अब कोई भी व्यक्ति सोसायटी के संचालक मण्डल में वर्ष 2016 में हुए अधिनियम संशोधन के बाद लगातार उसी सोसायटी में दो अवधियों से अधिक के लिए चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। लगातार तीसरी बार उन्हें चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं होगा। इसके बाद भी अगर प्रत्याशी चुनाव लड़ने का इच्छुक है तो लगातार दो बार के बाद एक विराम लेना जरूरी होगा। राजस्थान विधानसभा ने ध्वनिमत से इस संबंध में राजस्थान सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2018 को पारित किया गया है।
इस पर प्रकाश डालते हुए सहकारिता मंत्री अजय सिंह किलक ने स्पष्ट किया कि सहकारी अधिनियम में वर्ष 2016 में हुए संशोधन के पश्चात् अब सहकारी संस्थाओं के निर्वाचित संचालक एवं अध्यक्ष आगामी दो अवधियों के लिए लगातार उसी सोसायटी में निर्वाचित हो सकेंगे। यह प्रावधान उन निर्वाचित प्रतिनिधियों के उपर लागू होगा जिनका निर्वाचन वर्ष 2016 में हुए संशोधन के पश्चात हुआ है।
नए प्रावधान के अनुसार सहकारी समितियों के संचालक एवं अध्यक्ष अब लगातार दो अवधियों के लिए पद पर चुने जा सकेंगे। उन्हें दो अवधियों के बाद एक बार विराम लेना होगा। यह प्रावधान वर्ष 2016 में हुए संशोधन के पश्चात् निर्वाचित होने वाले संचालकों पर ही लागू होगा।
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