चंद्रयान2
चंद्रयान2

मिशन चंद्रयान2! आज 22 जुलाई 2019 को ठीक 2 बजकर 43 मिनिट हमारे वैज्ञानिक एक और इतिहास लिखने की ओर बढ़ चुके है। भारत का चंद्रयान-2 चांद पर पहुंचने के निकल चुका है। आंध्र प्रदेश में श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान2 लॉन्च हुआ। चांद धरती से 3,84,403 किलोमीटीर दूर है। चंद्रयान2 को चांद की सतह पर पहुंचने में लगभग 52 दिनों का समय लगेगा।

हालांकि हफ़्ते भर पहले 14 जुलाई को चंद्रयान को लॉन्च करना था। लेकिन लॉन्च के 56 मिनट पहले इसरो नेलॉन्चिंग को रोक दी थी। वैज्ञानिकों के अनुसार रॉकेट में टेक्नीकल गड़बड़ी हो गयी। ‘आजतक’ से बातचीत में वैज्ञानिकों ने बताया कि रॉकेट में पड़ने वाले ईंधन का प्रेशर कुछ गड़बड़ दिख रहा था, इस वजह से मिशन को रोक दिया गया। चंद्रयान में कोई गड़बड़ी नहीं थी, इसको लेकर जाने वाले रॉकेट में कुछ दिक्कत हुई, जिसकी वजह से मामला टल गया। लेकिन आज इसको सफ़लता पूर्वक लॉन्च कर दिया गया है।

3, 84,403 किमी की दूरी कैसे तय करेगा चंद्रयान2

चंद्रयान2 जिसे लांच लिया गया
चंद्रयान2 जिसे लांच लिया गया

चंद्रयान2 अपने सफ़र पर निकल चुका है। लॉन्चिंग के बाद ये पृथ्वी की कक्षा में पहुंचेगा। 16 दिनों तक यह धरती के चक्कर लगाएगा। इस दौरान इसकी अधिकतम स्पीड 10 किलोमीटर प्रति सेकेंड और न्यूनतम स्पीड 3 किलोमीटर प्रति घंटेरहेगी। पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलने के बाद रॉकेट, चंद्रयान2 से अलग हो जाएगा। 5 दिनों बाद यह चांद की कक्षा में पहुंचेगा।  इस दौरान यह चंद्रमा के चारों ओर घूमता रहेगा। 27 दिनों तक यह चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगाएगा। फिर यह चांद की सतह पर उतरेगा। इस प्रक्रिया में और 4 दिन लग जाएंगे। चांद की सतह के नजदीक पहुंचने पर लैंडर जिसे विक्रम नाम दिया गया है, अपनी कक्षा बदलेगा। उतरने से पहले उस जगह को स्कैन करेगा। लैंडर ऑर्बिटर से अलग होकर चांद की सतह पर उतर जाएगा।

चांद पर उतरने के बाद क्या करेगा

उम्मीद है की 12 से 14 सितंबर के बीच चंद्रयान2 की चंद्रमा की सतह पर लैंडर रोवर की सॉफ्ट लैंडिंग करा दी जाएगी। इसके बाद लैंडर से जिसका नाम विक्रम रखा गया है रोवर बाहर आएगा। इसरो ने रोवर को प्रज्ञान नाम दिया है। चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने ले लिए इसके दक्षिणी ध्रुव को चुना गया है। चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद प्रज्ञान रोवर एक चंद्रमा दिवस तक यहां पर चहलकदमी कर सकेगा। चंद्रमा का एक दिवस मतलब धरती के 14 दिन।

