राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही अब लोगों की नज़रें आगामी चुनाव के परिणाम पर है। राज्य में 7 दिसंबर को मतदान होगा और मतों की गणना 11 दिसंबर को होगी। इसी दिन विधानसभा चुनाव के नतीजे आएंगे। प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सामने जसवंत सिंह के बेटे और कांग्रेस नेता मानवेन्द्र सिंह को उतरने के साथ ही झालरापाटन सीट राजस्थान की सबसे चर्चित सीट हो गई है। जीत-हार चुनावों में होती रहती है लेकिन राजे और मानवेन्द्र की टक्कर से यह सीट अब राज्य की सबसे हॉट सीट हो गई है। राज्य और राज्य के बाहर के लोगों की भी इस सीट को लेकर दिलचस्पी बढ़ गई है। झालरापाटन समेत राज्य में ऐसी 7 सीटें हैं, जहां दिग्गजों की टक्कर रोचक होगी और मुकाबला चर्चित रहेगा। इनके नतीजों पर देश की नजरें टिकी होंगी। आइये जानते हैं राजस्थान की 7 ‘वेरी हॉट’ सीटें..
1. झालरापाटन: वसुंधरा राजे VS मानवेन्द्र सिंह
वसुंधरा राजे: ये झालरापाटन से लगातार तीन बार विधायक है। चौथी बार भी अपनी परंपरागत सीट से ही मैदान में है। राजे ने पिछला चुनाव रिकॉर्ड 60,896 मतों से जीता था। वसुंधरा झालावाड़ से पांच बार सांसद रहीं है और जमीनी स्तर पर इनकी पकड़ बेहद मजबूत है।
मानवेन्द्र सिंह: पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह के बेटे मानवेन्द्र बाड़मेर-जैसलमेर से एक बार सांसद रह चुके हैं। पिछली बार शिव विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर कांग्रेस के अमीन खां को 31,425 वोटों से हराया था। लेकिन वे हाल ही में कांग्रेस में शामिल हो गए थे। कांग्रेस ने मानवेन्द्र को राजे के सामने उतारा है। इस सीट पर सबकी निगाहें रहेंगी।
2. टोंक: सचिन पायलट VS युनूस खान
सचिन पायलट: प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पायलट दौसा एवं अजमेर लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं। इस बार कांग्रेस ने पायलट को टोंक से उतारा है। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने यहां से जकिया को टिकट दिया था। वे बीजेपी के अजीत सिंह मेहता के सामने अपनी जमानत भी नहीं बचा सकी थी।
युनूस खान: वसुंधरा सरकार में नंबर 2 मंत्री की हैसियत रखने वाले युनूस खान को इस बार बीजेपी ने टोंक से सचिन पायलट के सामने उतारा है। वे नागौर की डीडवाना सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं। पायलट के सामने युनूस खान को बीजेपी का ट्रम्प कार्ड माना जा रहा है। यहां मुकाबला रोमांचक होने की उम्मीद की जा रही है। 2013 में बीजेपी के मेहता टोंक से 30,343 वोटों से जीते थे।
3. सरदारपुरा: अशोक गहलोत VS शंभूसिंह खेतासर
अशोक गहलोत: राजस्थान के दो बार मुख्यमंत्री रहे गहलोत पांचवी बार अपनी परंपरागत सीट सरदारपुरा से मैदान में उतरे हैं। 2013 के विधानसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद गहलोत 18,478 वोटों से जीते थे। लेकिन इस बार गहलोत के लिए राह आसान नहीं होगी।
शंभूसिंह खेतासर: जोधपुर की सरदारपुरा सीट से खेतासर लंबे समय से बीजेपी प्रत्याशी रहते आए हैं। लेकिन वे कभी भी चुनाव नहीं जीत पाए हैं। उम्मीद है कि इस बार खेतासर कुछ करिश्मा करके बीजेपी को दिखा सकते हैं। 2013 के विधानसभा चुनाव में शंभूसिंह को 59 हजार से अधिक वोट मिले थे।
4. नाथद्वारा: सीपी जोशी VS महेश प्रताप सिंह
