कहते है कि अपनी जनता की समस्या का शीघ्र और सुगम समाधान करने की चेष्टा को देखकर किसी देश या प्रदेश के शासक को परखा जा सकता है। कुछ ऐसा ही इन दिनों राजस्थान में नज़र आया। जब राज्य सरकार द्वारा एक मरीज़ को उसकी दुर्लभ और घातक बीमारी से पूरी तरह निज़ात दिलाई गई। मरीज़ की इस परेशानी में सरकार ने उसका पूरी तरह से साथ दिया। राज्य के निजी अस्पताल में व्यक्ति का इलाज़ पूर्णतः निःशुल्क कराया गया। सरकार की अपने आमजन के प्रति ऐसी सहयोग भावना राज्य में सुशासन का परिचय देती है।
बन गई थी, 10 सेमी. की गांठ:
यूनिसेंट्रिक केसलमेन नामक इस दुर्लभ बीमारी का पहला केस राज्य में देखने को मिला। यह बीमारी लसिका उत्तक से सम्बंधित बीमारी है। इसमें व्यक्ति की लसिका ग्रंथियों में अनियमित वृद्धि होने लगती है। जिससे शरीर के लसिका उत्तक में गांठे बनने लगती है। बीमारी से ग्रसित व्यक्ति के 10 सेमी. की गाँठ बन गई थी। यह गाँठ मरीज़ के फैंफड़े से होती हुई उसके ह्रदय और धमनियों में फंसी हुई थी। सरकार के पूर्ण आर्थिक सहयोग से प्रदेशवासी का इलाज़ चला और चिकित्सकों की मेहनत से अब वह व्यक्ति एकदम स्वस्थ हो गया।
भामाशाह योजना का मिला लाभ:
मरीज़ निर्धन परिवार से था। इतनी बड़ी बीमारी का पता चलने पर उसके इलाज़ के खर्च की चिंता से घिर गया था। लेकिन इस समय राजस्थान सरकार की अतिमहत्वाकांक्षी भामाशाह योजना ने नया जीवन देने का काम किया। मरीज़ ने अस्पताल जाकर अपना भामाशाह कार्ड दिखाकर उपचार करवाया। उचित जांचे की गई। दवाइयां समय पर ली गई। आख़िरकार निजी अस्पताल की बेहतरीन सुविधाओं में विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम द्वारा किया गया यह ऑपरेशन सफल रहा। स्वास्थ्य समस्या से जूझते आमजन को सरकार का पूरा सहयोग मिला। इस पूरे उपचार का खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किया गया।
स्वास्थ्य सुविधाओं में आमजन का सहारा बनकर उभरी भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना:
राजस्थान सरकार की लोकप्रिय फ्लैगशिप योजना भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना आज प्रदेश के आमजन की स्वास्थ्य सम्बंधित चिंताओं को दूर करती है। यह स्वास्थ्य बीमा योजना दूसरे प्रदेशो की बीमा योजनाओं के मुकाबले बेहद गुणवत्तापूर्ण एवं सस्ती है।
इस योजना के तहत अब तक 633 करोड़ रूपये मूल्य के 12,17,656 दावे पेश किए जा चुके हैं। इनमें से करीब 500 करोड़ रूपये के 10 लाख दावों के भुगतान सरकार की ओर से स्वीकृत किये जा चुके हैं। वर्तमान में भी प्रतिदिन स्वास्थ्य समस्याओं के औसतन 3500 मरीज़ों को इस योजना का लाभ दिया जा रहा हैं।