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राजस्थान कृषकों के प्रदेश के तौर पर देश भर में अपनी पहचान रखता है। यहां प्रकृति के विपरीत मौसम में भी किसान भरपूर उपज देते है जिससे प्रदेश और देश के घरों का राशन चलता है। राजस्थान कृषि प्रधान प्रदेश होते हुए भी पिछले कुछ सालों में पिछड़े हुए प्रदेश के तौर पर जाना जाता था लेकिन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राजस्थान के किसानों का उत्थान कर आज देश के अग्रणी राज्यों में खड़ा किया है। मुख्यमंत्री राजे का विजन है कि राजस्थान का अगर विकास हो सकता है तो यहां के किसानों के साथ।

रेगिस्तान के किसानों की मेहनत और मुख्यमंत्री राजे का साथ

मुख्यमंत्री राजे ने किसानों का विकास करने के लिए कई कार्यक्रम और योजनाओं को मुर्त रूप दिया है तो ग्राम जैसे आयोजनों के द्वारा प्रदेश के किसानों को देश-विदेश की नई खेती की तकनीकों का इस्तेमाल कर कृषि उपज को बढ़ाने के लिए निरंतर प्रोत्साहित कर रही है। आज से पांच साल पहले राजस्थान के किसान सिंचाई के पानी और पैदावार के लिए चिंतित हुआ करते थे लेकिन आज हम आत्मनिर्भरता के साथ दूसरे प्रदेशों में भी अपनी फसलों को भेज रहे है। मुख्यमंत्री राजे 2020 तक प्रदेश के किसानों की आमदनी को दोगूनी करने के लक्ष्य से आगे बढ़ रही है। हाल ही में कृषि व बागवानी विभाग ने कुछ आंकड़े जारी किए है जिनसे साफ जाहिर होता है कि टीबों और बीहड़ों वाले इस प्रदेश में यह करना भी संभव है।

राजस्थान बना देश का सबसे अग्रणी राज्य

राजस्थान ने दालों, तेलीय बीजों, मसालों, फलों, सब्जियों, लहसुन और संतरों की खेती में नए आयाम स्थापित किए है। राजस्थान के किसानों ने में हाल ही में अपने निर्धारित समय से पहले ही इन फसलों का 90 फीसदी लक्ष्य प्राप्त कर लिया है। प्रदेश के किसानों की प्रगति का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि जो फसले राजस्थान में कभी हुआ ही नही करती थी आज वो देश में सबसे ज्यादा राजस्थान से उपज दे रही है।

तेलीय बीज

तेलीय बीजो की खेती में राजस्थान ने नया रिकॉर्ड स्थापित किया है। जहां पिछले पांच सालों में तेलीय बीजों की खेती राजस्थान में औसतन 58.01 लाख मेट्रिक टन होती थी वहीं इस साल यह आंकड़ा 63.89 फिसदी बढ़ा है जो कि 10 फिसदी से भी ज्यादा हैं।

मसालों की खेती

5 सालों के आंकड़ों पर नजर डाले तो राजस्थान में 7.97 लाख मेट्रिक टन ही मसालों की उत्पादन होता था लेकिन 2016-17 में यह आंकड़ा 78 फीसदी बढ़कर 14.2 लाख मेट्रिक टन हो गया है।

फल

राजस्थान में फलों की पैदावार ना के बराबर होती थी, लेकिन पिछले दो सालों में ग्राम और मुख्यमंत्री राजे ने प्रयासों से राजस्थान में फलों की खेती में अप्रत्याशित बढ़ता हासिल हुई है। जहां पिछले 5 सालों में राजस्थान में 8.12 फीसदी फलों का ही उत्पादन होता था वहीं आज यह 36.24 फीसदी के पार पहुंच गया है। इसके अलावा सब्जियों में भी राजस्थान के किसानों ने बंपर पैदावार दी है। पिछले पांच सालों में प्रदेश में 20.26 लाख मेट्रिक टन उत्पादन हुआ था वो अब 51.81 लाख मेट्रिक टन हो गया है।

लहसुन

राजस्थान के हाड़ौती को लहसुन पैदावार के लिए जाना जाता हैं। लहसुन उत्पादन में राजस्थान में 5 सालों के औसतन उत्पादन से 250 फीसदी की छलांग लगाते हुए 8.30 लाख मेट्रिक टन का रिकॉर्ड उत्पादन किया है।

प्याज

प्याज की पैदावार में राजस्थान हमेशा से ही अग्रणी रहा है पिछले पांच सालों की तुलना में इस बार प्याज उत्पादन में 68 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। इस बार राजस्थान ने प्याज उत्पादन में रिकॉर्ड 14.10 लाख मेट्रिक टन का उत्पादन किया है।