सीपी जोशी: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जोशी नाथद्वारा से चार बार विधायक रह चुके हैं। वे मनमोहन सरकार में मंत्री भी रहे। 2014 के लोकसभा चुनाव में सीपी जोशी को हार का सामना करना पड़ा। सीएम के दावेदार रहे जोशी 2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के कल्याण सिंह से एक वोट से हार गए थे। इसके बाद वे अगले दो चुनावों में लोकसभा पहुंचे। जोशी ने 2013 का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था।
महेश प्रताप सिंह: बीजेपी ने नाथद्वारा से सीपी जोशी के सामने इस बार महेश प्रताप सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है। सिंह की 11 साल बाद भाजपा में वापसी हुई है। महेश प्रताप सिंह बीजेपी नेता और भैरोसिंह शेखावत सरकार में मंत्री रहे शिवदान सिंह के भतीजे हैं। शिवदान ने वर्ष 1990 के विधानसभा चुनाव में सीपी जोशी को करारी हार का स्वाद चखाया था।
5. सपोटरा: गोलमा देवी VS रमेश मीणा
गोलमा देवी: डाॅ. किरोड़ी लाल मीणा की पत्नी गोलमा देवी गहलोत सरकार में मंत्री रह चुकी है। 2013 का विधानसभा गोलमा दो सीटों से लड़ी। अलवर की राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ से उन्हें जीत मिली लेकिन दौसा जिले की महुआ सीट से गोलमा चुनाव हार गई। इस बार वे बीजेपी के टिकट पर करौली जिले की सपोटरा सीट से चुनाव मैदान में उतरी है।
रमेश मीणा: कांग्रेस विधायक दल के उपनेता रमेश मीणा कांग्रेस के उभरते हुए नेता है। रमेश मीणा को डॉ. किरोड़ी लाल मीणा का धुर-विरोधी माना जाता है। इसलिए यहां मुकाबला कड़ा होने जा रहा है। रमेश 2013 का विधानसभा चुनाव इसी सीट से जीत चुके हैं।
6. डीग-कुम्हेर: विश्वेन्द्र सिंह VS शैलेष सिंह
विश्वेन्द्र सिंह: भरतपुर राज परिवार के विश्वेन्द्र सिंह डीग-कुम्हेर विधानसभा सीट से पिछला चुनाव कांग्रेस के टिकट पर 11162 वोटों से जीते। इन्होंने बीजेपी के डॉ. दिगंबर सिंह को हराया था। जबकि वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में विश्वेन्द्र चुनाव हार गए थे। विश्वेन्द्र सिंह भरतपुर सीट से सांसद भी रह चुके हैं।
डाॅ. शैलेष सिंह: भाजपा के दिवंगत नेता डॉ. दिगंबर सिंह के बेटे डाॅ. शैलेष सिंह पहली बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं। डॉ. दिगंबर सिंह वसुंधरा सरकार में मंत्री भी रहे थे। भाजपा ने इस बार विश्वेन्द्र सिंह के सामने डाॅ. शैलेष सिंह को चुनाव में उतारा है। दिगंबर सिंह इसी सीट से विश्वेन्द्र को चुनाव हरा चुके थे। इस सीट पर भावनात्मक रूप से लोग इस बार शैलेष सिंह के साथ जा सकते हैं।
7. उदयपुर: गुलाबचंद कटारिया VS डॉ. गिरिजा व्यास
गुलाब चंद कटारिया: बीजेपी के वरिष्ठ नेता और वर्तमान वसुंधरा सरकार में गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया का मुकाबला कांग्रेस की वरिष्ठ नेता गिरिजा व्यास से होगा। कटारिया पिछला चुनाव बड़े अंतर से जीते थे।
गिरिजा व्यास: कांग्रेस ने गिरिजा व्यास को उदयपुर से कटारिया के सामने मैदान में उतारा है। वे कांग्रेस की बड़ी नेत्री रही हैं। गिरिजा व्यास सांसद और मंत्री भी रह चुकी हैं। वे विधानसभा चुनाव में एक बार कटारिया को हरा चुकी हैं। गिरिजा कांग्रेस का बड़ा चेहरा हैं। इसलिए यहां इस बार मुकाबला रोचक होगा।
Read More: वसुंधरा राजे ने कांग्रेस से कोटा राज परिवार को भाजपा में शामिल कराया