जोधपुर। राजस्थान राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस गोपालकृष्ण व्यास ने युवाओं से संविधान की मूल भावनाओं को आत्मसात करने तथा मानवाधिकारों की रक्षा के संकल्पों को साकार करने के लिए इनसे संबंधित कानूनों और प्रावधानों के प्रति जागरुकता अपनाने का आह्वान किया है।
जस्टिस व्यास ने शनिवार को जोधपुर के व्यास इंस्टीट्यूट के सेमिनार सभागार में आपराधिक प्रकरणों में पीड़ित के अधिकारों से संबंधित जानकारी पर आधारित सेमिनार में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए यह आह्वान किया।जस्टिस व्यास ने आजादी के बाद देश मे संविधान लागू कर नागरिकों को मूल अधिकार प्रदान किए जाने पर विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि इसमें समानता, स्वतंत्रता, जीवन यापन और धर्मिक स्वतंत्रता का मूल अधिकार दिया गया है। भारत की संसद द्वारा बनाए जाने वाले कानून की मूल भावना भी मानवाधिकारों पर आधारित होती है।
आयोग अध्यक्ष ने न्यायपालिका द्वारा अपराधियों को प्राप्त अधिकारों की विस्तार से व्याख्या करते हुए कहा कि पीड़ित के अधिकारों के संबंध में कहा कि राज्य सरकारों को चाहिए कि हर राज्य द्वारा पीड़ित प्रतिकर नीति बनाई जाकर पीड़ितों की सहायता कर उनके मानवाधिकारों की रक्षा की जाय।उन्होंने बताया कि भारतीय संसद द्वारा भी दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 357 ए जोड़कर यह प्रावधान किया कि न्यायालय भी आपराधिक प्रकरण अंतिम रूप से निस्तारित करते समय पीड़ित को क्षतिपूर्ति देने का आदेश करे।
व्यास ने कहा नई पीढ़ी को इन प्रावधानों का अध्धयन करने के साथ ही सेवा भावना से राज्य सरकार द्वारा बनाई गई पीड़ित प्रतिकर नीति 2011 का प्रचार-प्रसार कर गरीबों और जरूरतमन्दों की सेवा में सहभागिता निभाने आगे आना चाहिए।
व्यास ने विधि एवम सविधान के प्रावधानों की व्याख्या करते हुए कहा कि हमारे देश की बढ़ती जनसंख्या और उपलब्ध संसाधनों को देखते हुए मानवधिकारों की रक्षा करना एक चुनौती है, फिर भी राज्य सरकार इन्दिरा रसोई और चिरंजीवी बीमा योजना आदि के माध्यम से मानवधिकारों की रक्षा के सराहनीय कार्य में भरसक प्रयासों के साथ जुटी हुई है।सेमिनार के आरम्भ में न्यायाधिपति गोपाल कृष्ण व्यास का स्वागत राजस्थान विकास संस्थान के अध्यक्ष मनीष व्यास ने किया। वाइस चेयरमैन आशा व्यास ने प्रतीक चिह्न प्रदान किया।