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गुरू गोबिंद सिंह

आज सिखों का प्रमुख त्योहार बैसाखी है। प्रदेश सहित देशभर में यह त्योहार पूरे हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे सहित अन्य नेताओं ने प्रदेशवासियों को बैसाखी की हार्दिक शुभकामनाएं व बधाई दी है। चूंकि आज बैसाखी है, आज के दिन गुरू गोबिंद सिंह जी का जिक्र न हो, ऐसा तो हो ही नहीं सकता।


खालसा पंथ के स्थापक और सिखों के 10वें गुरू, गुरू गोबिंद सिंह जी महान योद्धा होने के साथ एक कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक गुरू भी थे। उन्होंने गुरु ग्रन्थ साहिब को पूर्ण कर स्वयं को एक गुरु के रूप में सुशोभित किया।

गुरू गोबिंद सिंह जी की कही यह पंक्तियां आज भी जोश और उर्जा का संचार करती हैं :-

सवा लाख से एक लड़ाऊं।
चिड़ियन ते मैं बाज तुड़ाऊं।
तबै गुरु गोबिंद सिंह नाम कहाऊं।।

आइए आज हम गुरु गोबिंद सिंह जी के 10 अनमोल विचारों को जानते हैं, जो आज भी जीवन जीने के तरीकों को सिखाती हैं।

1. जो कोई भी मुझे भगवान कहे, वो नरक में चला जाए।
2. इंसान से प्रेम ही ईश्वर की सच्ची भक्ति है।
3. अगर आप केवल भविष्य के बारे में सोचते रहेंगे तो वर्तमान भी खो देंगे।
4. जब आप अपने अन्दर से अहंकार मिटा देंगे तभी आपको वास्तविक शांति प्राप्त होगी।
5. जब बाकी सभी तरीके विफल हो जाएं, तो हाथ में तलवार उठाना सही है।
6. भगवान के नाम के अलावा कोई मित्र नहीं है, भगवान के विनम्र सेवक इसी का चिंतन करते और इसी को देखते हैं।
7. सत्कर्म कर्म के द्वारा तुम्हें सच्चा गुरु मिलेगा और उसके बाद प्रिय भगवान मिलेंगे। उनकी मधुर इच्छा से तुम्हें उनकी दया का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
8. अज्ञानी व्यक्ति पूरी तरह से अंधा है। वह मूल्यवान चीजों की कद्र नहीं करता है।
9. बिना गुरु के किसी को भगवान का नाम नहीं मिला है।
10. सेवक नानक भगवान के दास हैं। अपनी कृपा से भगवान उनका सम्मान सुरक्षित रखते हैं।

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