जयपुर। राजस्थान में सियासी संकट टलने के बाद अब चार मंत्रियों के पद पर संकट मंडराता नजर आ रहा है। यह चारो मंत्री जयपुर, कोटा और अजमेर संभाग के है। इनमें 2 को सचिन पायलट की अनुशंसा पर मंत्री बनाया गया जबकि 2 ने सियासी संकट के दौरान खुली बयानबाजी की। अब इन चारों को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमा फिर आमने-सामने होने को तैयार है। दरअसल, गहलोत गुट इन चारों मंत्रियों के पक्ष में खड़ा है जबकि पायलट खेमा इन्हें हटाने की मांग पर अड़ा है। सूत्रों के अनुसार इन्हें हटाया नहीं गया तो विभाग जरूर बदले जाएंगे। ऐसे में समिति को बीच का रास्ता खोजना होगा। प्रदेश प्रभारी पद से अविनाश पाण्डे की विदाई के साथ मंत्रिमण्डल फेरबदल जल्द होने के संकेत मिले हैं। राज्य में कांग्रेस सरकार बनने के दौरान भी गहलोत और पायलट खेमे में विधायक बंटे हुए थे। सरकार बनने के साथ मंत्रिमंडल गठित हुआ तो दोनों खेमों के विधायकों को उसमें जगह मिली। नाराज पायलट ने दिल्ली का रुख किया तो उनके खेमे में माने जाने वाले कुछ मंत्रियों-विधायकों ने पाला बदल लिया। ऐसे में मंत्रिमण्डल में फेरबदल को लेकर रस्साकशी शुरू हो गई।
मंत्रिमण्डल विस्तार के बाद राजनीतिक नियुक्ति
सरकार बने करीब पौने दो साल बीत चुके हैं। ऐसे में अधिकाधिक कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों को सत्ता में भागीदार बनाने के लिए आलाकमान ने राजनीतिक नियुक्तियां शीघ्र करने के निर्देश दिए हैं। मंत्रिमण्डल विस्तार के तत्काल बाद इस पर काम होगा। इसके लिए तीन सदस्यीय समिति को मंत्रिमण्डल के साथ राजनीतिक नियुक्तियों में भी गहलोत-पायलट गुट का संतुलन बनाने की मशक्कत करनी होगी। चुनाव के दौरान कांग्रेस के कई नेताओं के टिकट काटने के बाद उन्हें सरकार में भागीदारी देने के वादे किए गए थे। इसके बाद वे नेता चुनाव में पार्टी के प्रति समर्पित एवं सक्रिय रहे। इसी के बूते पार्टी ने चुनाव में कार्यकर्ताओं के बीच एकजुटता भी बनाए रखी। अब ये नेता वरिष्ठों को उनके किए वादे याद दिला रहे हैं।
किसका इस्तेमाल कहां करना है, कमेटी तय करेगी : सचिन पायलट
सियासी संकट निपटने के बाद एक बार फिर से पूर्व पीसीसी चीफ सचिन पायलट के बयान से प्रदेश का सियासी पारा गरमा गया है। बुधवार को पायलट के दिल्ली से जयपुर पहुंचते ही अशोक गहलोत गुट की धड़कनें बढ़ गईं। पायलट ने कहा कि किसका कहां इस्तेमाल करना है, यह पार्टी की ओर से गठित तीन सदस्यीय कमेटी तय करेगी। उन्होंने कहा कि कौन सरकार में रहेगा और कौन संगठन में इस पर अंतिम फैसला पार्टी ही करेगी। पायलट से जब पूछा गया कि मंत्रिमंडल और संगठन से हटाए गए उनके समर्थकों का क्या होगा? इस पर उन्होंने जवाब दिया कि इस पर भी फैसला कमेटी करेगी. कमेटी के सामने सभी मुद्दे रखे जाएंगे। पायलट ने संकेत दिया कि राजस्थान के सत्ता-संगठन से जु़ड़े बड़े राजनीतिक फैसले अब कमेटी करेगी।
हनुमान बेनीवाल पर हमला गहलोत सरकार के गले की हड्डी बना
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक एवं नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल पर हमले का मामला राज्य सरकार के लिए गले की हड्डी बनता जा रहा है। राज्य सरकार अब इस मामले में विधिक राय ले रही है। इसके लिये गृह विभाग ने राय देने के लिए AAG को पत्र लिखा है। बेनीवाल पर हमले मामले की लोकसभा की विशेषाधिकार हनन समिति में सुनवाई चल रही है। मुख्य सचिव और डीजीपी को इस मामले में विशेषाधिकार हनन समिति को जवाब पेश करना है। पिछली सुनवाई में समिति ने मुख्य सचिव को 7 दिन में निर्णय से अवगत कराने के निर्देश दिए थे। सांसद बेनीवाल पर हमला 12-13 नवम्बर 2019 की रात बाड़मेर में हुआ था। वहां सांसद हनुमान बेनीवाल के काफिले पर पथराव किया गया था।