राजस्थान में कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में जीत हासिल कर मंत्रीमंडल बना लिया है। चूंकि प्रदेश में युवाओं की संख्या काफी है, इसे देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उच्च शिक्षा विभाग की कमान सौंपी है अनुभवी भंवर सिंह भाटी को। भाटी को उच्च शिक्षा मंत्री बनाया गया है और उन्हें स्वतंत्र प्रभार भी मिला है। लेकिन लाखों युवाओं का भविष्य तय करने जा रहे भाटी की खुद की शिक्षा शायद उनके पद पर भारी पड़ती दिख रही है। असल में उच्च शिक्षा मंंत्री का पद ग्रहण कर चुके भंवर सिंह भाटी खुद इग्नू से ग्रेजुएट हैं। यह डिग्री भी उन्हें साल 2018 यानि मंत्री पद की शपथ ग्रहण करने से कुछ महीनों पहले ही मिली है।
यह जानकारी साझा की है एडीआर संस्था ने। दिल्ली स्थित यह संस्था राजनीति से जुड़े राजनीतिज्ञों की सभी जानकारी जुटा डेटा तैयार करने वाली विश्वस्त संस्था है। संस्था ने यह रिपोर्ट 27 दिसम्बर को अपनी अधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित की है।
संस्था की इस रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने वर्ष 2018 में इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी से बीए किया है। इस रिपोर्ट के बाद लगता तो ऐसा ही है कि जैसे भाटी को पहले से ही पता था कि अगर प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनती है तो उन्हें शिक्षा विभाग ही मिलेगा। शायद इसी लिए उन्होंने खाली समय में इग्नू से स्नातक होना ही मुनासिब समझा। आखिर शिक्षा विभाग संभालने वाले को ग्रेजुएट होना तो बनता है…क्यूं सही कहा ना। बता दें, 44 वर्षीय भंवर सिंह भाटी ने इस बार बीकानेर की कोलायत विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। यहां उन्होंने भाजपा की पूनम कंवर को हराया है।
भाटी को शिक्षा विभाग देने से पहले शायद वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने व्यस्त समय की वजह से इस ओर ध्यान न दे पाए हों। अगर दे पाते तो उन्हें यह पता चलता कि उन्हींं की सरकार में प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा की शिक्षा भाटी से ज्यादा और बेहतर है। डोटासरा राजस्थान विश्वविद्यालय के 1987 बैच के एलएलबी पास आउट हैं और उन्होंने महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी रोहतक से बी.एड की डिग्री भी ली हुई है। चूंकि बात है 12वीं और इसके बाद के बच्चों की शिक्षा की तो उच्च शिक्षा मंत्री पद को शायद डोटासरा बेहतर तरीके से संभाल सकते थे। खैर…क्या पता कांग्रेस राजनीति के जादूगर गहलोत का जादू ही कुछ कमाल कर दे।
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