वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने बजट-2019 को सदन में पेश कर दिया है। इस बजट में आम नागरिकों के साथ किसानों के लिए भी बहुत कुछ दिया गया है। आय कर में 5 लाख रुपए तक की टैक्स छूट और किसानों को छह हजार रुपए सालाना के साथ 26 महीनों की मातत्व छुट्टी सहित कई योजनाओं को इस बजट में शामिल किया गया है। इनके अलावा भी कई सारी रियायतें आमजन को दी गई हैं जिसमें देश के सभी लोगों का ध्यान रखा गया है। इसके बावजूद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बजट-2019 से आपत्ति है। उन्हें यह बजट न केवल दिशाहीन लगता है बल्कि बड़ी सोच से कोसो दूर दिखाई देता है।
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अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर उन्होंने पोस्ट किया है, ‘ बजट-2019 दिशाहीन बजट है और इसमें कोई बड़ी सोच दिखाई नहीं देती। अन्तरिम बजट में पेश किया गया विजन 2030 एक मजाक है, क्योंकि वर्तमान सरकार का कार्यकाल 3 माह में समाप्त हो रहा है। यह बजट चुनावी घोषणाओं का पिटारा मात्र है और युवाओं तथा किसानों के लिए बेहद निराशाजनक है। बेरोजगारी की समस्या के निराकरण के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। किसानों की आमदनी बढ़ाने के केन्द्र सरकार के प्रयास भी पूर्णतः विफल रहे हैं। 2 हैक्टेयर तक की भूमि वाले किसानों को 6 हजार रूपए वार्षिक सहायता अपर्याप्त है। मैंने प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा था कि किसानों के कर्जें माफ होने से ही उनकी तकलीफ दूर हो सकेगी।’
#Budget2019 is an election document of BJP with more supply of Jumlas rather focusing on demands of people. This #Budget has proved to be only a jugglery of words. The FM gave a vision of 10 years when government’s tenure is about to end!
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) February 1, 2019
आमजन को सस्ता घर उपलब्ध कराने और उसमें भी कई तरह की रियायतें देने के बाद भी गहलोत कह रहे हैं, ‘केन्द्रीय बजट में राजस्थान के लिए कोई विशेष घोषणा नहीं होने से प्रदेशवासियों को निराशा ही हाथ लगी है। व्यापारी वर्ग को बजट में जीएसटी के स्लैब कम होने की आशा थी, लेकिन इसके बारे में कोई घोषणा नहीं की गई है। उन्होंनेे कहा कि आम बजट में पहले से संचालित प्रधानमंत्री आवास योजना, सौभाग्य योजना, पीएमजेएसवाई, एलईडी बल्ब योजना आदि में बजट राशि काल्पनिक रूप से बढ़ाई गई है।’
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उन्होंने कहा कि आम बजट में अर्थशास्त्र और राजकोषीय सिद्धांतों की परवाह नहीं की गई है। बजट में सरकार के खर्चाें को बेतहाशा बढ़ाया गया है, लेकिन आय के स्रोतों के बारे में कोई उल्लेख नहीं है। केन्द्र सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन से इस बजट में राजकोषीय घाटा बहुत अधिक बढ़ जाएगा।
अब हर किसी का सोचना अलग है लेकिन बजट-2019 में आमजन के साथ सुरक्षा व अन्य विभागों में सभी के लिए कुछ न कुछ राहत का पूर्ण तौर पर ध्यान रखा गया है। भविष्य की सोच यहां साफ तौर पर दिखाई देती है। अगर इसके बाद भी किसी को इसमें खामी नजर आती है तो उन लोगों को राजनीति से उपर उठकर आमजन के फायदें और देश के विकास के बारे में सोचना चाहिए।
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