राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे मंगलवार को परिवार के साथ धार्मिक यात्रा पर रही। सीएम राजे परिवार सहित आंध्रप्रदेश के तिरूमाला स्थित तिरूपति बालाजी मंदिर (वेंकटेश्वर मंदिर) पहुंची, जहां पूजा-अर्चना कर पुण्य अनुष्ठान में भाग लिया। साथ ही कालहस्ती मंदिर तथा पद्मावती मंदिर में दर्शन एवं पूजा-अर्चना कर प्रदेश की खुशहाली की कामना की। मुख्यमंत्री का तिरूमाला मंदिर परिसर में तिरुमाला तिरूपति देवस्थान के कार्यकारी अधिकारी अनिल कुमार सिंघल सहित अन्य पुजारियों और अधिकारियों ने स्वागत किया। भगवान के दर्शन के बाद राजे ने रंगनयाकुल मण्डपम में श्री वरि प्रसाद ग्रहण किया। राजे ने ब्रह्म मुहूर्त में वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर के गर्भगृह में मुख्य देवता के सामने सूर्योदय से पहले होने वाली पारम्परिक पूजा-अर्चना में भी हिस्सा लिया। इस दौरान सीएम राजे के साथ ओएसडी लक्ष्मीनारायण यादव, मंदिर एईओ रमेश, पारपाठीदार सशीधर और अन्य लोग उपस्थित थे। मुख्यमंत्री राजे के बेटे और सांसद दुष्यंत सिंह एवं उनकी पत्नी निहारिका सिंह भी उनके साथ थी।
कांचीपुरम पीठ पहुंच स्वामी जयेंद्र सरस्वती की समाधि पर संवेदना प्रकट की
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे तिरूपति मंदिर के दर्शन करने बाद कांचीपुरम पीठ पहुंची। जहां उन्होंने कुछ समय पहले समाधि लेने वाले स्वामी जयेंद्र सरस्वती की समाधि पर संवेदना प्रकट की। सीएम राजे ने यहां परिवार सहित स्वामी विजेंद्र सरस्वती और अन्य साधु-संतों से आर्शीवाद लिया। इस दौरान मुख्यमंत्री राजे ने कहा, मेरा कांचीकामकोठी पीठ से बहुत पुराना नाता रहा है। उन्होंने बताया कि वे राजमाता यानि उनकी मां विजयाराजे सिंधिया के साथ यहां आर्शीवाद लेने आई थी। सीएम राजे ने यहां करीब एक घंटे से भी ज्यादा समय तक रूकी।
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तिरुपति बालाजी भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक
जानकारी के लिए बता दें कि तिरूमाला स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। साथ ही तिरुपति भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक है। यह आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है। यहां प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में देश-विदेश से दर्शनार्थी यहां आते हैं। प्रभु वेंकटेश्वर या तिरुपति बालाजी को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि प्रभु विष्णु ने कुछ समय के लिए स्वामी पुष्करणी नामक तालाब के किनारे निवास किया था। यह तालाब तिरुमाला के पास स्थित है। शेषनाग के सात फनों के आधार पर बनीं तिरुपति के चारों ओर स्थित पहाड़ियां ‘सप्तगिरि’ कहलाती हैं।