जयपुर। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को संसद में बजट 2020 पेश किया। कुछ शर्तों के साथ 15 लाख तक की आय वालों के लिए इनकम टैक्‍स में बड़े बदलाव किए गए हैं। बजट में कई नई घोषणाएं की गई हैं। नतीजतन कई चीजें महंगी और कई चीजें सस्‍ती होने का अनुमान है। वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी राज्य बजट की तैयारी में जुट गए हैं। मौजूदा वित्तीय वर्ष की शुरूआत में प्रदेश में गांवों के विकास की आठ विभिन्न योजनाओं के संचालन के लिए सरकार के खजाने में दो हजार 993 करोड़ रुपए थे। बावजूद इसके वित्तीय वर्ष के 9 माह बाद दिसंबर बीतने तक भी पंचायतों, जिलों और सचिवालय में बैठा सरकारी अमला 848 करोड़ रुपए ही खर्च कर पाया। यानी केवल 28 फीसदी राशि गांवों के विकास में काम आई।

सबसे कम राशि हुई खर्च
सबसे सुस्त रफ्तार विभिन्न लोक सभा और विधानसभा सीटों से चुन कर आए सांसदों और विधायकों के कोष की रही। दोनों के लिए संचालित स्थानीय क्षेत्र विकास निधि योजनाओं में सबसे कम राशि खर्च हो पाई। अब वित्तीय वर्ष बीतने में केवल दो माह शेष रहे हैं। साठ दिन में आठ विभिन्न योजनाओं में खर्च के लिए विभाग के पास 2 हज़ार 145 करोड़ रुपए बचे हैं लेकिन जानकारों का कहना है कि पंचायत चुनाव की आचार संहिता के चलते यह राशि ग्रामीण विकास में काम आ पाएगी, इस की संभावना कम ही है।

विधायक निधि : एक चौथाई ही काम आई
बीते दस माह में विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम (एमएलए लैड) से पूरे प्रदेश में केवल 25 प्रतिशत राशि खर्च हो पाई। इस योजना के पेटे उपलब्ध 1508 करोड़ में से 377 करोड़ रुपए ही विकास कार्यों में लग पाए।

सांसद कोष : अब तक 22 प्रतिशत ही कर पाए खर्च
सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास कोष (एमपी लैड) का हाल भी खराब रहा। कोष में 1 अप्रेल 2019 को उपलब्ध 632 करोड़ में से 138 करोड़ रुपए ही खर्च हो पाए। हालांकि 2019 में लोकसभा चुनाव के बाद नए सांसदों को मई के बाद राशि मिल पाई है।