किसान कर्जमाफी का वादा कर सत्ता में आई कांग्रेस सरकार ने कुर्सी संभालते ही 10 दिनों के भीतर कर्जमाफी के कागजी आदेश तो निकाल दिए, लेकिन इसका सीधा लाभ किसानों को मिलता हुआ नजर नहीं आ रहा है। पिछले 5 महीनों में कर्ज के चलते कई अन्नदाताओं के आत्महत्या की खबरें सामने आई हैं, इसी क्रम में किसान खुदकुशी के मामले लगातार बरकरार है। एक मामले में अजमेर के भिनाय में तेलाड़ा गांव में कर्ज से परेशान किसान ने विषाक्त पदार्थ का सेवन कर आत्महत्या कर ली और दूसरे में हनुमानगढ़ में किसान द्वारा कलेक्ट्रेट के सामने फंदे पर झूलकर आत्महत्या करने की घटना सामने आई है।
जानकारी के अनुसार हनुमानगढ़ में मृतक किसान सुरजाराम किकरालिया गांव का रहने वाला है जिसके ऊपर बैंक का करीब साढ़े 7 लाख रुपये का कर्ज था। कर्ज के बोझ तले दबे किसान सुरजाराम कर्जमाफ करवाने के लिए कई दिनों से कलेक्ट्रेट के चक्कर काट रहा था। पुलिस के अनुसार मृतक के पास से कोई भी सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है। पुलिस ने शव को मोर्चरी में रखवाया गया है। परिजनों के पहुंचने के बाद ही शव को पोस्टमार्टम किया जाएगा। वहीं दूसरे मामले में बैंक से कर्ज चुकाने का नोटिस मिलने के दो घंटे बाद ही किसान लादूसिंह ने जहरीला पदार्थ खा लिया, जिसके बाद परिजन उसे लेकर जवाहरलाल नेहरू अस्पताल गए जहां उसने दम तोड़ दिया। जानकरी के मुताबिक मृतक लादूसिंह पर करीब 6 लाख रुपये का कर्ज था।
किसानों के द्वारा आत्महत्या करने की ये घटनाएं बताती है कि गहलोत सरकार ने महज चुनावी वादा पूरा करने के लिए किसानों की कर्जमाफी को लेकर आदेश तो निकाल दिए हैं, लेकिन हकीकत में अभी तक बड़ी संख्या में किसानों का कर्जमाफ नहीं हो पा रहा है। कर्जमाफी की आस में बैठे किसान सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने को मजबूर है लेकिन उन्हें कर्जमाफी का फायदा नहीं मिल पा रहा है।