कई बार मीडिया के सामने बातों ही बातों में अपने आप को राजस्थान का अगला मुख्यमंत्री बता चुके अशोक गहलोत के लिए अपना गृहक्षेत्र जोधपुर ही सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनने के दावे करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत इन दिनों अपने गृहक्षेत्र में आ रही चुनौतियों से पार पाने की कोशिश में है। दरअसल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गहलोत पर गत दो बार से उनके खुद के गृहनगर जोधपुर में बीजेपी भारी पड़ रही है। खासकर जोधपुर शहर की दो सीटें गहलोत के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई हैं। इस बार भी गहलोत कमर कसकर इन सीटों पर कांग्रेस को जीत दिलाने के लिए प्रयासरत है। लेकिन पिछले दो बार की तरह ही इस बार भी ये सीटें बीजेपी के खाते में जाने की पूरी संभावना है। यही बात गहलोत के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। गहलोत अपने गृहक्षेत्र में ही हार गए तो उनकी खुद की सीएम दावेदारी कमजोर पड़ जाएगी। वैसी भी प्रदेश में कांग्रेसी नेताओं की अंदरूनी लड़ाई पहले ही पार्टी के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है।
जोधपुर शहर और सूरसागर विधानसभा सीट पर कांग्रेस को चुनाव नहीं जिता सके गहलोत
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत के लिए अपने गृहनगर जोधपुर शहर की दो विधानसभा सीटों पर पार्टी को जीत दिलाना चुनौती बना हुआ है। लाख जतन करने के बावजूद गत दो विधानसभा चुनाव में गहलोत जोधपुर शहर और सूरसागर विधानसभा सीट पर अपने पसंद के प्रत्याशी को चुनाव नहीं जिता पाए हैं। इस दौरान प्रदेश में कांग्रेस की सरकार भी बनीं इसके बावजूद ये दोनों सीटें कांग्रेस के हाथ से फिसल गई। अगर 2013 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो जोधपुर जिले की दस सीटों में से कांग्रेस महज एक सीट पर सिमट गई थी। अशोक गहलोत बड़ी मुश्किल से जीत दर्ज कर सके थे। गहलोत अपनी पारंपरिक सीट सरदारपुरा से ही चुनाव लड़ते आए हैं। इस बार भी वे इसी सीट से टिकट के दावेदार बनकर सामने आ रहे हैं।
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अशोक गहलोत कई बार जता भी चुके हैं यह दर्द
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गाहे-बगाहे जोधपुर के लोगों के सामने अपनी इस टीस को कई बार जता भी चुके हैं। लेकिन इन विधानसभा क्षेत्र के लोगों ने गहलोत को हमेशा नकारा है। राजस्थान विधानसभा के अब एक बार फिर चुनाव आ गए हैं और दोनों सीटों पर हमेशा की तरह प्रत्याशी का चयन भी गहलोत ही करेंगे। ऐसे में उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती ऐसे प्रत्याशी का चयन करने की है जो यहां से जीत हासिल कर सके। साथ ही गहलोत के लिए खुद की सीट बचाना भी चुनौती होगा। फिलहाल गहलोत ने अपने पत्ते खोले नहीं हैं, लेकिन उनके कार्यकर्ता इस बात का दावा कर रहे हैं कि जोधपुर में कांग्रेस की ही जीत होगी। दूसरी ओर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व में प्रदेश समेत जोधपुर में इतने विकास कार्य हुए हैं जितने पिछले 50 वर्षों में नहीं हुए हैं। ऐसे में गहलोत समर्थकों का ये दावा करना ज़रा भी सच नज़र नहीं आ रहा है।