बीकानेर। वेटरनरी विश्वविद्यालय, इण्डियन रेडक्रॉस सोसाइटी और मोहन फाउंडेशन जयपुर के तत्वावधान में अंगदान एवं देहदान जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन शुुक्रवार को वेटरनरी विश्वविद्यालय सभागार में हुआ। आगन्तुकों का स्वागत वेटरनरी कॉलेज के डीन डॉ.ए.पी सिंह ने किया। रेडक्रॉस सोसाइटी के सचिव विजय ख़त्री ने कहा अंगदान महादान है। अंग दान के लिए दानी के परिवार की सहमति ज़रूरी होती है। तब वह अपने हार्ट, लंग्स, किडनी, लीवर, एंटेस्टाइन, कोर्निया, एंटेस्टीनर, जॉइंट्स , बोनेमेरो आदि अंग ज़रूरतमंद व्यक्ति को डोनेट कर सकता हे।
मुख्य अतिथि डॉ तनवीर मालवत ने कहा कि अंग दान या देह दान एक नोबेल काम है। इससे जरूरतमंद व्यक्ति जा जीवन बचाया जा सकता है।
सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के एनोटोमी विभाग की प्रोफ़ेसर डॉ गरिमा ख़त्री ने कहा कि पुराणों में महर्षि दधीचि का देहदान करने वालों में पहला नाम आता है। उन्होंने शस्त्र बनाने के लिए अपना शरीर दान दे दिया। उन्होंने बताया कि वर्ष 1948 में देहदान करने का क़ानून बना और इसी के तहत मेडिकल कॉलेज को देह मिलने लगे। उन्होंने कहा कि मेडिकल स्टूडेंट्स को डिसेक्शन कर अंगों के बारे में पढ़ने के लिए एक देह की ज़रूरत पड़ती है।
डॉ. अशोक डांगी ने धन्यवाद दिया। इस अवसर पाए अनिल पाहूजा, डॉ. हेमंत दाधीच, डॉ. नंदलाल शेखावत आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. मनीषा मेहता ने किया। अंगदान पर पोस्टर और स्लोगन प्रतियोगिता के लिए वेटरनरी कॉलेज से डॉ. प्रतिष्ठा शर्मा को नियुक्त किया गया।