एक तरफ दुनियाभर में 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है। वहीं राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का महिला दिवस के दिन जन्मदिन भी है। राजस्थान जैसे प्रदेश में जहां महिलाओं को घूंघट से बाहर निकलने की आजादी तक नहीं थी वहां वसुंधरा राजे तमाम चुनौतियों को पार कर लाखों महिलाओं के लिए रोल मॉडल बनकर उभरी हैं। महिला सशक्तिकरण का प्रत्यक्ष उदाहरण स्वयं वसुंधरा राजे हैं, जिन्हें राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री होने का खिताब भी हासिल है। आइए, असाधारण प्रतिभा की धनी राजे के जीवन से जुड़ी कुछ अहम व रोचक पहलुओं एक नजर डालते हैं।

देशभक्ति के माहौल में हुआ राजे का लालन-पोषण

8 मार्च 1953 को मुंबई में पैदा हुई वसुंधरा राजे के पिता महाराजा जीवाजी राव सिंधिया, ग्‍वालियर के शासक थे। आजादी के बाद उनकी माता विजयाराजे सिंधिया ने सादगी व जनसेवा के माध्यम से जनमानस के बीच अमिट छाप छोड़ी थी। वसुंधरा राजे को अपनी मां से काफी कुछ सीखने का अवसर मिला। ग्वालियर राजघराने में जन्मी राजे ने दो बार प्रदेश की सीएम बनकर देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को महिला शक्ति से परिचय करवाया है। देश की शक्तिशाली महिलाओं में शुमार वसुंधरा राजे राजस्थान की 2 बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं।

राजे के अभूतपूर्व राजनीतिक सफर पर एक नजर

वसुंधरा राजे ने वर्ष 1984 में भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्यता लेकर अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की। इसके 1 साल बाद राजस्थान भाजपा युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष का पदभार संभालने के साथ ही उन्होंने धौलपुर से विधायक का चुनाव जीता। इसके बाद वर्ष 1987 में उन्हें राजस्थान भाजपा का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। वर्ष 1998 में वाजपेयी सरकार में विदेश राज्य मंत्री का सफल कार्यकाल पूरा कर भारत व अन्य देशों के बीच संबंध को मजबूती प्रदान की। इसके बाद राजे ने अन्य मंत्रालयों का भी पदभार संभाला।

वर्ष 2003 में कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर राजे ने संभाली राजस्थान की कमान

वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव राजस्थान के लिए बेहद खास थे, क्योंकि जनता ने पहली बार एक महिला को मुख्यमंत्री के रूप में चुना था। कांग्रेस के बड़े नेताओं का सूपड़ा साफ कर राजे ने महिला शक्ति से सबको अवगत कराया और उनके नेतृत्व में भाजपा ने 121 सीटें जीती। जनता के भारी जनादेश ने वसुंधरा राजे को सीएम की कुर्सी पर बैठाया। इसके बाद वर्ष 2013 में राजे के नेतृत्व ने कांग्रेस के चारों खाने चित्त कर उसे 21 सीटों तक ही सिमट कर रख दिया था। वर्ष 2018 के चुनावों में भले ही राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी है लेकिन वसुंधरा राजे का क्रेज अभी तक कम नहीं हुआ है। आज वसुंधरा राजे राजनीति में ऐसा अहम चेहरा बन चुका है, जिनके साथ के बिना आगामी लोकसभा चुनावों में भाजपा की नैया पार लगना नामुमकिन ही साबित होगा।