर बता देना चाहती हूँ कि ऐसा कुछ भी नहीं है। हमारे कामकाजी संबंध हमेशा से ही बहुत मजबूत रहे हैं। मगर चूँकि भारतीय जनता पार्टी शुरू से ही पुरुष प्रधान पार्टी रही है, इसलिए मीडिया और विपक्ष वाले ऐसी भ्रामक खबरें और झूठी अफवाहें फैलते रहते हैं। ये बिना चिंगारी के धुंआ उठाने कि कोशिश की जा रही है। जिसका नतीजा आने वाले चुनाववों में सबको देखने को मिल जायेगा।
हम खुद से बेहतर करना चाहते हैं विपक्ष के लिए समय नहीं : –
हमारा चुनावी आगाज हो चूका है। ऐसे में हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती हम खुद ही हैं कि किस तरह हम और ज्यादा बेहतर कर सकते हैं। और ज्यादा विकास कर सकते हैं। जिससे राज्य आगे बढे और राजस्थान के लोग एक अच्छा खुशहाल जीवन जी सके। कोई विपक्षी नेता हमारी टक्कर में है ही नहीं। हमारी बराबरी वो कर भी नहीं सकते। मेरे दो कार्यकालों में कोई भी विपक्ष का नेता मेरे सामने विधानसभा में एक शब्द भी नहीं बोल पाया है। इनको न तो किसी किसान की चिंता है। ना किसी गरीब की परवाह। ना किसी बेरोजगार से इनकी कोई हमदर्दी है और ना ही किसी विद्यार्थी या महिला से इन्हे कोई लेना-देना है। पिछले साढ़े चार सालों से तो ये लोग कहीं जाकर सो गए। अब जैसे ही चुनाव नजदीक आये ये हो हल्ला करने लगे हैं। इसलिए हमें इनकी कोई चिंता नही है। क्योंकि ना तो अशोक गहलोत और ना ही सचिन पायलट कोई भी नेता हमारी टक्कर में नहीं है।
अभी राजस्थान को बहुत दूर तक लेकर जाना है : –
प्रदेश और देश के विकास के लेकर हमेशा से ही हमारी सोच दूरगामी रही है। हमने जो भी योजना चलाई उसे इस प्रकार से क्रियान्वित किया गया कि लम्बे समय तक और प्रभावी रूप से लोगों को उसका लाभ मिलता रहे। इसलिए ऐसी कई योजनायें हैं जिन्हे हमने राज्य में लागू किया और राजस्थान की सफलता को देखकर केंद्र सरकार ने उन्हें पूरे देश में लागू करने का निर्णय लिया है। हमने 4 करोड़ रुपये से “द राजस्थान मिशन ऑफ़ लाइवलीहुड” शुरू किया जिसे केंद्र सरकार ने “स्किल इंडिया” के नाम से पूरे देश में चालू किया। ऐसे ही भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना है, जिसकी सफलता को देखते हुए, केंद्र सरकार ने आयुष्मान भारत के नाम से पूरे हिंदुस्तान में चलाया है। राज्य में महिलाओं की स्थिति पहले से काफी बेहतर हुई है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, तकनीकी हर क्षेत्र में राजस्थान ने तरक्की की है। और राजस्थान की तरक्की को देखते हुए लगता है कि राजस्थान को बहुत आगे तक लेकर जाना है। राजस्थान को पूरे देश में पहले नंबर का राज्य बनाना है। इसलिए एक बार फिर राजस्थान की सत्ता में आना है। और दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनावों में हम एक बार फिर भारी बहुमत के साथ जीतकर भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाएंगे। ये एक महिला का वादा है आपसे।
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