सरकारी कर्मचारियों को राहत देते हुए अब राजस्थान सरकार ने तीसरी संतान के बाद कर्मचारियों पर पदोन्नति पर से रोक हटा ली है। मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे की अध्यक्षता में हुए कैबिनेट बैठक में यह बड़ा फैसला लिया गया है। इससे पहले किसी भी सरकारी कर्मचारी के तीसरी संतान होने पर उनकी पदोन्नति पर रोक और चौथी संतान होने पर 3 माह का नोटिस देकर अनिवार्य सेवानिवृत्ति का प्राधान था। यह प्रावधान साल 2002 में शुरू किया गया था। अब इसे हटा लिया गया है। कहने का मतलब यह है कि अब किसी सरकारी कर्मचारी के घर तीसरी या चौथी संतान होती है तो न ही उसकी पदोन्नति रुकेगी और न ही नौकरी जाएगी।
इससे पहले वसुन्धरा सरकार ने सरकार पेंशन रूल्स के नियम 53ए को विलोपित करने की घोषणा की थी। इसके अनुसार ‘राज्य कर्मचारियों को चौथी संतान होने पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति नहीं दी जाएगी।
क्या है पेंशन रूल्स 53ए नियम
पेंशन रूल्स 53ए नियम में यह प्रावधान है कि यदि राजस्थान सरकार के किसी सरकारी कर्मचारी के 3 से ज्यादा संतानें हो जाती हैं तो उसे 3 माह का नोटिस देकर अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी जाती है। इसके तहत ही यदि कोई कर्मचारी 15 दिन में नोटिस रिसीव नहीं करता है तो सरकार इसे अपने गजट में प्रकाशित करवा कर संबंधित कर्मचारी को स्वत:ही सेवानिवृत्त मान लेगी। राज्य सरकार ने जून, 2002 यह नियम लागू किया था।
क्यूं लिया अनिवार्य सेवानिवृति नियम वापस
असल में प्रदेश सरकार में पहले से कर्मचारियों के लिए दो से अधिक संतानों वाले सर्विस रूल्स में पहले से ही एक से ज्यादा सजा के प्रावधान हैं। इसके तहत अगर किसी सरकारी कर्मचारी के दो से अधिक संतान होती है तो उसके प्रमोशन एवं एसीपी पर रोक लगाई जाती है। साथ ही तीन से ज्यादा संतानों पर अनिवार्य सेवानिवृति का प्रावधान था। ऐसे में कर्मचारियों की मांग थी कि एक दोष के लिए एक से ज्यादा सजा का प्रावधान नहीं होना चाहिए। इसे देखते हुए सरकार ने चौथी संतान पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति का प्रावधान हटाने का फैसला किया है। लेकिन अब से यह दोनों ही प्रावधान खत्म कर लिए गए हैं।
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