जयपुर। राजस्थान प्रदेश में सोमवार रात 12 बजे से निजी बसें नहीं चलेंगी। प्राइवेट बस ऑपरेटरों ने एक दिन की हड़ताल करने का निर्णय किया है। ऐसे में रात से ही बसों के चक्के जाम हो जाएंगे। इस हड़ताल में प्रदेशभर की 30 हजार बसों के नहीं चलाने का दावा किया जा रहा है। ऐसी संभावना है कि बस हड़ताल से यातायात की समस्या उत्पन्न हो सकती है। बसों पर लगने वाला टैक्स आधा करने, परमिट अवधि बढ़ाने, ग्रामीण रूट्स पर टैक्स फ्री करने समेत कई मांगों को लेकर ये ऑपरेटर पिछले कुछ दिनों से सरकार और प्रशासन को ज्ञापन दे रहे थे।प्रदेश का सभी जिला प्रशासन अलर्ट हो गया है। परिवहन विभाग भी इस हड़ताल पर नजर रखे हुए है। बसों का संचालन बंद होने से प्रदेशभर में 10 लाख से ज्यादा यात्री प्रभावित होंगे।
बस ऑपरेटर्स ने बुकिंग बंद की
प्राइवेट बस ऑपरेटर्स की ओर से 12 सितंबर से चक्का जाम हड़ताल के बाद यात्रियों के सामने संकट खड़ा हो गया है। हड़ताल की चेतावनी के बाद बस ऑपरेटर्स ने बुकिंग करना बंद कर दी है। हड़ताल होने पर 30 हजार निजी बसों का संचालन नहीं होगा। इन बसों में प्रतिदिन लाखों यात्री सफर करते हैं। इसमें 1 हजार लोक परिवहन सेवा की बसें हैं, जो प्रदेश की गांव-ढाणी से यात्रियों को लेती है।
ट्रेन और रोडवेज बसों पर दिखेगा असर
बस ऑपरेटर्स एसोसिएशन राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष सत्यनारायण साहू ने बताया- आज हमें सरकार ने वार्ता के लिए बुलाया है। ये वार्ता परिवहन भवन में होगी। इसमें एसोसिएशन के पदाधिकारी और परिवहन विभाग के अधिकारी मौजूद रहेंगे। साहू ने बताया कि बसों का संचालन आज रात 12 बजे से बंद हो जाएगा। जो 24 घंटे के लिए लागू रहेगा। साहू ने बताया- बसों का संचालन बंद होने से प्रदेशभर में 10 लाख से ज्यादा यात्री प्रभावित होंगे। अगर आज रात 12 बजे से निजी बसों का संचालन प्रभावित होता है तो इसका सीधा असर ट्रेनों और रोडवेज की बसों पर दिखेगा।
जानिए क्या है प्रमुख मांगे
राजस्थान में रोडवेज को 8 हजार बसों का परमिट जारी कर रखा है, लेकिन बसें अभी 2800 है। ऐसे में जिन रूट्स पर रोडवेज की बसें संचालित नहीं होती या बहुत ही कम हो रही है वहां प्राइवेट बसों को परमिट जारी किया जाए। रोडवेज की बसों में महिलाओं को 50 फीसदी किराये में छूट है। इससे प्राइवेट बसों में यात्रीभार कम हुआ है। सरकार। प्राइवेट बसों के परमिट पर लगने वाले टैक्स को आधा करें ताकि बस संचालकों को नुकसान न हो।
21 मांगें रखी हैं
बजट में किए गए 2500 परमिट जारी करने की घोषणा को लागू किया जाए। सरेंडर की गई बसों का टैक्स माफ किया जाए और ग्रामीण रूटों पर संचालित बसों को टैक्स फ्री किया जाए। लोक परिवहन सेवा की बसों का आयु कंडीशन ऑल इंडिया परमिट की बसों के समान 12 वर्ष किया जाए। परमिट शर्तो के चालान का जुर्माना 2 हजार रुपए ही लिया जाए। विधानसभा चुनाव में बस अधिग्रहण पर रीट परीक्षा के समान राशि देने सहित 21 मांगें रखी हैं।
मांगों पर वार्ता बेनतीजा रही
ऑल राजस्थान कॉन्ट्रैक्ट कैरिज बस ऑपरेटर्स एसोसिएशन महासचिव प्रवीण अग्रवाल और बस ऑपरेटर्स एसोसिएशन राजस्थान के अध्यक्ष सत्यनारायण साहू और उपाध्यक्ष विपिन कुमार शर्मा ने बताया कि एसेसिएशन लोक परिवहन सेवा की बसों की मॉडल कंडीशन ऑल इंडिया परमिट की तरह 8 साल से बढ़ाकर 12 साल करने सहित कई मांगें शामिल हैं। इस संबंध में वार्ता भी हो चुकी, लेकिन बेनतीजा रही।
खत्म हो जाएगा 400 निजी बसों का परमिट
30 सितंबर को 400 निजी बसों का परमिट समाप्त होने वाला है। जिनका परमिट मॉडल कंडीशन के आधार पर बढ़ाने की मांग की गई है। अगर मॉडल कंडीशन में बदलाव हुआ तो निजी बसों के परमिट की अवधि बढ़ जाएगी। बस आपरेटरों का कहना है कि हमारे सामने कई समस्याएं है। दस साल में डीजल के भाव आसमान छू गए। लेकिन हमारे किराये में कोई ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है। हम दस साल पहले जो किराया ले रहे थे। आज भी उसके आस पास ही किराया ले रहे है।
टैक्स देते हैं पर नहीं मिलती कोई रियायतें
बस ऑपरेटरों का कहना है कि हम सरकार को टैक्स देते है। जबकि सरकार की ओर से हमें कोई रियायत नहीं दी जाती है। दूसरे प्रदेश यूपी, हरियाणा आदि में बस ऑपरेटरों को मॉडल कंडीशन व अन्य रियायतें मिली हुई है। लेकिन राजस्थान में ऐसा नहीं है। फिर भी हम बसें चला रहें है। वहीं राजस्थान रोडवेज की बसों को सरकार हमेशा घाटे में दिखाती है और टैक्स वहन करती है। जबकी हम तो टैक्स देते है। ऐसे में सरकार को हमारी मांगों पर ध्यान देना चाहिए।