news of rajasthan
भैरोंसिंह शेखावत
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भैरोंसिंह शेखावत

‘भारत का रॉकफेलर’ और भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत की आज जयंती है। यूं तो भैरोंसिंह शेखावत को हमेशा भारतीय जनता पार्टी का वरिष्ठ नेता माना जाता है लेकिन जब बात हो राजस्थान की सियासत की तो उनका जिक्र न हो, ऐसा संभव नहीं है। प्रदेश में ‘बाबोसा’ और ‘ठाकर साहब’ जैसे नामों से स्थानीय लोगों के दिलों में पैठ बनाने वाले दिवंगत भैरोंसिंह शेखावत जनसंघ से लेकर भाजपा के सफर में उन चुनिंदा दिग्गजों में शामिल रहे हैं जिनकी भूमिका को कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। बाबोसा ने न केवल अपने सरल व सौम्य चरित्र से पार्टी के नेताओं को प्रभावित किया बल्कि विरोधी पार्टियों के नेताओं में भी साख बनाई। उनके बारे में एक खास बात बता दें, वह राजस्थान के एक ऐसा नेता रहे जिन्होंने 1952 से लेकर 1998 तक कभी कोई चुनाव नहीं गंवाया। विश्व बैंक के अध्यक्ष रॉबर्ट मैकनामरा ने शेखावत को ‘भारत का रॉकफेलर’ कहा था।


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देश के पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी, भाजपा के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आड़वाणी और भैरोंसिंह शेखावत की तिकड़ी काफी खास थी। तीनों एक-दूसरे से परम मित्र और नजदीकी रहे।

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भैरों सिंह शेखावत का जन्म 23 अक्टूबर, 1923 को राजस्थान के सीकर जिले के खचारीवास गांव में हुआ। उन्होंने अपनी स्कूल की शिक्षा पूरी ही की थी कि उनके पिताजी का निधन हो गया जिसके कारण आगे की पढ़ाई नहीं कर सके। पिता के निधन के बाद परिवार की जिम्मेदारी उन पर आ गई। उन्होंने खेती से शुरूआत की और बाद में पुलिस में सब-इंस्पेक्टर बन गए। उनका विवाह सूरज कंवर से हुआ।

  • भैरोंसिंह शेखावत ने 1952 में राजनीति में प्रवेश किया। 1952 से 1972 तक वह राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे।
  • 1974 से 1977 तक उन्होंने राज्यसभा सदस्य के तौर पर अपनी सेवाएं दीं।
  • 1977 से 2002 वह राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे। 1977 में 200 में से 151 सीटों पर कब्जा करके उनकी पार्टी ने चुनाव में जीत दर्ज की और वह राजस्थान के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने 1980 तक अपनी सेवाएं दीं।
  • 1980 में भारतीय जनसंघ और स्वतंत्र पार्टी के विघटन के बाद वह बीजेपी में शामिल हो गए और 1990 तक नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाई।
  • 1990 में भैरों सिंह शेखावत फिर से राजस्थान के मुख्यमंत्री बने और 1992 तक पद पर बने रहे।
  • 1993 में लगातार तीसरी बार वह राजस्थान के मुख्यमंत्री बने और पांच साल तक रहे।
  • वर्ष 2002 में भैरों सिंह शेखावत सुशील कुमार शिंदे को हराकर देश के उपराष्ट्रपति चुने गए।
  • जुलाई 2007 में उन्होंने नेशनल डेमोक्रेटिक अलाइंस के समर्थन से निर्दलीय राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ा, लेकिन चुनाव हार गए। प्रतिभा पाटिल देश की राष्ट्रपति बनीं।
  • इसके बाद बाबोसा ने राजनीति से पूरी तरह संन्यास ले लिया। उनका निधन 15 मई, 2010 को जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में हो गया। वह कैंसर से पीड़ित थे। उनके अंतिम संस्कार में प्रसिद्ध राजनेताओं के अलावा हजारों लोग शामिल हुए।

पुरस्कार और सम्मान

भैरों सिंह शेखावत को उनकी कई उपलब्धियों और विलक्षण गुणों के चलते आंध्रा विश्वविद्यालय विशाखापट्टनम, महात्मागांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी, और मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय उदयपुर ने डीलिट की उपाधि प्रदान की। एशियाटिक सोसायटी ऑफ मुंबई ने उन्हें फैलोशिप से सम्मानित किया तथा येरेवन स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी अर्मेनिया द्वारा उन्हें गोल्ड मेडल के साथ मेडिसिन डिग्री की डॉक्टरेट उपाधि प्रदान की गई।

राजस्थान में योगदान

भैरोंसिंह शेखावत ने राजस्थान के मुख्यमंत्री के तौर पर प्रदेश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका मुख्य उद्देश्य गरीबों तक अधिकारों का लाभ पहुंचाना था। उन्होंने लोगों को परिवार नियोजन और जनसंख्या विस्फोट का राज्य के विकास पर पड़ने वाले दुष्परिणामों के बारे में जागरूक किया। लोगों की आर्थिक मदद के लिए उन्होंने नई निवेश नीतियां शुरू की, जिनमें उद्योगों का विकास, खनन, सड़क और पर्यटन शामिल है। उन्होंने हेरिटेज होटल और ग्रामीण पर्यटन जैसे योजनाओं को लागू करने का सिद्धांत दिया, जिससे राजस्थान के पर्यटन क्षेत्र में वृद्धि हुई। उन्होंने शिक्षा, बालिकाओं का उत्थान व उनका कल्याण, अनुसूचित जाति, जनजाति, अल्पसंख्यक, पिछड़ा वर्ग और शारीरिक विकलांग लोगों की स्थिति में सुधार पर बल दिया।

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