प्रज्ञान रोवर 500 मीटर के दायरे तक चहलकमदी करेगा। इस दौरान भारतीय वैज्ञानिकों ने एक खास तरीके का प्रयोग करने का भी प्लान किया है। जिसके तहत 6 पहियों वाला प्रज्ञान रोवर अपनी रोबोटिक आर्म से लेजर का इस्तेमाल करके चंद्रमा की सतह पर मौजूद मिट्टी को जलाएगा। इस दौरान इसके स्पेक्ट्रम को जांचा जाएगा। यहां से मिली सभी जानकारी प्रज्ञान रोवर पहले विक्रम लैंडर को भेजेगा। विक्रम लैंडर इस जानकारी को आर्बिटर को भेजेगा और वहां से यह जानकारी डीप स्पेस नेटवर्क के जरिए बेंगलुरु पहुंचेगी।

कितना सरल है मिशन चंद्रयान2

अपने आरामगाह में भारत की आन बान शान, चंद्रयान2
अपने आरामगाह में भारत की आन बान शान, चंद्रयान2

जहां पर रोवर उतरेगा वहां सूरज की किरणें तिरछी पड़ती हैं। आसपास की जगहों पर तापमान माइनस 250 डिग्री है। चांद से धरती तक अलग-अलग गुरुत्वाकर्षण बल यान के लिए चुनौती पैदा कर सकते हैं। चांद की कक्षा अनिश्चित है। इसलिए यान की रफ्तार कभी कम तो कभी ज्यादा करते हुए उसे सही जगह पर रखना होगा। चांद के क़रीब मौजूद गर्म और ठंडी गैसें यान के सोलर पैनल और सेंसर के लिए मुश्किल पैदा कर सकती हैं।

मिशन चंद्रयान पर कितना खर्चा

इस मिशन पर लगभग एक हजार करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। जितने कमाई फिल्म बाहुबली-2 ने की, जितने  रुपयों में 2 रोबोट 2.0, 3 शाहो और 4 बाहुबली-2 जैसी फ़िल्में बनायी जा सकती है और इतने रुपये बच भी जाते जितने में अक्षय कुमार की एक मूवी बन सकती है। उतने में भारत चंद्रयान2 मिशन पूरा कर सकता है।

चंद्रयान2 की जरुरत क्यों पड़ी

चांद पर जीवन की तलाश को नई दिशा देगा चंद्रयान2
चांद पर जीवन की तलाश को नई दिशा देगा चंद्रयान2

2008 में भारत ने चंद्रयान-1 भेजा था। हालांकि यह चंद्रमा की सतह पर नहीं उतर पाया। लेकिन फिर भी उसने ये तो बता दिया था कि चंद्रमा पर पानी है। चंद्रयान2 चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर उतरेगा। चंद्रमा के इस हिस्से में अब तक कोई देश नहीं पहुंच पाया है। चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम पता लगाएगा कि चांद के गड्ढों पर बर्फ के रूप में पानी है या नहीं। अगर पानी है तो कितना है। चांद का मौसम कैसा है? खनिज और सतह पर फैले रासायनिक तत्वों के बारे में अध्यन करेगा। हीलियम-3 गैस की संभावना की तलाश करेगा। कुल मिलाकर हम ये कह सकते हैं कि चंद्रयान2 उन सभी संभावनाओं की तलाश करेगा जिनसे हमारे वैज्ञानिक तय कर सकें। कि क्या कभी भविष्य में मानवजाति चंद्रमा पर रह सकती है?

ये मिशन इसी दिशा में बढ़ाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल भारत को बल्कि पुरी दुनिया को फायदा मिलेगा।

जैसा की हमने टाइटल में लिखा कि चंद्रयान2 लॉन्चिंग के मात्र 30 सेकंड बाद ही गायब ही गया। ये बात बिल्कुल सही है। लेकिन ये कोई असफलता, कमी या खराबी की वजह से नहीं हुआ। बल्कि बरसात के मौसम के चलते लॉन्चिंग के वक़्त बादल बहुत हो रहे थे। इसलिए हमारा चंद्रयान2 बादलों के पीछे गायब हो गया। वो तो अपनी गति से जा रहा है और सबकुछ ठीक ठाक है।