महारानी श्री जया राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय परिसर में स्थित श्री हनुमान मंदिर पर भक्तजनों द्वारा पार्थिव शिवलिंग की स्थापना कर विधि विधान के साथ पूजा की गई। प्रोफेसर डॉ.अशोक कुमार गुप्ता ने बताया की वर्तमान में जो मास चल रहा है वह पुरुषोत्तम मास,अधिक मास,सावन मास आदि विभिन्न नामों से जाना जाता है।इस माह को भगवान आशुतोष शिवजी का माह भी कहते हैं।
डॉ.गुप्ता ने बताया की रविवार को पुरुषोत्तम माह का प्रदोष काल भी था जो विशेष दिन था।इस माह में पार्थिव शिवलिंग बनाकर शिव पूजन करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।शिव पुराण में भी पार्थिव शिवलिंग पूजन करने का वर्णन आता है।उन्होंने बताया कि कलयुग में भी कुष्मांड ऋषि के पुत्र मंडप ने पार्थिव पूजा की। मंदिर के महंत शास्त्री डॉ. ताराचंद शर्मा बताते हैं की पार्थिव पूजन से धन-धान्य,आरोग्य एवं संतान की प्राप्ति होती है।इस पूजन से दैहिक,दैविक एवं भौतिक तीनों ही तापों से छुटकारा मिल जाता है।
उन्होंने बताया कि इस पूजन से अकाल मृत्यु का भी भय समाप्त हो जाता है।शिव सदैव कल्याणकारी है। त्रेतायुग में भी भगवान श्रीराम ने लंका विजय से पूर्व सेतुबंध रामेश्वर पर पार्थिव पूजा की थी। उन्होंने बताया कि इनकी विधिवत जो पूजा-अर्चना करता है वह सभी दुखों से दूर हो जाता है,साथ ही मनुष्य की सभी मनोकामनाएंँ पूर्ण हो जाती है।इस अवसर पर पार्थिव पूजा कराने वाले शास्त्री पंडित जितेंद्र शर्मा भी बताते हैं कि इस पूजा को करने वाले बहुत ही भाग्यशाली होते हैं।भगवान शिव इस पूजा से अति शीघ्र प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं।
उन्होंने पार्थिव शिवलिंग के समक्ष समस्त शिव मंत्रों का जाप कराया,साथ ही बताया कि रोगों से मुक्ति के लिए महामृत्युंजय एवं ओम नमः शिवाय का निरंतर जाप करना चाहिए।भक्त तुलसीराम शास्त्री बताते हैं की पूजा से पहले पार्थिव शिवलिंग बनाना चाहिए। इसके लिए पवित्र नदी या तालाब की मिट्टी लेकर उसे पुष्प, चंदन, दूध, गंगाजल इत्यादि से सोधित कर शिव मंत्र बोलते हुए पूर्व या उत्तर दिशा में मुंँह करके 101,108 आदि की संख्या में शिवलिंग बनाने चाहिए।इस अवसर पर शास्त्री पंडित डॉ.ताराचंद शर्मा ने पांच जोड़ो एवं एकल भक्तों द्वारा निर्मित पार्थिव शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा कराते हुए विधि विधान एवं मंत्रों के साथ पार्थिव पूजा करवाई।इस अवसर पर मुख्य यजमान प्रोफेसर डॉ.योगेंद्र कुमार भानु ने पूजा विधान की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस पार्थिव पूजा का पुराणों में भी विधान है।
इससे भगवान तो प्रसन्न होते ही हैं साथ ही हमें आत्मिक शुद्धि भी मिलती है।इस अवसर पर प्रोफेसर डॉ.अशोक कुमार गुप्ता, प्रोफेसर श्रीमती डॉ.संतोष गुप्ता, श्रीमती अपर्णा,श्रीमती शीला देवी,अरविंद सिंह,श्रीमती कृष्णा कुमारी एवं श्रीमती सुनीता सोनी मुख्य यजमानों के अलावा महेंद्र सिंह,मोहन,उत्कर्ष,श्रीवत्स,जने
संवाददाता- आशीष वर्मा