हाल ही में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मीडिया को दिए एक बयान में कहा कि प्रदेश भाजपा सरकार को भामाशाह योजना लानी ही नहीं चाहिए थी। इससे पहले भी कांग्रेसी नेता यह बात कह चुके हैं कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो भामाशाह कार्ड रद्दी की टोकरी में पड़े नजर आएंगे। राजस्थान सरकार की एक ऐसी योजना जिसने राजस्थान को बीमारू प्रदेशों के श्रेणी से बाहर निकला। गरीबों के लिए एक ऐसा सहारा, जिससे अब तक प्रदेश के करीब 24 लाख 85 हजार से अधिक व्यक्तियों को निःशुल्क कैशलेश इनडोर उपचार सेवाओं से लाभान्वित किया जा चुका है। ऐसी कामयाब भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना को बंद कराने का आश्वासन देकर वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत और कांग्रेस पार्टी कौन सी राजनीति करना चाहती है। ऐसी सफल और फलदायी स्कीम से कांग्रेस को भला क्या दिक्कत हो सकती है, यह समझ से परे है।
बात करें इस योजना की तो भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना सम्पूर्ण राजस्थान में एक स्वास्थ्य अभियान की तरह चलाई जा रही है। राजस्थान को एक पूर्ण स्वस्थ प्रदेश बनाने के लिए योजना में 506 सरकारी चिकित्सालय एवं 774 निजी चिकित्सालयों को नामांकित किया गया है। योजना के अंतर्गत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना में शामिल परिवार के सभी व्यक्तियों को उक्त राज्य के 600 सरकारी एवं 700 निजी अस्पतालों में मुफ़्त कैशलेस स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराए जाने की व्यवस्था की गई है। योजना में 1500 बीमारियों को शामिल किया गया जिनमे 663 अति गंभीर बीमारियों को कवर किया गया है। भामाशाह स्वास्थ्य बीमा के रूप में अब तक 1650 करोड़ रुपये की बीमा राशि स्वीकृत की जा चुकी है। जब इतनी सारी सुविधाएं बिलकुल मुफ्त बांटी जा रही है तो गरीबों के लिए इस कल्याणकारी स्कीम पर धावा बोलकर कांग्रेस केवल अपने स्वार्थ को गुनाहों की कसौटी पर घिसने का काम कर रही है।
अब फिर से आते हैं अशोक गहलोत के उस बयान पर जिसमें उन्होंने इस योजना के बारे में बेबाक बयान दिया है। उन्होंने कहा, ‘प्रदेश भाजपा सरकार को भामाशाह योजना लानी ही नहीं चाहिए थी। प्रदेश भाजपा सरकार ने अपनी जिद को पूरा करने के लिये हमारी योजना को लागू की। सरकार भामाशाह योजना लेकर आयी है और करोड़ों रुपए भामाशाह कार्ड बनाने में खर्च किए गए और यह जांच का विषय है।’
एक बार मान भी लेते हैं कि उनकी सभी बाते सही हैं। लेकिन अभी तक यह समझ नहीं आ रहा कि गलती कहां है। भामाशाह से पात्र लोगों की पहचान हो गई और उन सभी पात्र लोगों को अच्छे अस्पतालों में मुफ्त इलाज मिल गया। अब …..! इसमें तो कोई बुराई नहीं है। पहले जहां डायरिया व फ्लू जैसी छोटी बिमारियों में जानें चली जाया करती थी, अब हार्ट जैसी गंभीर बिमारियों का भी मुफ्त इलाज हो रहा है। यह सब कुछ संभव हो पाया है केवल भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना की वजह से, जिसे हमारे महानुभाव गहलोत साहब बंद कराने की मंशा रखते हैं।
दो बार सत्ता में रहते हुए उन्हें इस योजना का ख्याल नहीं आया। पिछले 5 साल विपक्ष में बैठने के बाद लोगों की भलाई के लिए सदन में उनके मुंह से कुछ नहीं निकला। लेकिन जैसे ही चुनाव आए, गहलोत वह सब बोलने लगे जो उन्हें लगता है प्रदेश में और भाजपा सरकार के समर्थन में सही हो रहा है। अब गहलोत व कांग्रेस पार्टी इस योजना के पीछे हाथ धोकर क्यूं पड़े हैं, यह तो वहीं जाने लेकिन आगामी चुनावों में राज्य की जनता इस बात को जरुर साबित कर देगी कि यह योजना आम आदमी के लिए कितनी फलदायक साबित हुई है।
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