प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार शाम हुई कैबिनेट बैठक में टेलीग्राफ एक्ट और प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) में संशोधन को मंजूर दे दी है। केन्द्रीय मंत्रिमंडल की इस बैठक में बैंक खाते और मोबाइल नम्बर की आधार लिंकिंग को कानूनी वैधता देने के लिए केन्द्रीय कैबिनेट द्वारा दो कानूनों में संशोधन को मंजूरी मिली है। इसके तहत संशोधन हो जाने के बाद मोबाइल नम्बर और बैंक खाते के लिए स्वेच्छा से आधार नम्बर देने का प्रावधान होगा। ग्राहक चाहें तो दूसरी आईडी भी दे सकते हैं। यह संशोधन विधेयक संसद के चालू शीतकालीन सत्र में ही पेश होने की संभावना जताई जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने बैंक, मोबाइल को आधार से जोड़ने की बाध्यता खत्म की
उच्चतम न्यायालय ने सितम्बर माह में आदेश जारी कर आधार का डेटा प्राइवेट कंपनियों के साथ साझा करने पर पाबंदी लगा दी थी। बैंक खाते और मोबाइल नम्बर की आधार लिंकिंग की व्यवस्था देने वाली आधार एक्ट की धारा 57 को रद्द करते हुए कोर्ट ने कहा था कि इसकी कोई कानूनी वैधता नहीं है। संशोधनों के जरिए सरकार यही कानूनी कमी पूरी कर रही है। टेलीग्राफ एक्ट में संशोधन कर आधार के जरिए मोबाइल सिम जारी करने को वैधता दी जाएगी। पीएमएलए में संशोधन के बाद केवाईसी में बैंक खाता आधार से लिंक करने का विकल्प मिलेगा। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकार की कल्याण योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार नम्बर जरूरी है। लेकिन, बैंक खाता और मोबाइल नम्बर के लिए आधार को जरूरी दस्तावेज नहीं बना सकते।
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डेटा चोरी करने पर मोटा जुर्माना, डेटा हैकिंग पर 10 साल तक की होगी जेल
आधार एक्ट में संशोधन को मंजूरी के तहत डेटा चोरी पर एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा। हैकिंग करने पर 10 साल तक जेल का प्रावधान होगा। आधार नम्बर सार्वजनिक होने की शिकायतों पर डिजिटल ऑथेंटिकेशन प्लेटफार्म बनेगा। अब आधार के क्यूआर कोड से वेरिफिकेशन होगा। इसके लिए नम्बर बताने की जरूरत नहीं होगी। बच्चे जब तक बालिग नहीं हो जाते तब तक आधार कार्ड बनाने में मां-बाप की अनुमति जरूरी होगी। बालिग होने पर वह अपना फैसला स्वयं ले सकेगा। सरकार को राष्ट्रहित में आधार का डेटा शेयर करने का अधिकार होगा।