भरतपुर. सेन्ट्रल जेल भरतपुर सेवर मे पिछले दिनों स्वयं जेलर पूरन चंद शर्मा जेल प्रहरी महेश शर्मा व उनके साथी कैदीयो द्वारा जेल बंदियों के परिजनों से फोन एप्स के माध्यमो से उन्हें प्रताड़ित कर व जेल रिकॉर्ड खराब करने की धमकी दे कर एवं अच्छे खाने व जेल प्रताडनाओं से बचाने के लिए अबैध चौथ वसूली का खुलासा करने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के एडवोकेट व हिंदुस्तान शिवसेना के राष्ट्रीय प्रधान राजेन्द्रसिंह तोमर राजा भईया ने आज फिर से एक शिकायत जेल डीजीपी,राजस्थान जिला कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक भरतपुर के नाम ई मेल से भेज कर आरोप लगाया है की उनके द्वारा की गई शिकायतों पर जेल मुख्यालय के आदेश से जो इस प्रकरण मे जाँच कराई जा रही है वह निष्पक्ष नहीं है।

इसी जेल मे आज भी उपरोक्त दोनों आरोपी (जेलर पूरन चंद शर्मा व जेल प्रहरी महेश शर्मा)की तैनाती है और उनके रहते वह जेल बंदियों पर दवाब बना कर व उन्हें दहस्त मे डाल कर अपने मन माफिक ब्यान दर्ज करा रहें है। राजा भईया ने इस बाबत ई मेल से भेजी गई शिकायतों की प्रति पत्रकारों को देते हुए यह बात कही, उन्होंने बताया कि उनकी शिकायतों की जाँच बेशक जेल मुख्यालय के आदेश पर जिला जेल दौसा के जेल अधीक्षक महोदय कर रहें हैं परन्तु जिनके विरुद्ध संगीन आरोप साक्ष्यों सहित लगे हैं उनकी तैनाती आज भी इसी जेल मे हैं।ऐसे मे कोई भी जेल बंदी भय मुक्त हो कर सच्चे ब्यान आखिर इनके विरुद्ध कैसे दे सकता है?आरोपी जेलर और जेल प्रहरी की तैनाती मे कराई जा रही यह जाँच व्यर्थ है।

उन्होंने अपनी दी शिकायतों मे पहले भी उल्लेख किया था की निष्पक्ष जाँच इनकी जेल तैनाती मे रहते नहीं हो सकती।उन्होंने उपरोक्त तीनो अधिकारियो को ई मेल द्वारा भेजी अपनी शिकायत मे मांग की है कि पहले तत्काल इन आरोपियों को इस जेल से हटाया जायें और फिर जेल बंदियों के ब्यान दर्ज कराये जायें तभी सच्चाई सामने आएगी वैसे आरोपी जेलर द्वारा जिन फोन नंबरों व फोन एप्स मे बंदियों के परिजनों से रूपये डलवा कर वसूली की गई है,उनके स्क्रीन शॉट व फोन नम्बर अपने आप मे ही एक मजबूत साक्ष्य है। क़ानून के अनुसार भी आरोपियों की तैनाती मे जेल बंदियों के ब्यान नहीं लिए जा सकते जबकि आरोपी उसी जेल मे बरिष्ठ पद पर तैनात हों। ऐसे मे इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि ब्यान देने वाले जेल बंदी बिना डर व दहस्त के खुल कर और सच्चे ब्यान दे पाएंगे। अब देखना होगा कि एडवोकेट तोमर की इस शिकायत पर कब तक और क्या कार्यवाही संबन्धित अधिकारियों द्वारा की जाती है।

संवाददाता-आशीष वर्मा