देश में भारतीय जनता पार्टी की राजनीति की धूरी और नायक रहे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (93) की कल शाम निधन हो गया। उन्होंने शाम 5 बजकर 5 मिनट पर दिल्ली के एम्स अस्पताल में अपनी अंतिम सांस ली। वह पिछले दो महीने से किडनी, नली में संक्रमण, सीने में जकड़न और पेशाब की नली में संक्रमण होने के चलते एम्स में भर्ती थे। उनके निधन की खबर से देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है। उनकी पार्थिव देह दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में अंतिम दर्शनों के लिए रखी गई है। दोपहर एक बजे उनकी अंतिम यात्रा निकाली जाएगी। उनका अंतिम संस्कार आज शाम 4.30 बजे विजयघाट पर किया जाएगा। डेढ़ एकड़ में उनका स्मारक भी बनाया जाएगा। उनके निधन पर 7 दिन का राष्ट्रीय और राजकीय शोक घोषित किया गया है। पूरे देश की शिक्षण संस्थाओं में आज अवकाश की घोषणा हुई है। उनके निधन से भाजपा की संपूर्ण राजनीति का एक खास अध्याय समाप्त हो गया है।
भारतीय जनता पार्टी के भीष्म पितामह और देश के 10वें प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण करने वाले अटल बिहारी वाजपेयी 3 बार देश के प्रधानमंत्री रहे। अपने 50 साल के लंबे राजनीतिक जीवन में वाजपेयी बीजेपी के साथ विपक्ष के भी पसंदीदा नेता रहे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, लाल कृष्ण आड़वाणी, अमित शाह, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे सहित आला नेताओं ने अटलजी के निधन पर पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
प्रधानमंत्री बनने के बाद अटलजी की दो बड़ी और खास उपलब्धियां रही जो हमेशा के लिए इतिहास के सुनहरे पन्नों पर दर्ज हो गई हैं। पहला – 1998 में सरकार बनने के केवल 3 महीनों के भीतर पोकरण में सफल परमाणु परीक्षण किया। दूसरा – 15 अगस्त, 2003 में अटलजी ने देश के पहले चंद्रमिशन ‘चंद्रयान 1’ की घोषणा की जो 22 अक्टूबर, 2008 को लॉन्च हुआ। इस यान ने चंद्रमा की परिक्रमा कर चांद पर पानी खोजा जो इसरो की सबसे बड़ी सफलता थी।
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